मणिपुरः सेना ने कहा- महिला एक्टिविस्टों की भीड़ हमारा रास्ता रोक रही है
सेना ने लोगों से हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के उसके प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया है। सेना ने कल देर शाम कहा कि मणिपुर में महिला एक्टिविस्ट जानबूझकर पूर्वोत्तर राज्य में सड़कों और रास्तों को रोक रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियानों में बाधा डाल रही हैं।
सेना ने ट्विटर पर ऐसे उदाहरणों वाला एक वीडियो साझा किया, जिसमें पिछले सप्ताह का गतिरोध भी शामिल है जब सेना को मणिपुर के इथम गांव में 1,200 लोगों की महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ से घिरे होने के बाद - नागरिकों की जान बचाने के लिए 12 उग्रवादियों को छोड़ना पड़ा था।
सेना ने कहा कि "मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर रास्तों को रोक रही हैं और सुरक्षा बलों के संचालन में बाधा डाल रही हैं। इस तरह की अनुचित दखलन्दाजी सेना के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। क्योंकि जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए महत्वपूर्ण परिस्थितियों के दौरान सुरक्षा बलों के काम में बाधा डालने से दिक्कत आ सकती है। भारतीय सेना आबादी के सभी वर्गों से शांति बहाली की कोशिशों के समर्थन करने की अपील करती है।
सेना ने इससे पहले "परिपक्व निर्णय" लेने के लिए इथम गांव ऑपरेशन के प्रभारी कमांडर की सराहना की थी, जिसने "भारतीय सेना का मानवीय चेहरा" दिखाया था।
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx
सेना ने तब कहा था कि ''महिलाओं के नेतृत्व वाली एक बड़ी क्रोधित भीड़ के खिलाफ बल का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला सही था। यह सेना की संवेदनशीलता बताता है और इस तरह की कार्रवाई के दौरान संभावित हताहतों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया। इसलिए सेना ने उन सभी 12 लड़ाके कैडरों को स्थानीय नेता को सौंपने का विचारशील निर्णय लिया।''
सेना और भीड़ के बीच शनिवार को पूरे दिन गतिरोध जारी रहा था। महिलाओं के नेतृत्व में भीड़ ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया और बलों को ऑपरेशन में आगे बढ़ने से रोक दिया।
आक्रामक भीड़ से सुरक्षा बलों को अपना अभियान जारी रखने देने की बार-बार की गई अपील का कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद सेना ने आतंकवादी समूह कांगलेई यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) के 12 सदस्यों को रिहा करने का फैसला किया।
सेना ने कहा कि यह समूह कई हमलों में शामिल था, जिसमें 2015 में 6 डोगरा यूनिट पर घात लगाकर किया गया हमला भी शामिल था। गांव में छिपे लोगों में स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो एक वांछित आतंकवादी था, जो डोगरा घात त्रासदी का मास्टरमाइंड था।