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नीति आयोग की बैठक में ममता का माइक बंद, वॉकआउट, नहीं बोलने देने का आरोप

नीति आयोग की बैठक में ममता का माइक बंद, वॉकआउट, नहीं बोलने देने का आरोप

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में शनिवार 27 जुलाई को हो रही नीति आयोग की बैठक से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वॉक आउट कर दिया। वजह यह थी कि उनको सिर्फ 5 मिनट बोलने दिया गया, जबकि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 20-20 मिनट बोलने को मिले। नीति आयोग की बैठक का रंग विपक्ष ने फीका कर दिया है। इंडिया गठबंधन दलों वाले मुख्यमंत्री पहले से ही बैठक का बहिष्कार कर रहे थे। ममता वहां अकेली पहुंची थीं। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नीति आयोग की बैठक से निराश होकर बाहर निकल आईं।  उन्होंने केंद्र सरकार पर जानबूझ कर बातचीत के लिए पर्याप्त समय न देकर उनका अपमान करने का आरोप लगाया, जबकि बैठक में मौजूद एनडीए राज्यों के मुख्यमंत्री सदस्यों को ज्यादा समय दिया गया। नीति आयोग की शनिवार की बैठक शुरू से ही विवादों के केंद्र में है। क्योंकि विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसके बहिष्कार की घोषणा पहले ही कर रखी थी।

मैं बोल रही थी, मेरा माइक बंद कर दिया गया। यह सिर्फ बंगाल का अपमान नहीं है। यह सभी क्षेत्रीय पार्टियों का अपमान है।


-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल, 27 जुलाई 2024 सोर्सः पीटीआई/एएनआई

बाकी विपक्षी राज्यों के सीएम के रास्ते पर न चलते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने यह रास्ता निकाला कि वो नीति आयोग की बैठक में शनिवार को शामिल होंगी, ताकि अपने राज्य की मांगों को प्रधानमंत्री के सामने रख सकें। इसके बावजूद ममता बनर्जी को नीति आयोग में समय नहीं दिया गया।

टीएमसी प्रमुख ने बताया कि वह एकमात्र विपक्षी सदस्य थीं और उन्हें बोलने से रोकने के लिए "भेदभावपूर्ण कार्रवाई" की गई जो "अपमान" है। न सिर्फ बंगाल बल्कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के प्रमुखों या सीएम को मौका नहीं दिया गया।” 

चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट का समय दिया गया था, असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के सीएम ने 10-12 मिनट तक बात की।


-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल, 27 जुलाई 2024 सोर्सः पीटीआई/एएनआई

एएनआई और पीटीआई ने ममता की जो वीडियो बाइट जारी की है। उसमें ममता कह रही हैं- "...मैंने कहा था कि आपको (केंद्र सरकार) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे केवल 5 मिनट के लिए बोलने की अनुमति दी गई। मुझसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बोला। विपक्ष में मैं अकेली थी जो भाग ले रही थी लेकिन फिर भी मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह अपमानजनक है।''

यह राजनीतिक पक्षपातपूर्ण बजट है। आप अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियाँ दें या योजना आयोग को वापस लाएँ।''


-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल, 27 जुलाई 2024 सोर्सः पीटीआई/एएनआई

कई विपक्ष शासित राज्यों ने घोषणा की थी कि वे बैठक का बहिष्कार करेंगे। तीन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों - कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने घोषणा की है कि वे केंद्रीय बजट 2024 में अपने राज्यों के प्रति भेदभाव को लेकर बैठक में शामिल नहीं होंगे।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन के साथ-साथ केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब और दिल्ली सरकारों ने कहा है कि वे भी बैठक का बहिष्कार करेंगे।

बैठक 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, सरकारी हस्तक्षेपों के वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।

नीति आयोग में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं। बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मेलन के दौरान, पाँच प्रमुख विषयों पर सिफारिशें की गईं - पेयजल: पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली: गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य: पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा: पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति: पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण।

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