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ममता का पलटवार, कहा, राज्य से पूछे बग़ैर नहीं कर सकते मुख्य सचिव का तबादला

ममता का पलटवार, कहा, राज्य से पूछे बग़ैर नहीं कर सकते मुख्य सचिव का तबादला

मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाए जाने के फ़ैसले का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की माँग की है और कहा है कि राज्य सरकार से पूछे बग़ैर मुख्य सचिव का तबादला नहीं किया जा सकता है। 

पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच तनाव बढता ही जा रहा है और मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी ने पीछे हटने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है।

उन्होंने मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाए जाने के फ़ैसले का विरोध करते हुए इसे रद्द करने की माँग की है और कहा है कि राज्य सरकार से पूछे बग़ैर उसके मुख्य सचिव का तबादला नहीं किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ही मुख्य सचिव का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था, ऐसे में उनके तबादले की क्या वजह हो सकती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह तबादला इसलिए किया गया है कि मुख्य सचिव बंगाली हैं।

ममता बनर्जी ने यह सवाल उछाल कर बीजेपी के बंगाली विरोधी और 'बाहरी' होने के पुराने आरोप को दुहराया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र से अपील की है कि वह इस पर पुनर्विचार करे। 

क्या कहा ममता ने?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही भावनात्मक मुद्दा भी उठाया है और केंद्र को इस आधार पर घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता की भलाई के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं, लेकिन उन्हें और पश्चिम बंगाल की जनता का इस तरह अपमान नहीं किया जाना चाहिए।

ममता बनर्जी ने इसके साथ ही कहा कि विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के हाथों हुई क़रारी हार को प्रधानमंत्री नहीं पचा पा रहे हैं और इस कारण ही इस तरह वह उन्हें अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 

हमें प्रचंड जीत मिली है इसलिए आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं? आपने सब कुछ करने की कोशिश की और हार गए। हमारे साथ हर दिन झगड़ा क्यों कर रहे हैं?


ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय ने सवाल किया है कि क्या आज़ादी के बाद ऐसा पहले कभी हुआ है कि किसी राज्य के मुख्य सचिव को जबरन केंद्र सरकार बुला ले। 

सांसद ने पूछा है कि मोदी और गृह मंत्री शाह कितना और नीचे गिरेंगे और ऐसा सिर्फ़ इसलिए हो रहा है क्योंकि बंगाल के लोगों ने इन दोनों के बजाए एक बड़े जनादेश के साथ ममता बनर्जी को चुना है। 

ममता-मोदी तक़रार

मामले की शुरुआत चक्रवाती तूफान 'यास'  की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के शामिल न होने से हई। केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे तक इंतजार करवाया, उसके बाद भी उनके साथ बैठक में शामिल नहीं हुईं। 

दूसरी ओर, राज्य सरकार ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने मोदी से मुलाक़ात की, उन्हें तूफान 'यास' से हुए नुक़सान की जानकारी दी, उनके साथ 15 मिनट रहीं और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इसके बाद वे राहत व बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए पहले से तय एक बैठक में चली गईं।

 - Satya Hindi

शुभेंदु अधिकारी का आरोप

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री का अपमान एक बार नहीं, कई बार किया है। उन्होंने कहा कि चक्रवाती तूफान यास की समीक्षा बैठक में भाग नहीं लेने के लिए ही ठीक उसी समय मुख्यमंत्री ने दीघा का कार्यक्रम रखा। यह जानबूझ कर किया गया था और प्रधानमंत्री की बैठक से बचने की चाल थी। 

उन्होंने कहा कि ओडिशा में हुई समीक्षा बैठक में वहां के विपक्ष के नेता को भी न्योता गया था, लिहाजा उन्हें बुलाना कोई अद्भुत बात नहीं है। 

बता दें कि आखिरी बार नरेद्र मोदी और ममता बनर्जी की मुलाकात 23 जनवरी को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर हुई थी। उस कार्यक्रम में ममता बनर्जी के भाषण के बीच बीजेपी समर्थक "जय श्री राम" का नारा लगने लगे थे। ममता भाषण पूरा किए बिना ही वहाँ चली गईं थीं। 

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