मुकेश अंबानी केस: पत्नी ने कहा- मनसुख नहीं कर सकते आत्महत्या
मुकेश अंबानी के घर के पास मिली स्कॉर्पियो कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मनसुख की बॉडी को जब खाड़ी से बाहर निकालकर साफ किया जा रहा था तो उनके मुंह से चार रुमाल निकले जो कि आपस में बंधे हुए थे। इससे इस बात की आशंका जताई जा रही है कि मनसुख की किसी ने हत्या की थी और शव को कलवा की इस खाड़ी में फेंक दिया था। जबकि कलवा पुलिस स्टेशन के अफ़सरों का कहना था कि मनसुख ने खाड़ी में कूदकर आत्महत्या कर ली है।
मनसुख हिरेन की पत्नी विमला हिरेन का कहना है कि मनसुख आत्महत्या नहीं कर सकते। विमला का कहना है कि उनके पति को कांदिवली क्राइम ब्रांच के किसी तावडे नाम के अफ़सर ने फोन करके गुरुवार की शाम 7 बजे ठाणे घोड़बंदर रोड पर बुलाया था।
पुलिस ने नहीं दर्ज की शिकायत
मनसुख की पत्नी का ये भी कहना है कि मनसुख का फोन रात 10 बजे तक तो चालू था लेकिन उसके बाद फोन बंद हो गया। उन्होंने इसकी जानकारी अपने पड़ोसियों को भी दी। जब पड़ोसियों ने भी मनसुख को फोन लगाया तो उनका फोन नहीं लगा और इसके बाद विमला कलवा पुलिस स्टेशन में पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने गईं तो पुलिस वालों ने विमला की शिकायत दर्ज नहीं की।
मनसुख के भाई का दावा
मनसुख हिरेन के बड़े भाई विनोद हिरेन का कहना है कि मनसुख बहुत अच्छा तैराक था। वह इलाके के बच्चों को तैराकी सिखाता था ऐसे में उसके आत्महत्या करने का सवाल नहीं उठता। अगर वह आत्महत्या करने के लिए खाड़ी में छलांग भी लगाता तो वह तैरकर बाहर आ सकता था।
विनोद का कहना है कि हत्या के केस को बेवजह आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है और हम चाहते हैं कि पुलिस इस मामले की सच्चाई के साथ जांच करें और हमें न्याय दे। विनोद ने स्कॉर्पियो कार के बारे में भी खुलासा करते हुए कहा कि स्कॉर्पियो कार उनके भाई के पास पिछले 3 साल से थी हालांकि यह कार किसी और के नाम पर थी।
जांच में हुआ खुलासा
अभी तक की जांच में पता चला है कि मनसुख घर से घोड़बंदर रोड ठाणे जाने की बात कह कर गए थे लेकिन उनके मोबाइल की अंतिम लोकेशन विरार मिली है ऐसे में सवाल यह उठता है कि ठाणे जाने वाला शख्स आखिर विरार कैसे पहुंच गया। क्या इसके पीछे कोई साजिश है, ऐसा सवाल मनसुख के परिवार वाले भी उठा रहे हैं।
कौन हैं सचिन वजे?
महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने अब इस मामले को एटीएस को सौंप दिया है लेकिन इससे पहले इस मामले की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट कर रही थी जिसको हैड इंस्पेक्टर सचिन वजे लीड कर रहे थे।
सचिन वजे का कहना है कि मनसुख ने मुंबई पुलिस कमिश्नर और थाने पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर बताया था कि कुछ पुलिस वाले और कुछ पत्रकार उसे परेशान कर रहे हैं। वजे ने 1 मार्च को मनसुख को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के दफ्तर बुलाया था जिसमें वह थोड़ा परेशान भी दिख रहे थे।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं वजे
दरअसल, सचिन वजे की गिनती एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में होती है। साल 2004 में बम धमाके के आरोपी ख्वाजा यूनुस की मौत सचिन वजे की कस्टडी में हो गई थी जिसके बाद उन पर कई तरह के आरोप लगे थे। उस केस में वजे को गिरफ्तार भी किया गया था और बाद में उन्हें पुलिस की नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन जैसे ही महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार बनी वैसे ही सचिन वजे को क्राइम ब्रांच में क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का हेड बना दिया। निलंबन के दौरान सचिन वजे ने शिव सेना का दामन थाम लिया था।
मनसुख हिरेन के मामले में एक और बात सामने आई है कि 2 मार्च को मनसुख ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने मानसिक तौर पर परेशान होने का जिक्र किया था।
इस तरह की चिट्ठी मनसुख ने मुंबई पुलिस के कमिश्नर और ठाणे पुलिस कमिश्नर को भी लिखी थी जिसमें लिखा गया था कि वह काफी परेशान हैं और पुलिस वाले उनको कई कई घंटे तक बैठा कर रखते हैं।
राजनीति तेज़
मनसुख हिरेन की मौत के मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में यह कहकर मामले को तूल दे दिया था कि क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ सचिन वजे और मनसुख पिछले 1 साल से संपर्क में थे और दोनों की फोन पर और व्हाट्सएप कॉल के जरिए बातचीत होती थी और ऐसे में मनसुख की मौत सवालों के घेरे में है।
बीजेपी के एक और विधायक आशीष शेलार ने भी विधानसभा में यह मामला उठाते हुए कहा कि हर हाई प्रोफाइल केस आखिर सचिन वजे के ही पास क्यों जाता है। शेलार ने कहा कि वजे मनसुख मौत मामले की जांच को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि जिस समय मनसुख का पोस्टमार्टम किया जा रहा था उस समय सचिन वजे भी वहां पर मौजूद थे जबकि इस मामले की जांच पहले ही महाराष्ट्र एटीएस को सौंप दी गई है।
एनआईए को सौंपें जांच
देवेंद्र फडणवीस ने तो यहां तक कह दिया कि मुंबई पुलिस किसी के दबाव में काम कर रही है इसलिए इस केस की जांच एनआईए को सौंप दी जाए, जिससे साफ हो जाएगा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर कार पार्क करने की साजिश किसकी थी और मनसुख की हत्या किसने की।