+
पत्रकार मनदीप पूनिया को मिली जमानत 

पत्रकार मनदीप पूनिया को मिली जमानत 

सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकार मनदीप पूनिया को मंगलवार को जमानत मिल गई है। दिल्ली पुलिस द्वारा पूनिया को गिरफ़्तार किए जाने का सोशल मीडिया पर जोरदार विरोध हो रहा था। 

सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकार मनदीप पूनिया को मंगलवार को जमानत मिल गई है। दिल्ली पुलिस द्वारा मनदीप को गिरफ़्तार किए जाने का सोशल मीडिया पर जोरदार विरोध हो रहा था। 

एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने भी सोमवार को मनदीप को रिहा किए जाने की मांग की थी। गिल्ड ने कहा था कि मनदीप की गिरफ़्तारी स्वतंत्र पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश है। मनदीप को शनिवार को उस वक़्त गिरफ़्तार कर लिया गया था जब वह सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय लोगों और किसानों के बीच हुई झड़प को कवर कर रहा था। 

रोहिणी की जिला अदालत ने मनदीप की जमानत याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल पूरी तरह निर्दोष है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। वकील ने कहा कि उसके साथ पकड़े गए दूसरे पत्रकार को छोड़ दिया गया जबकि उसे प्रेस कार्ड न होने का कारण बताते हुए नहीं छोड़ा गया। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि अभियुक्त पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘इस मामले में शाम 6.30 बजे झड़प हुई थी और अगले दिन सुबह 1.21 मिनट पर एफ़आईआर दर्ज की गई। मामले में शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह तीनों ही पुलिसकर्मी हैं, इसलिए इस बात की कोई संभावना नहीं है कि अभियुक्त किसी पुलिस अफ़सर को प्रभावित कर सकता है और इसलिए अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में रखे जाने की कोई मजबूत वजह नहीं दिखती।’ 

जज सतवीर सिंह लांबा की अदालत ने कुछ शर्तों जैसे- अभियुक्त को अदालत में नियमित तौर पर हाजिर होना होगा, वह अदालत की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाएगा सहित कुछ और शर्तों और 25 हज़ार के मुचलके पर मनदीप को जमानत दे दी। 

कारवां मैगजीन के लिए फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर काम कर रहे मनदीप पर आरोप लगाया गया था कि उसने सिंघु बॉर्डर पर ड्यूटी के दौरान एक एसएचओ को गाली दी थी। इससे पहले रविवार को दिल्ली की एक अदालत ने उसकी जमानत याचिका को खारिज कर उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। मनदीप के साथ ही एक और पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन अगले दिन उसे छोड़ दिया गया था।

किसान आंदोलन से जुड़ी ख़बरों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय, कांग्रेस सांसद शशि थरूर सहित पत्रकार परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद के जोस के ख़िलाफ़ दिल्ली, नोएडा में एफ़आईआर हो चुकी है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर सरकार की खासी आलोचना हो रही है। 

किसान नेताओं ने किया था विरोध

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सोमवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मनदीप पूनिया का मामला उठाया था। किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा था कि पत्रकारों पर हमले किए जा रहे हैं, उन्हें गिरफ़्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि पंजाब से आंदोलन में शामिल होने के लिए आने वालों को परेशान किया जा रहा है और इसके विरोध में ही 6 फरवरी को तीन घंटे के लिए सड़कों को जाम करने का फ़ैसला किया गया है। 

किसान नेता दर्शनपाल ने कहा था कि सरकार ने पूरे इलाक़े को छावनी बना दिया है और इंटरनेट भी बंद कर दिया है, इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। 

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार इस आंदोलन से घबरा गई है और वह पत्रकारों पर मुक़दमे दर्ज कर रही है। इसके अलावा गुंडों से हमले करवाना, इंटरनेट बंद करना जैसे कई काम सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और इसे और मजबूती से लड़ा जाएगा। 

पुलिस तैनाती बढ़ी

सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर इन दिनों बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात करने, कंक्रीट की दीवार बनाने सहित कई क़दम उठाए जा रहे हैं। धरने पर बैठे किसानों में इसे लेकर डर का माहौल है। दिल्ली पुलिस ने रविवार से सिंघु बॉर्डर पर बाहर से आने वालों की एंट्री रोक दी है। शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने इस बॉर्डर को खाली कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था, तब आंदोलनकारी किसानों और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद से पुलिस ने यह फ़ैसला लिया है कि किसी भी शख़्स को धरनास्थल पर नहीं जाने दिया जाएगा। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें