गांगुली ग़लत तरीक़े से बाहर हुए, आईसीसी में भेजें: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि वह सौरव गांगुली को आईसीसी यानी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में भेजें। बीसीसीआई में दोबारा कार्यकाल नहीं दिए जाने का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि सौरव गांगुली को 'ग़लत तरीक़े से बाहर किया गया'। गांगुली को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में बदल दिया गया है। बीसीसीआई या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली की जगह रोजर बिन्नी लेंगे।
ममता ने कहा है कि गांगुली को वंचित किया गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'उन्हें वंचित कर दिया गया है। उनकी ग़लती क्या है? मैं बहुत दुखी हूँ। मैं वास्तव में स्तब्ध हूँ। सौरव एक बहुत लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं। वह भारतीय टीम के कप्तान थे। उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया। वह न केवल बंगाल का गौरव हैं बल्कि भारत का गौरव हैं। उन्हें इतने अनुचित तरीक़े से बाहर क्यों किया गया।'
ममता बनर्जी कोलकाता हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बात कर रही थीं। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री को मेरा विनम्र अभिवादन। कृपया इसका ध्यान रखें कि सौरव गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए।' 20 अक्टूबर को आईसीसी चेयरमैन के लिए नॉमिनेशन दाखिल किया जाना है।
रोजर बिन्नी के बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में बनाए जाने की रिपोर्टें हैं। भारत के 1983 वर्ल्ड कप टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है। ख़ास बात यह रही कि रोजर बिन्नी के सामने किसी दूसरे सदस्य ने अध्यक्ष पद का नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया है। इसी के बाद सवाल उठाए गये कि सौरव गांगुली को आख़िर अध्यक्ष पद पर दूसरा मौक़ा क्यों नहीं दिया जा रहा है?
रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत के पूर्व कप्तान बोर्ड के प्रमुख के रूप में बने रहना चाहते थे, लेकिन कथित तौर पर उन्हें अन्य सदस्यों से समर्थन नहीं मिला।
हालाँकि सौरव गांगुली बीसीसीआई में नहीं रहेंगे, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बोर्ड के सचिव बने रहेंगे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार इसी को लेकर ममता बनर्जी ने कहा है, 'एक अदालत ने सौरव गांगुली और जय शाह के लिए दूसरे कार्यकाल का रास्ता साफ कर दिया था। लेकिन पता नहीं क्यों, अमित शाह के बेटे बने हुए हैं। मैं उनके ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोल रही हूँ, लेकिन सौरव को क्यों छोड़ दें? जिस तरह से उन्हें ग़लत तरीक़े से छोड़ दिया गया, इसका एकमात्र मुआवजा आईसीसी है। अन्य बीसीसीआई से आईसीसी में चले गए हैं।'
उन्होंने आग्रह किया, 'मैं सरकार से अनुरोध करती हूँ कि इसे बदले की भावना से या राजनीतिक रूप से न लें। क्रिकेट के लिए, खेल के लिए निर्णय लें।'
बता दें कि बीसीसीआई ने राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई के पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि को ख़त्म करने की व्यवस्था की थी। इसका मलतब है कि कोई अधिकारी लगातार दो कार्यकाल तक उस पद पर बना रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर हामी भर दी है।
पहले इन पदों पर लगातार दो कार्यकाल तक कोई नहीं रह सकता था। इसके लिए कूलिंग-ऑफ़ अवधि होनी चाहिए थी। लेकिन अब प्रशासकों को लगातार दो कार्यकाल के बाद ही कूलिंग-ऑफ़ पीरियड से गुजरना होगा।
सौरव गांगुली और बीजेपी को लेकर तब और कयास लगाए जाने लगे थे जब इस साल अमित शाह सौरव गांगुली के घर रात के खाने पर पहुँचे थे। मई महीने में अमित शाह ने गांगुली के साथ उनके दक्षिण कोलकाता स्थित घर पर डिनर किया था। रात्रिभोज में परिवार के क़रीबी सदस्य ही शामिल रहे थे। डिनर के बाद गांगुली ने मीडिया से कहा था कि इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है।
इसके बाद जून महीने में फिर से तब गांगुली के राजनीति में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे जब उन्होंने एक ट्वीट किया था।
उन्होंने ट्वीट में कहा था कि वह अपनी ज़िंदगी का नया अध्याय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हालाँकि उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि वह नया अध्याय किस रूप में होगा। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'आज मैं कुछ ऐसा शुरू करने की योजना बना रहा हूँ जो मुझे लगता है कि शायद बहुत से लोगों की मदद करेगा। मुझे आशा है कि आप अपना समर्थन जारी रखेंगे क्योंकि मैं अपने जीवन के इस अध्याय में प्रवेश कर रहा हूं।'
उनके इस ट्वीट के बाद कयास लगाया जाने लगा था कि क्या वह राजनीति में करियर आजमाना चाहते हैं? ऐसा इसलिए भी कि गांगुली ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कोलकाता में अपने आवास पर रात्रिभोज आयोजित किया था। अमित शाह के साथ डिनर से पहले गांगुली ने कहा था, 'मैं उन्हें 2008 से जानता हूं। मैं उनके बेटे के साथ काम करता हूं। वह हमारे घर आ रहे हैं, और हमारे साथ खाना खाएंगे।'