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लॉकडाउन में जमात का कार्यक्रम अपराध: दिल्ली सरकार; मौलाना साद के ख़िलाफ़ केस दर्ज

लॉकडाउन में जमात का कार्यक्रम अपराध: दिल्ली सरकार; मौलाना साद के ख़िलाफ़ केस दर्ज

इसलामिक संस्था तबलीगी जमात की ओर से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम को लेकर मरकज़ निज़ामुद्दीन की सफाई से दिल्ली सरकार ख़ुश नहीं है।

दिल्ली में हुए धार्मिक कार्यक्रम को लेकर मरकज़ निज़ामुद्दीन की ओर से दी गई सफाई से दिल्ली सरकार ख़ुश नहीं है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि जब 13 मार्च से ही भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर बैन लगा था तो इस तरह के कार्यक्रमों का क़तई बचाव नहीं किया जा सकता। दिल्ली सरकार ने कहा है कि 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने किसी भी जगह पर 50 से अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कहा है कि मरकज़ का यह कहना कि उसने 24 मार्च को एसएचओ को सूचना दी थी, यह अपर्याप्त है। 

केजरीवाल सरकार ने कहा है कि तबलीगी जमात की ओर से लॉकडाउन के दौरान यह कार्यक्रम करना एक अपराध है और ऐसा करके उसने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये दिये गये निर्देशों का मखौल उड़ाया है। 

सरकार ने कहा है कि आयोजकों के इस क़दम से कई लोगों की जान ख़तरे में पड़ गई है। मरकज़ निज़ामुद्दीन में ठहरे कई लोगों के कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाये जाने के बाद दिल्ली सरकार ने पुलिस को धार्मिक कार्यक्रम के आयोजक मौलाना साद कंदालवी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के निर्देश दिये थे। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद व तबलीगी जमात के अन्य सदस्यों के ख़िलाफ़ एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1987 और आईपीसी की कुछ धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया है। 

आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी मार्लेना ने निज़ामुद्दीन में हुए धार्मिक कार्यक्रम के आयोजकों के ख़िलाफ़ कड़ा क़दम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 13 मार्च से 200 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी थी तो फिर यह कार्यक्रम क्यों किया गया।

आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 12 मार्च को आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना वायरस के संक्रमण वाले देशों से आने वाले किसी भी व्यक्ति को ख़ुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए तब भी मरकज़ के प्रशासकों ने इस बात को सुनिश्चित क्यों नहीं किया। आतिशी ने सवाल उठाया है कि दिल्ली सरकार के आदेश के बाद भी इतनी बड़ी भीड़ जुटने पर भी दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की। 

कौन करवायेगा आदेश का पालन

यहां सवाल यही है कि जब दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को 200 और 16 मार्च को 50 से ज़्यादा लोगों के किसी कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी तो फिर इतना बड़ा धार्मिक आयोजन कैसे होता रहा और ये लोग समय रहते यहां से क्यों नहीं निकले। सवाल दिल्ली सरकार पर भी है कि वह तमाम आदेशों को गिना रही है लेकिन इन आदेशों का पालन करवाना उसने सुनिश्चित क्यों नहीं किया। क्या इतने नाजुक वक़्त में सिर्फ यह कह देना कि दिल्ली सरकार ने फलां आदेश दे दिया था, यह कहना सही है। पुलिस या दूसरे विभागों से आदेश का पालन करवाना सरकार का ही काम है। 

कुल मिलाकर मरकज़ निज़ामुद्दीन से निकला यह मामला बेहद बड़ा हो चुका है। यहां से फैले लोग कई राज्यों में फैल चुके हैं और वहां भी कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बताया गया है कि इस धार्मिक कार्यक्रम में भारत के 19 राज्यों और दुनिया के कई देशों से लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में शामिल हुए 10 लोगों की मौत होने और 24 लोगों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद इस वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। 

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