केंद्र ने ममता को बताया घमंडी, बेपरवाह, राज्यपाल ने दी चेतावनी
केंद्र सरकार ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे तक इंतजार करवाया, उसके बाद भी उनके साथ बैठक में शामिल नहीं हुईं।
दूसरी ओर, राज्य सरकार ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने मोदी से मुलाक़ात की, उन्हें तूफान 'यास' से हुए नुक़सान की जानकारी दी, उनके साथ 15 मिनट रहीं और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इसके बाद वे राहत व बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए पहले से तय एक बैठक में चली गईं।
राज्य सरकार का यह भी कहना है कि केंद्र को पहले ही यह जानकारी दे दी गई थी कि राहत समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नहीं रहेंगी।
केंद्र का आरोप
'एनडीटीवी' ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि तूफान और प्राकृतिक आपदा काल में भी मुख्यमंत्री का रवैया 'बेहद निंदनीय' था।केंद्र का कहना है कि 'प्रधानमंत्री तूफान राहत व बचाव कार्य की समीक्षा करना चाहते थे, पर राज्य सरकार की ओर से कोई उस बैठक में शामिल नहीं हुआ। मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव उस समय उसी भवन में थे जिसमें बैठक हो रही थी, लेकिन वहां जाना उन्होंने उचित नहीं समझा।'
राज्यपाल की भूमिका
इसके अलावा राज्यपाल जगदीद धनकड़ ने बैठक की एक तसवीर ट्वीट की है। इस तसवीर में प्रधानमंत्री बीच की कुर्सी पर बैठे हैं, एक तरफ राज्यपाल धनकड़, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी व दूसरे लोग हैं। पर सामने की पंक्ति खाली है और उन कुर्सियों पर कोई नहीं है।धनकड़ ने ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस बैठक का बॉयकॉट किया। इस तरह का बॉयकॉट संविधान और संघवाद के ख़िलाफ़ है। उन्होंने लगभग धमकी के अंदाज में कहा कि इस तरह का बॉयकॉट 'न तो जनहित में है और न ही राज्य की जनता की भलाई इससे होगी।'
At the Review Meet by PM #CycloneYaas to assess damage caused. CM and officials @MamataOfficial did not participate.
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 28, 2021
Such boycott bot in consonance with constitution and federalism.
Certainly by such actions neither public interest nor interest of state has been served. pic.twitter.com/59P11OBaAe
क्या कहना है राज्य सरकार का?
लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि उसने पहले ही केंद्र सरकार को यह सूचित कर दिया था कि राहत कार्यों की समीक्षा के लिए एक बैठक तय है और इसलिए प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री मौजूद नहीं रहेंगी।
राज्य सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से कलाईकुंडा स्थित वायुसेना के बेस पर प्रधानमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने कहा,
“
आप चाहते थे कि मैं आपसे मिलूं, इसलिए मैं यहाँ आई हूँ। मैं और मुख्य सचिव आपको एक रिपोर्ट सौंपना चाहते हैं। हमें दीघा में एक बैठक में भाग लेने जाना है, इसलिए हम आपकी इजाज़त चाहते हैं।
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, 'हिंगलगंज और सागर में समीक्षा बैठक करने के बाद, मैं कलाईकुंडा में माननीय प्रधानमंत्री से मिली और उन्हें पश्चिम बंगाल में चक्रवात के बाद की स्थिति से अवगत कराया। उन्हें चक्रवात से हुए नुकसान के अवलोकन के लिए आपदा रिपोर्ट सौंपी गई है। मैं अब दीघा में राहत और बहाली कार्य की समीक्षा करने के लिए निकल रही हूँ।'
After having review meetings in Hingalganj & Sagar, I met the Hon’ble PM in Kalaikunda & apprised him regarding the post-cyclone situation in WB. The disaster report has been handed over for his perusal. I’ve proceeded now to review the relief & restoration work at Digha.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) May 28, 2021
दिलचस्प बात यह है कि राज्यपाल जगदीप धनकड़ भले इस मुद्दे पर हायतौबा मचाए हुए हैं, इसे संघवाद से जोड़ कर देख रहे हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि यह राज्य की जनता के हित में नहीं है, पर खुद प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में इन बातों का जिक्र नहीं किया है।
PM @narendramodi undertook an aerial survey to review the situation in the wake of Cyclone Yaas.
— PMO India (@PMOIndia) May 28, 2021
The aerial survey covered parts of Odisha and West Bengal. pic.twitter.com/vo0hX6NDTK
मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल में चक्रवात यास से लगभग 15 हज़ार करोड़ रुपए के नुक़सान का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा है कि तीन लाख घर और 134 तटबंध नष्ट हो गए हैं।
राज्य सरकार ने पहले ही एक हज़ार करोड़ रुपए के बचाव पैकेज की घोषणा कर दी हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उनके राहत प्रयासों में घर-घर जाने का आदेश दिया है।
क्या केंद्र ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया?
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता बनर्जी इसलिए नाराज़ हैं कि राहत समीक्षा बैठक में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी बुलाया गया था। शुभेंदु ममता के निकट के सहयोगी थे, उनकी सरकार में मंत्री थे। पर उन्होंने उनका साथ छोड़ा, बीजेपी में शामिल हुए और नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हरा भी दिया।
क्या प्रधानमंत्री के साथ होने वाली समीक्षा बैठक में विपक्ष के नेता को बुलाया जाता है? क्या इसके पहले 'अंफान' समीक्षा बैठक में विपक्ष के नेता को बुलाया गया था? क्या आज ही ओडिशा में विपक्ष के नेता को बुलाया गया था?
समझा जाता है कि बीजेपी जानबूझ कर ममता बनर्जी को लगातार परेशान रखना चाहती है ताकि केंद्र-राज्य के बीच टकराव लगातार चलता रहे। बीजेपी की रणनीति यह है कि वह ममता बनर्जी को राज्य में ही उलझाए रखे ताकि वे केंद्र की राजनीति के बारे में सोच ही न सके।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि केंद्र सरकार राज्य से सहयोग का दिखावा कर दवाब की राजनीति कर रही है, पर हर मुमकिन मौके पर उसे घेर कर बदनाम करना चाहती है।