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ताकत दिखाने का प्रदर्शन नहीं होनी चाहिए नमाज: खट्टर

ताकत दिखाने का प्रदर्शन नहीं होनी चाहिए नमाज: खट्टर

हिंदू संगठन बीते कई हफ़्तों से गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज़ पढ़े जाने का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा काफ़ी गर्म रहा है। 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक बार फिर गुड़गांव में नमाज के विरोध के मुद्दे पर बयान दिया है। खट्टर ने कहा है कि नमाज नमाज ही रहनी चाहिए और यह ताकत दिखाने का प्रदर्शन नहीं होनी चाहिए। 

बता दें कि गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज पढ़े जाने का हिंदू संगठन बीते कई महीनों से लगातार विरोध कर रहे हैं। 

खट्टर ने कुछ दिन पहले विधानसभा में भी एक सवाल के जवाब में कहा था की ताकत का प्रदर्शन करना जिससे दूसरे समुदाय की भावनाएं भड़कती हों, यह गलत है। 

इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प के सदस्यों से बात करते हुए खट्टर ने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर प्रार्थना सभा करना गलत है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी पूजा-प्रार्थना करने के लिए आजाद हैं लेकिन यह कुछ निश्चित जगहों पर होनी चाहिए और अगर इसे लेकर कोई विवाद होता है तो लोगों को प्रशासन के पास जाना चाहिए। 

बीते दिनों हरियाणा के पटौदी में क्रिसमस के त्योहार का भी विरोध हुआ था। खट्टर ने इस बारे में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और ऐसी घटनाओं का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए। 

 - Satya Hindi

किसानों के आंदोलन के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान नेताओं की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं।जैसे गुरनाम सिंह चढ़ूनी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वह भी किसान नेता के रूप में सामने आ गए। 

कुछ दिन पहले खट्टर ने नमाज़ को लेकर ऐसा बयान दिया था, जिसकी काफी चर्चा हुई थी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि नमाज़ पढ़ने की जो प्रथा यहां खुले में हुई है, इसे क़तई सहन नहीं किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि इस मामले में बैठकर शांतिपूर्वक हल निकाला जाएगा। उन्होंने मुसलिमों को सलाह दी थी कि वे अपने घर में नमाज़ पढ़ें। 

बीते महीनों में कई बार ऐसा हुआ है जब हिंदू संगठनों के लोग नमाज़ वाली जगहों पर पहुंचे और जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाए। मुसलिम समुदाय के लोगों ने नारेबाज़ी के बीच ही नमाज़ अदा की। इस दौरान हिंदू संगठनों और मुसलिम समुदाय के लोगों के बीच पुलिस भी खड़ी रही। 

चयनित जगहों पर भी एतराज

हिंदू संगठनों के नेताओं को उन 37 जगहों को लेकर भी एतराज है, जिनका चयन मुसलिम समुदाय, हिंदू समुदाय और प्रशासन के अफ़सरों के बीच लंबी बातचीत के बाद नमाज़ पढ़ने के लिए किया गया था। उसके बाद से मुसलिम समुदाय के लोग इन जगहों पर नमाज़ अदा करते आ रहे थे। 

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