मोदी निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल करने वाले पहले पीएम: मनमोहन
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम मोदी के उस बयान का भी जवाब दिया है जिसमें उनपर आरोप लगाया गया था कि 'मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।' इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी पर भाषण के स्तर को लेकर गंभीर आरोप लगाए।
लोकसभा के सातवें और आख़िरी चरण के चुनाव से पहले मनमोहन सिंह ने गुरुवार को देशवासियों के नाम एक ख़त जारी किया है। इसमें उन्होंने पीएम मोदी पर एक खास समुदाय या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए घृणास्पद और असंसदीय भाषण देकर प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को कम करने का आरोप लगाया।
“In the past ten years, the BJP government has left no stone unturned in castigating Punjab, Punjabis and Punjabiyat.
— Congress (@INCIndia) May 30, 2024
750 farmers, mostly belonging to Punjab, were martyred while incessantly waiting at Delhi borders, for months together. As if the lathis and the rubber bullets… pic.twitter.com/xJZQrsT3f8
मनमोहन सिंह की यह चिट्ठी तब आई है जब कुछ हफ़्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह का नाम लेकर उनपर मुस्लिम परस्त होने का आरोप लगाया था। उन्होंने अप्रैल महीने में राजस्थान में एक चुनावी रैली में कहा था, '...मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि (देश की) संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है...। माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे'।
पीएम मोदी ने कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।'
प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह के जिस भाषण का ज़िक्र किया था वह 9 दिसंबर 2006 का था। प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित किया था।
उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था। उसका हिंदी अनुवाद है- 'मैं मानता हूँ कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं साफ़ हैं। ये हैं- कृषि, सिंचाई- जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में अहम निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए ज़रूरी सार्वजनिक निवेश। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम भी सामूहिक प्राथमिकताएँ हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला अधिकार है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा।'
बहरहाल, अब मनमोहन सिंह ने ख़त में गुरुवार को कहा है, '
“
मैं इस चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक चर्चाओं को बहुत ध्यान से देख रहा हूं। मोदी जी ने घृणा वाले और नफरत भरे भाषण दिए हैं, जो पूरी तरह से विभाजनकारी हैं।
मनमोहन सिंह, पूर्व पीएम
पूर्व पीएम ने आगे कहा, 'मोदी जी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पद की गरिमा और उसके साथ ही प्रधानमंत्री पद की गंभीरता को कम किया है। इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने किसी खास वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए इतनी घृणित, असंसदीय और निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने मेरे कुछ गलत बयान भी दिए हैं। मैंने अपने जीवन में कभी एक समुदाय को दूसरे से अलग नहीं किया। यह भाजपा का विशेष अधिकार और आदत है।'
पूर्व पीएम ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'पिछले दस सालों में देश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली है। नोटबंदी, गलत तरीके से लागू जीएसटी और कोविड-19 महामारी के दौरान खराब प्रबंधन ने विकट हालात पैदा कर दिए हैं। औसत से कम 6-7 फीसदी जीडीपी वृद्धि सामान्य हो गई है। भाजपा सरकार के तहत वार्षिक जीडीपी वृद्धि 6 फीसदी से भी कम हो गई है, जबकि कांग्रेस-यूपीए के दौरान यह करीब 8 फीसदी थी।' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस-यूपीए ने चुनौतियों के बावजूद हमारे लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाना जारी रखा, जबकि भाजपा सरकार के कुप्रबंधन ने घरेलू बचत को 47 साल के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा दिया है।'
पंजाब के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है, "पिछले 10 साल में, बीजेपी सरकार ने पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक इंतजार करते हुए शहीद हो गए। जब लाठी और रबर की गोलियों से भी मन नहीं भरा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में हमारे किसानों को 'आंदोलनजीवी' और 'परजीवी' कहकर उनका अपमान किया। किसानों की सिर्फ यही मांग थी कि उनसे चर्चा किए बिना उन पर थोपे गए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।"
शांति और सद्भाव की अपील करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं पंजाब के हर मतदाता से विकास और समन्वित प्रगति के लिए वोट देने की अपील करता हूं।