खड़गे का मोदी पर हमला- 'ना मणिपुर एक है, ना मणिपुर सेफ़ है'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर में बिगड़ते हालात को लेकर पीएम मोदी पर उनके ही 'विभाजनकारी' नारे से हमला किया है। खड़गे ने कहा है कि 'ना मणिपुर एक है, ना मणिपुर सेफ़ है'। मणिपुर के हालात ऐसे हैं कि ग़ुस्साई भीड़ ने मुख्यमंत्री के आवास पर धावा बोलने की कोशिश की। कई बीजेपी विधायकों के आवास पर तोड़फोड़, आगजनी की गई। जिरीबाम जिले में हिंसा की लहरें राजधानी इंफाल तक पहुंच गई हैं। इसके बाद प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट को बंद कर दिया गया।
इधर, प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए 'एक हैं तो सेफ़ हैं' का नारा दे रहे हैं। मणिपुर हिंसा से पीएम मोदी के नारे को जोड़ते हुए खड़गे ने रविवार को कहा कि 'न तो मणिपुर एकजुट है और न ही भाजपा की डबल इंजन सरकारों में यह सुरक्षित है।'
.@narendramodi ji,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) November 17, 2024
Under your double engine governments, “ना Manipur एक है, ना Manipur Safe है”
Since May 2023, it is undergoing unimaginable pain, division and simmering violence, which has destroyed the future of its people.
We are saying it with utmost responsibility that…
एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में खड़गे ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए लिखा, "नरेंद्र मोदी जी, आपकी डबल इंजन सरकारों के तहत, 'ना मणिपुर एक है, ना मणिपुर सेफ़ है'। मई 2023 से यह अकल्पनीय दर्द, विभाजन और उबलती हिंसा से गुजर रहा है, जिसने इसके लोगों के भविष्य को तबाह कर दिया है। हम इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं कि ऐसा लगता है कि भाजपा जानबूझकर मणिपुर को जलाना चाहती है, क्योंकि इससे उसकी घृणास्पद विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा मिलता है।"
उन्होंने आगे कहा, '7 नवंबर से अब तक कम से कम 17 लोगों की जान जा चुकी है। संघर्षग्रस्त क्षेत्रों की सूची में नए जिले जोड़े जा रहे हैं और आग सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्यों तक फैल रही है। आपने एक खूबसूरत सीमावर्ती राज्य मणिपुर को निराश किया है। भले ही आप भविष्य में मणिपुर जाएँ, राज्य के लोग कभी माफ़ नहीं करेंगे या भूलेंगे नहीं कि आपने उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया, और उनके दुखों को दूर करने और समाधान खोजने के लिए कभी उनके राज्य में कदम नहीं रखा।'
ताज़ा हिंसा तब हुई जब शनिवार को एक महिला और दो बच्चों के शव जिरी नदी में तैरते पाए गए। माना जा रहा है कि ये तीन लोग सोमवार से जिरीबाम से लापता छह मैतेई लोगों के हैं। कुछ दिन पहले ही एक मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों के मारे जाने के एक दिन बाद मंगलवार को 2 मैतेई लोग मृत पाए गए थे। इसके अलावा राहत शिविर से 6 लोग लापता थे। लापता लोगों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं।
3 मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष जारी है और देढ़ साल में ढाई सौ से ज़्यादा लोग मारे गए हैं।
मार्च 2023 में हाईकोर्ट के आदेश में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को कहा गया था। इस आदेश पर प्रतिक्रिया हुई और 3 मई को कुकी-जो छात्रों द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया। इसके बाद हिंसा शुरू हुई और अगले 3 दिनों में ही कम से कम 52 लोगों की मौत हो चुकी थी।
आने वाले दिनों में दो समुदायों के बीच यह हिंसा बढ़ती रही। आज स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि इस संघर्ष में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 1500 से अधिक लोग घायल हुए हैं, 32 से अधिक लापता हैं, सुरक्षा बलों के 16 जवानों की मौत हो चुकी है, 14 हज़ार से अधिक घर गिराए जा चुके हैं और 60 हज़ार से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।
क़रीब दो महीने पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने वादा किया था कि केंद्र की मदद से छह महीने में राज्य में पूर्ण शांति बहाल कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री भले ही राज्य में शांति बहाली के दावे कर रहे हैं, लेकिन हालात अब और बदतर होते दिख रहे हैं।
ऐसी ही विफलताओं को देखते हुए खड़गे ने कहा कि दोनों सरकारें 'सुंदर सीमावर्ती राज्य में विफल रही हैं' और मणिपुर के लोग उनकी स्थिति के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे या भूलेंगे नहीं।
इस बीच, मणिपुर पुलिस अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कथित घरों में तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल भीड़ का हिस्सा रहे 23 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार इन व्यक्तियों को राज्य के इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और बिष्णुपुर जिलों से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि इसके अलावा पुलिस अधिकारियों ने उनके कब्जे से एक .32 पिस्तौल, एसबीबीएल की सात राउंड गोलियां और आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं। राज्य में बढ़ते तनाव के बीच अगले आदेश तक इंफाल में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके बाद सरकार ने तुरंत दो दिनों के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को निलंबित कर दिया। इस घटना के बाद इंफाल में सेना और असम राइफल्स समेत भारी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
हाल की इन घटनाओं को देखते हुए ही बड़े पैमाने पर हिंसा का आशंका जताई जा रही थी और इसको काबू करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। तीन दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल यानी सीएपीएफ़ की 20 अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात की हैं, जिनमें लगभग 2,000 जवान हैं।
नई तैनाती के साथ राज्य में तैनात सीएपीएफ कर्मियों की संख्या लगभग 22 हज़ार हो गई है। अब 218 कंपनियां तैनात हैं। प्रत्येक कंपनी में लगभग 80-120 कर्मी होते हैं। मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए असम से सीआरपीएफ़ की 15 कंपनियों और त्रिपुरा से सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ की पांच कंपनियों को वापस बुलाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि 30 नवंबर तक मणिपुर सरकार के पास सीएपीएफ की 218 कंपनियां उपलब्ध रहेंगी। अतिरिक्त बलों को कांगपोकपी, चुआरचंदपुर और जिरीबाम जैसे सभी संवेदनशील क्षेत्रों और घाटी और पहाड़ी जिलों के बीच बफर जोन में तैनात किया गया।