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मनमोहन सिंह ने मोदी को लिखी चिट्ठी, कोरोना से लड़ने के लिए दिए सुझाव

मनमोहन सिंह ने मोदी को लिखी चिट्ठी, कोरोना से लड़ने के लिए दिए सुझाव

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कोरोना संकट से उबरने के लिए नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी में उन्होंने कई सुझाव दिए हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कोरोना संकट से उबरने के लिए नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी में उन्होंने कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने केंद्र के पास 10 प्रतिशत रख कर बाकी की खुराकें राज्यों को देने, टीकाकरण का काम राज्यों पर पूरी तरह छोड़ देने की सलाह दी है।

डॉक्टर मनमोहन सिंह ने टीका उत्पादकों को राहत देने और विदेशी टीका उत्पादकों को भारत में अलग से टेस्टिंग कराए बग़ैर ही टीका बेचने की अनुमति देने के सुझाव भी दिए हैं। 

पारदर्शी टीकाकरण

मनमोहन सिंह ने कहा है कि सरकार को यह सार्वजनिक तौर पर बताना चाहिए कि उसने अगले छह महीने के लिए टीकों की कितनी खुराकों का ऑर्डर किसे दे रखा है।

यदि काफी बड़ी तादाद में लोगों को टीका देने की योजना बनाई गई है तो टीका बनाने वालों को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे उस हिसाब से उत्पादन का कार्यक्रम बना सकें समय पर टीका की खुराकें दे सकें। 

'राज्यों पर छोड़ें टीकाकरण'

मनमोहन सिंह ने यह भी कहा है कि सरकार को चाहिए कि वह टीका खुराकों की आपूर्ति में पारदर्शिता बरते, वह बताए कि कैसे इन टीकों की आपूर्ति की जाएगी।

मनमोहन सिंह ने सलाह दी कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह 10 प्रतिशत खुराकें आपातकालीन आपूर्ति के लिए अपने पास रखे और बाकी राज्यों के दे दे।

टीकाकरण की प्राथमिकता राज्यों पर हो

इसके साथ ही इन खुराकों की आपूर्ति की पूरी जानकारी राज्यों के दे ताकि वे उस हिसाब से टीकाकरण की योजना बना सकें। 

पूर्व प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी को यह भी सुझाव दिया है कि वह 45 साल से कम की उम्र के किन लोगों को टीकाकरण में प्राथमिकता देनी है, यह राज्यों पर छोड़ दे।

यह मुमकिन है कि राज्य सरकारें स्कूल शिक्षकों, बस-ट्रक-तिपहिया ड्राइवरों, म्युनिसपैलिटी व पंयायत कर्मचारियों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता के रूप में चिह्नित करें। यह उन्हें तय करने दें।

टीका उत्पादकों की सहायता

डॉक्टर मनमोहन सिंह ने चिट्ठी में यह भी कहा है कि भारत टीका के बड़े उत्पादकों में से एक है। ऐसे में सरकार टीका उत्पादकों को वित्तीय सहायता दे, उन्हें रियायतें दे और दूसरे तरीकों से मदद करे ताकि जल्दी से ज़्यादा टीकों का उत्पादन किया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि अनिवार्य टीका लाइसेंस के प्रावधानों को लागू किया जाए जिसके तहत एक ही लाइसेंस के तहत कंपनियों को टीके बनाने की अनुमति मिल जाए। एड्स टीकों के उत्पादन के लिए पहले ऐसा किया जा चुका है। इज़रायल ने कोरोना टीकों के लिए भी यह प्रावधान लागू कर दिया है। भारत भी ऐसा ही कर सकता है। 

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इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री ने विदेशी टीका उत्पादकों के लिए राह आसान बनाने का सुझाव भी दिया है।

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उन्होंने कहा है कि अमेरिकी नियामक संस्था यूएस एफ़डीए या यूरोपियन मेडिकल एजेन्स से जिन टीका उत्पादकों को टीका बेचने की अनुमति दी जा चुकी है, उन्हें भारत में टीका आपूर्ति की अनुमति दी जा सकती है। इसके लिए भारत में टेस्टिंग अनिवार्य नहीं किया जाए।

यह छूट थोड़े समय के लिए हो, जिस दौरान जाँच भी की जाए। 

कांग्रेस ने ये सुझाव ऐसे समय दिए हैं जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है, बहुत ही तेजी से संक्रमण फैल रहा है, रोज़ाना दो लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। 

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