ओडिशा ट्रेन हादसा: सीबीआई जाँच क्या जवाबदेही से बचने की कोशिश?
कानपुर में 7 साल पहले ट्रेन हादसा हुआ था और उसमें क़रीब डेढ़ सौल लोग मारे गए थे। एनआईए जाँच कराई गई। साज़िश का आरोप लगाया गया। साज़िश के ऐंगल ने पूरी डिबेट को ही अलग दिशा में मोड़ दिया। लेकिन उस एनआईए जाँच का क्या हुआ? क्या आपने सुना कि एनआईए चाँज की चार्जशीट भी कभी आई? कानपुर हादसे के छह साल बाद अब ओडिशा में हादसा हुआ है और 275 लोगों की मौत हो गई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि रेलवे बोर्ड ने सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश की है। तो इस जाँच का नतीजा क्या होगा?
कुछ ऐसा ही सवाल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के यह कहने के एक दिन बाद कि रेलवे बोर्ड ने ओडिशा ट्रेन दुर्घटना की सीबीआई जाँच का फैसला किया है, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा है कि तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए सीबीआई जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियाँ जवाबदेही तय नहीं कर सकती हैं।
The devastating train accident in Odisha has shocked the nation.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 5, 2023
Today, the most crucial step is to prioritise installation of mandatory safety standards to ensure safety of our passengers
My letter to PM, Shri @narendramodi, highlighting important facts. pic.twitter.com/fx8IJGqAwk
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है, 'सीबीआई अपराधों की जाँच करने के लिए है, रेल दुर्घटनाओं की नहीं। सीबीआई, या कोई अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी, तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है। इसके अलावा उनके पास रेलवे सुरक्षा, सिग्नलिंग और रखरखाव के बारे में तकनीकी विशेषज्ञता की कमी है।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बात पर हैरानी जताई है कि जब रेल मंत्री को हादसे की वजह का पता चल गया है तो फिर सीबीआई की जाँच क्या कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा है, 'रेल मंत्री दावा करते हैं कि उन्हें पहले ही एक मूल कारण मिल गया है, लेकिन फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध किया है।' उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रभारी लोग- आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव- यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि समस्याएँ हैं।
बता दें कि ओडिशा ट्रेन हादसे में कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई है और क़रीब 1000 लोग घायल हो गए। इस हादसे को लेकर जब रेल मंत्री का इस्तीफा मांगा जा रहा है तो अमित मालवीय ने इसके जवाब में रेल मंत्री के तौर पर नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और लालू यादव के कार्यकाल के हादसों के आँकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं। तो सवाल है कि ओडिशा ट्रेन हादसे की ज़िम्मेदारी कोई लेने को तैयार क्यों नहीं है? क्या उस हादसे के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है?
ऐसे ही सवाल 2016 में तब पूछे गए थे जब कानपुर में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था। 20 नवंबर 2016 की रात करीब तीन बजे इंदौर से राजेंद्र नगर (पटना) जा रही एक्सप्रेस ट्रेन कानपुर के पास पुखरायां में पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 150 लोगों की मौत हो गई थी। तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने हादसे के पीछे रेल की पटरी पर आई दरार के वजह होने की आशंका जताई थी।
तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि रेलवे बोर्ड सदस्य हादसे के कारणों की जांच कर रहे हैं और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।
इस हादसे के पीछे भी किसी तरह के षडयंत्र की बात कही गई। उसी के आधार पर एनआईए ने इसकी जांच भी शुरू की थी। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि इसमें कोई षडयंत्र नहीं पाया गया था। एनआईए की जाँच से अलग रेलवे की जांच में पांच रेल कर्मियों को इसके लिए दोषी पाया गया और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
कानपुर ट्रेन हादसे के मुद्दे को ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उठाया है। उन्होंने तर्क दिया है कि 2016 में तत्कालीन रेल मंत्री ने एनआईए से कानपुर ट्रेन हादसे की घटना की जांच करने को कहा था, लेकिन इसमें क्या निकाला।
खड़गे ने पूछा, "इसके बाद आपने खुद 2017 में एक चुनावी रैली में दावा किया था कि यह 'एक साजिश' थी। राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। हालांकि, 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और चार्जशीट दायर करने से इनकार कर दिया। देश अभी भी अंधेरे में है- टाली जा सकने वाली 150 मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है?"
उन्होंने कहा, 'अब तक के बयान और आवश्यक विशेषज्ञता के बिना एक और एजेंसी को शामिल करना हमें 2016 की याद दिलाता है। वे दिखाते हैं कि आपकी सरकार का सिस्टेमैटिक सुरक्षा की समस्या को दूर करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को पटरी से उतारने के लिए डायवर्जन रणनीति ढूंढी जा रही है।'
खड़गे ने कहा कि ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना सभी के लिए आँख खोलने वाली है। उन्होंने कहा, 'रेल मंत्री के सभी खोखले सुरक्षा दावों की अब पोल खुल गई है। सुरक्षा में इस गिरावट को लेकर आम यात्रियों में गंभीर चिंता है। इसलिए, यह सरकार का दायित्व है कि वह इस गंभीर दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाए और सबके सामने लाए। आज, हमारे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बालासोर जैसी दुर्घटना दुबारा न हो, इसके लिए रेलवे मार्गों पर ज़रूरी सुरक्षा मानकों और उपकरणों को लगाने को प्राथमिकता देना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
खड़गे ने कहा,
“
रेलवे को बुनियादी स्तर पर मजबूत करने पर ध्यान देने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए केवल सतही टच-अप किया जा रहा है।
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष
खड़गे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से 11 सवाल किए। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा, 'इस दुर्घटना वाली जगह वाले ईस्ट कोस्ट रेलवे में लगभग 8,278 पद रिक्त हैं। वरिष्ठ पदों के मामले में भी उदासीनता और लापरवाही की वही कहानी है। नब्बे के दशक में 18 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारी थे, जो अब घटकर लगभग 12 लाख रह गए हैं, जिनमें से 3.18 लाख अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं। ...यह पूछने के लिए एक सही सवाल है कि पिछले 9 वर्षों में इतनी बड़ी संख्या में रिक्तियों को क्यों नहीं भरा गया है?'
उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने खुद माना है कि कर्मचारियों की कमी के कारण लोको पायलटों को अनिवार्य घंटों से ज्यादा घंटे काम करना पड़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोको पायलट सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका ओवरबर्डन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण साबित हो रहा है। उन्होंने पूछा है कि उनके पद अभी तक क्यों नहीं भरे गए?
खड़गे ने फरवरी में कर्नाटक स्थित दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक द्वारा उनके सिग्नलिंग समकक्ष को लिखे एक पत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के साथ सिग्नल विफलता के मुद्दे का ज़िक्र किया गया था। उन्होंने कहा कि क्यों और कैसे रेल मंत्रालय इस महत्वपूर्ण चेतावनी को अनदेखा कर सकता है?
खड़गे ने बताया कि परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने रेलवे सुरक्षा आयोग की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड की पूर्ण उदासीनता और लापरवाही की आलोचना की थी और सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने के लिए रेलवे बोर्ड की खिंचाई की। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 2017-18 और 2020-21 के बीच देश भर में चार में से लगभग तीन रेल दुर्घटनाएँ पटरी से उतरने के कारण हुईं। खड़गे ने पूछा कि चेतावनी पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
उन्होंने पूछा, 'पिछली सरकार की ट्रेन-टकराव रोधी प्रणाली रक्षा कवच को ठंडे बस्ते में डालने की योजना क्यों बनाई गई थी? आपकी सरकार ने बस योजना का नाम बदलकर कवच कर दिया और मार्च 2022 में खुद रेल मंत्री ने इस योजना को एक नए आविष्कार के रूप में पेश किया। लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि भारतीय रेलवे के केवल 4 प्रतिशत मार्गों को अब तक कवच द्वारा संरक्षित क्यों किया गया है?'
खड़गे ने प्रधानमंत्री से 2017-18 में केंद्रीय बजट के साथ भारतीय रेलवे के बजट को विलय करने का कारण भी पूछा। उन्होंने पूछा कि क्या इससे भारतीय रेलवे की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है?