खड़गे ने संभाला कार्यभार; सामने है 2024 के चुनाव की चुनौती
बीते हफ्ते हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में जीत हासिल करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कार्यभार संभाल लिया। कांग्रेस के मुख्यालय 24, अकबर रोड पर हुए भव्य आयोजन में खड़गे ने कार्यभार संभाला। मधुसूदन मिस्त्री ने खड़गे को जीत का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
इस मौके पर कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। पदभार संभालने से पहले खड़गे महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर पहुंचे।
खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में शशि थरूर को हराया था। खड़गे ऐसे वक्त में कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं जब पार्टी तमाम चुनौतियों से जूझ रही है। खड़गे के सामने 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाना एक बड़ी चुनौती है। 80 साल के खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी मजबूत होगी।
सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस को 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी।
इस मौके पर उपस्थित पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि आज हमारी पार्टी के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आज देश के सामने लोकतांत्रिक मूल्यों का संकट पैदा हुआ है, उसका मुकाबला हम कैसे करें।
सोनिया ने कहा, “मैं आप सबको दिल से धन्यवाद देती हूं कि आप सबने मुझे इतना सहयोग व समर्थन दिया। अब यह जिम्मेदारी खड़गे जी के पास है, परिवर्तन संसार का नियम है, परिवर्तन जीवन के हर क्षेत्र में होता रहा है और आगे भी होता रहेगा।”
यह सम्मान बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी थी, मुझसे अपनी क्षमता व योग्यता अनुसार जितना हो सका, उतना किया। आज मैं इस दायित्व से मुक्त हो जाऊंगी, इसलिए मैं स्वाभाविक रूप से राहत महसूस कर रही हूं।
सोनिया ने कहा कि कांग्रेस के सामने पहले भी बड़े-बड़े संकट आए हैं, लेकिन पार्टी ने कभी हार नहीं मानी। हमें अब भी पूरे संकल्प के साथ, पूरी मजबूती के साथ, पूरी एकता के साथ आगे बढ़ना है।
खड़गे ने अपने संबोधन में कहा कि जो यात्रा उन्होंने 1969 में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शुरू की थी, उसे आपने आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। खड़गे ने कहा, “आज मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है, आज एक मजदूर के बेटे, एक सामान्य कार्यकर्ता को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुनने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।”
चुनौतियों का पहाड़
खड़गे के सामने कांग्रेस को जिंदा करने की चुनौती है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव सामने हैं और साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खा चुकी है। अब उसके सामने 2024 का चुनाव करो या मरो वाला है। ऐसे में खड़गे को राहुल गांधी के साथ ही पार्टी के तमाम पदाधिकारियों, नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ कदम से कदम मिलाते हुए कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में जीत दिलानी होगी। इसके साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं से भी तालमेल कायम रखते हुए एक मजबूत फ्रंट बनाने की चुनौती भी खड़गे के सामने है।
कांग्रेस इन दिनों कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी की कोशिश कांग्रेस को एकजुट करने की है। यह यात्रा 3570 किमी. लंबी है। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस देश के कई राज्यों में लोगों के बीच पहुंचने की कोशिश कर रही है और जब यह यात्रा पूरी होगी तो देखना होगा कि अगले आम चुनाव से पहले क्या पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार कर पाई है।
कौन हैं खड़गे?
खड़गे ने छात्र राजनीति से सियासत में पांव रखा। खड़गे साल 1969 में पहली बार गुलबर्ग शहर कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1972 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद वह 9 बार विधायक का चुनाव जीते। वह लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।तीन बार मुख्यमंत्री बनने से चूके
खड़गे तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। खड़गे साल 1999, 2004 और 2013 में कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे लेकिन वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे। इन तीनों मौकों पर क्रमशः एसएम कृष्णा, धर्म सिंह और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे। साल 1976 में पहली बार उन्हें देवराज उर्स की सरकार में मंत्री बनाया गया था।
खड़गे कर्नाटक में कांग्रेस की कई सरकारों में मंत्री भी रहे और विधानसभा में विपक्ष के नेता भी। इसके अलावा वह कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे अहम पद पर भी रह चुके हैं। साल 2009 में जब उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता तो वह राष्ट्रीय राजनीति में आए। मनमोहन सिंह की सरकार में उन्होंने श्रम मंत्री रहने के अलावा रेलवे और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भी संभाला।