कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के मामले में उबल रहे गु़स्से के बीच ममता बनर्जी ने बेहद सख़्त क़ानून बनाने की पैरवी की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखकर कहा है कि बलात्कार के मामलों में 15 दिनों की सुनवाई और अनुकरणीय सजा के लिए एक क़ानून लाया जाए।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने गुरुवार को यह ख़त लिखा है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार को बलात्कार-हत्या मामले और उसके बाद आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ को लेकर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। इस मामले का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यह समझ नहीं पा रहा है कि राज्य सरकार अस्पताल में बर्बरता के मुद्दे को संभालने में सक्षम क्यों नहीं है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा कि देश में बलात्कार और हत्या की घटनाओं में वृद्धि हुई है और इसलिए यह सभी का कर्तव्य है कि इस पर रोक लगाई जाए ताकि महिलाएं देश में सुरक्षित महसूस करें।
ममता ने लिखा, 'उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार यह देखना भयावह है कि पूरे देश में प्रतिदिन लगभग 90 बलात्कार के मामले होते हैं। यह समाज और राष्ट्र के विश्वास और विवेक को हिला देता है।' मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया, 'ऐसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को कठोर केंद्रीय कानून के माध्यम से व्यापक तरीके से निपटने की ज़रूरत है, जिसमें ऐसे जघन्य अपराधों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान हो।'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना पर भी प्रस्तावित क़ानून में विचार किया जाना चाहिए। त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए, ऐसे मामलों में सुनवाई अधिमानतः 15 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए।'
बता दें कि जूनियर डॉक्टर की रेप-हत्या पर आलाचनाएँ झेल रही ममता बनर्जी ने आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के लिए भाजपा और वामपंथियों (राम और बाम) को दोषी ठहराया और दावा किया कि उन्होंने बलात्कार मामले में सबूत नष्ट करने का प्रयास किया।
प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ अस्पताल के सेमिनार हॉल में बलात्कार किया गया और 9 अगस्त को उसका शव मिला। घटना के एक दिन बाद ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार अपराधी के लिए मृत्युदंड की मांग करेगी।
ममता ने पुलिस को चेतावनी भी दी थी कि अगर वे 18 अगस्त तक मामले को सुलझाने में असमर्थ रहे तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने इससे पहले ही मामले की सुनवाई करते हुए इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। इस मामले का सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने भी पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की क्रूरता और जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के तरीक़े ने राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। घटना के समय राज्य पुलिस और संस्थान के प्रिंसिपल की भूमिका और एफआईआर दर्ज करने में देरी पर कुछ कठिन सवाल पूछते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआईएसएफ को अस्पताल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।