आयोग की कार्रवाई के ख़िलाफ़ ममता बनर्जी ने तीन घंटे तक दिया धरना
चुनाव आयोग ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था। यह रोक 12 अप्रैल की रात 8 बजे से 13 अप्रैल की रात 8 बजे तक लागू रहेगी। आयोग की इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ ममता बनर्जी ने मंगलवार को कोलकाता में स्थित गांधी मूर्ति के बाहर तीन घंटे तक धरना दिया। उन्होंने आयोग के इस फ़ैसले को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया था।
'आचार संहिता का उल्लंघन'
चुनाव आयोग ने सोमवार की शाम एक आदेश जारी कर कहा है कि ममता बनर्जी का 7 अप्रैल का बयान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। उसने यह भी कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की इस नेता ने जन प्रतिनिधित्व क़ानून का भी उल्लंघन किया है।चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी पर यह कार्रवाई उनके बयान की वजह से किया है, जिसमें उन्होंने मुसलमानों से कहा था कि वे अपना वोट न बँटने दें। चुनाव आयोग के मुताबिक़ ममता बनर्जी ने कहा था, 'मैं अपने मुसलमान भाइयों-बहनों से हाथ जोड़ विनती करती हूँ कि वे अपना वोट उस शैतान के कहने पर न बँटने दें जिसने बीजेपी से पैसे लिए हैं।'
क्या कहा है चुनाव आयोग ने?
चुनाव आयोग के मुताबिक़, ममता बनर्जी ने 8 अप्रैल को एक टेलीविज़न चैनल पर कहा था, "ममता बनर्जी बाहर की नहीं है। बाहरी लोग कौन हैं? बाहर के वे लोग हैं जो बाहर से गुंडे बुला कर ले आए हैं।"चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि ममता बनर्जी ने लोगों से कहा था कि 'एक ग्रुप बना कर केंद्रीय सुरक्षा बलों के घेराव करें और दूसरा ग्रुप वोट डाल कर आएं।'
ममता का जवाब खारिज
चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के दिए हुए जवाब की भी चर्चा की है और उसे खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने बयान में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की इस नेता ने 10 अप्रैल को दिए जवाब में कहा था कि उन्होंने तो सिर्फ यह कहा था कि यदि सीएपीफ़ के लोग आपको मताधिकार का प्रयोग न करने दें तो आप लोकतांत्रिक तरीके से ही उसका विरोध करें और उनका घेराव करें।
चुनाव आयोग ने कहा है कि ममता बनर्जी ने अहम मुद्दों को जानबूझ कर छोड़ दिया है और उन पर जवाब नहीं दिया है।
उसने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में एक बार फिर सीएपीएफ़ पर आरोप लगाए हैं, इसके लिए उन्हें अलग से चिट्ठी लिखी जाएगी।
टीएमसी का पलटवार
तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया है और कहा कि उसे समझौता कर लिया है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा,EC stands for Extremely Compromised.
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) April 12, 2021
मुख्य आयुक्त का अंतिम फ़ैसला
यह जानना दिलचस्प है कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का आख़िरी फ़ैसला है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब बंगाल में चार चरणों के लिए मतदान हो चुका है। ग़ौरतलब है कि सुशील चंद्रा अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए गए हैं, वह मंगलवार को पदभार ग्रहण करेंगे।मोदी ने क्या कहा था?
याद दिला दें कि ममता के भाषण को आधार बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कूच बिहार की रैली में हिन्दुओं को एकजुट होने की अपील की थी, मगर उनका अंदाज़-ए-बयाँ कुछ अलग था। पीएम मोदी ने कहा था कि अगर वे कहेंगे कि ‘हिन्दुओं एक हो जाओ’ तो उनके पास चुनाव आयोग के 8 से 10 नोटिस आ जाएँगे। सवाल यह है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नोटिस भेजा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्या बख्श दिया?प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी पर तंज करते हुए कहा था, "दीदी, आप वैसे तो चुनाव आयोग को गालियाँ देती हैं, लेकिन हमने ये कहा होता कि सारे हिंदू एकजुट हो जाओ, बीजेपी को वोट दो, तो हमें इलेक्शन कमीशन के 8-10 नोटिस मिल गए होते। सारे देश के एडिटोरियल हमारे ख़िलाफ़ हो गए होते।"
बाद में ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर काफी आक्रामक रवैया अपना लिया था और कहा था कि उन्हें एक नहीं 10 नोटिस मिलें तो भी वह यह कहती रहेंगी कि धर्म के आधार पर वोटों का बँटवारा नहीं होना चाहिए।
याद दिला दें कि दूसरे चरण के चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने 63 शिकायतें चुनाव आयोग को भेजी थीं, लेकिन ममता का दावा है कि किसी पर भी आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
क्या बीजेपी के जाल में फँस गईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री? देखिए, वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी का क्या मानना है।