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शाहजहाँपुर में होली से पहले मसजिदें क्यों ढँकी जा रही हैं?

शाहजहाँपुर में होली से पहले मसजिदें क्यों ढँकी जा रही हैं?

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में होली से पहले प्रशासन मसजिदों को ढँक रहा है। इस पर सवाल उठ सकते हैं कि मसजिदों को क्यों ढँका जा रहा है? 

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में होली से पहले प्रशासन मसजिदों को ढँक रहा है। इस पर सवाल उठ सकते हैं कि मसजिदों को क्यों ढँका जा रहा है? प्रशासन को लगता है कि ऐसा करने से शांति-व्यवस्था बनी रहेगी। उसे लगता है कि असामाजिक तत्व उन पर रंग फेंक सकते हैं और इससे स्थिति ख़राब हो सकती है। तो क्या असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई करने से आसान तरीक़ा मसजिदों को ढँकना है?

इस सवाल पर शाहजहाँपुर प्रशासन जो भी सोचे, लेकिन सचाई तो यही है कि मसजिदों को ढँकने का काम शुरू कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार कई मसजिदों को प्लास्टिक से ढँका जा चुका है और दूसरी मसजिदों को ढँकने का काम किया जा रहा है।

यह उस शहर में किया जा रहा है जहाँ उत्तर प्रदेश के मथुरा और बरसाने की तरह ही ख़ास तरह से होली मनाई जाती है। यहाँ 'जूता मार होली' मनाने का चलन है। 'लाट साहब' का जूलुस निकाला जाता है। भैंसा गाड़ी पर निकलने वाले जुलूस में लोग जूते फेंकते हैं। माना जाता है कि यह परंपरा 18वीं सदी से चली आ रही है। 

अब इस साल जिस रूट से यह 'लाट साहब' का जुलूस निकलेगा उस मार्ग पर प्रशासन विशेष तैयारी कर रहा है। डीएम और एसपी सहित भारी तादाद में पुलिस बल इस रूट पर मौजूद रहेगा। 

प्रशासन इस मार्ग पर पड़ने वाली मसजिदों को लेकर ख़ास तैयारी कर रहा है। 40 मसजिदों को ढँकने की तैयारी है। 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहाँपुर शहर के पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने कहा है कि जुलूस मार्ग पर मसजिदों को ऊपर से नीचे तक प्लास्टिक की चादरों से ढँका जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोग संरचनाओं पर रंग या कोई आपत्तिजनक वस्तु न फेंकें और सांप्रदायिक एकता को भंग करें। उन्होंने कहा कि होलिका दहन यानी 28 मार्च से पहले मसजिदों को ढँक दिया जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार मसजिदों के आगे के हिस्से में होर्डिंग्स लगा दी गई हैं जिससे मसजिद ढँक जाए। इसके अलावा जुलूस के मार्ग में आने वाली कुछ सड़कों पर बैरिकेडिंग की गई है।

पुलिस का कहना है कि होली से एक दिन पहले ही इन सड़कों को बंद कर दिया जाएगा ताकि कोई असामाजिक तत्व जुलूस में व्यवधान न डाल पाए।

'पीटीआई' की रिपोर्ट के अनुसार, ज़िला मजिस्ट्रेट इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने बुधवार को मुसलिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक की और कार्यक्रम के शांतिपूर्ण समापन के लिए उनका सहयोग मांगा। रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त ज़िलाधिकारी (प्रशासन) रामसेवक द्विवेदी ने कहा कि क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 225 मजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे।

पुलिस का कहना है कि एहतियात के तौर पर 200 लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। ड्रोन कैमरे से भी निगरानी रखी जाएगी।  

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