ममता बनर्जी नाराज, I.N.D.I.A प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीएमसी नेता क्यों नहीं आए
विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं ने शुक्रवार को मुंबई में अपनी एकजुटता दिखाई, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी सीट-बंटवारे को लेकर समझौते की समयसीमा तय करने में नाकामी से नाखुश नजर आईं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बैठक के बाद गठबंधन नेताओं द्वारा संबोधित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुईं। ममता और उनके भतीजे लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी बैठक खत्म होने के फौरन बाद कार्यक्रम स्थल से हवाईअड्डे के लिए रवाना हो गए। टीएमसी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए। इससे पहले बैठक में अभिषेक और ओ'ब्रायन दोनों ने तर्क दिया था कि पार्टियों के सामने सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारे का है और इसे पहले उठाया जाना चाहिए। इसी तरह आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रीय जनता दल (आरेजडी), समाजवादी पार्टी (सपा) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित कुछ अन्य दल भी चाहते हैं कि सीट-बंटवारे पर जल्द से जल्द फैसला हो।
हालांकि इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि टीएमसी "इंडिया गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध" है, लेकिन वह चाहती है कि सीटों के बंटवारे पर "तेज गति" से फैसला किया जाए। पार्टी का विचार था कि बैठक में एक समयसीमा तय होनी चाहिए थी। उसी समयसीमा में सीट-बंटवारे की बातचीत पूरी हो जानी चाहिए। इसे लंबा नहीं खींचा जाना चाहिए।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का भी मानना है कि सीट बंटवारा प्राथमिकता है। उन्होंने तर्क दिया था कि सीट-बंटवारे पर चर्चा जल्द से जल्द की जानी चाहिए। हालांकि कांग्रेस पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल को छोड़कर, 545 सीटों में से 440 पर गठबंधन के उम्मीदवार उतारने की संभावना पर विचार कर रही है।
सीट शेयरिंग को लेकर मीडिया को जो बयान जारी किया गया था, उसमें एक शब्द जोड़ा गया था कि जहां तक संभव हो सकेगा सभी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दरअसल, केरल और पश्चिम बंगाल में इंडिया के घटकों - बंगाल में टीएमसी, वामपंथी और कांग्रेस, और केरल में वामपंथी और कांग्रेसियों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। यही वजह है कि प्रेस नोट में "जहाँ तक संभव हो सकेगा" शब्दों को शामिल किया गया।
इंडिया गठबंधन की दो बैठकें पटना और बेंगलुरु में हुईं थी। तीसरी मुंबई बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। उसमें लिखा है- "हम, इंडिया की सभी पार्टियां, आगामी लोकसभा चुनाव जहां तक संभव हो मिलकर लड़ने का संकल्प लेते हैं...।" संकेतों को आसानी से समझा जा सकता है कि खिचड़ी अभी पूरी तरह पकी नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बैठक में भाग लेने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह तेजी से फैसले ले रहे हैं, उसे देखते हुए, पार्टियां सितंबर के अंत तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने और अपनी तैयारी शुरू करने पर सहमत हुईं हैं। नेता ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा सितंबर के मध्य में बुलाए गए विशेष संसद सत्र के संदर्भ में भी चर्चा हुई।”
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान लचीला रुख अपनाएगी और सभी को शामिल करने की कोशिश करेगी। यह आश्वासन दिल्ली सेवा कानून के खिलाफ पार्टी के रुख के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की केजरीवाल की प्रशंसा के जवाब में दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि जेडीयू, सपा और आरजेडी के नेताओं की भी राय थी कि सीट बंटवारे को प्राथमिकता देना चाहिए। कुछ लोगों के अनुसार, टीएमसी का मानना है कि कांग्रेस शायद वामपंथियों के कहने पर "धीमी गति से चलना" चाहती है। वामपंथी सूत्रों ने कहा कि टीएमसी को "व्यावहारिक नजरिया" अपनाना चाहिए और पार्टियों को सीट-बंटवारे समझौते के लिए जल्दबाजी करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि बैठक में समाजवादी दलों - आरजेडी, जेडीयू और सपा ने इस महीने के अंत में संसद के विशेष सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की मांग की। पार्टियां चाहती थीं कि विपक्ष जाति जनगणना के मुद्दे पर सरकार को घेरे। हालांकि बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी को इस पर विचार करने के लिए कुछ समय चाहिए।
हालांकि टीएमसी के सूत्रों ने कहा कि पार्टी जाति जनगणना के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसमें "धार्मिक रंग" लाए जाने के खिलाफ है। हम अगले दो सप्ताह में इस मुद्दे का अध्ययन करेंगे और तब प्रतिक्रिया देंगे।... विशेष सत्र के लिए अभी भी कुछ समय है।''