मालेगांव ब्लास्ट में कर्नल पुरोहित को आरोप मुक्त करने से कोर्ट का इनकार
बाम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार 2 जनवरी को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोप मुक्त करने की याचिका खारिज कर दी। पुरोहित और बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित छह अन्य आरोपी सितंबर 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोट के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मालेगांव ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
इस मुकदमे में खुद को बरी किए जाने की मांग के अन्य आधारों के अलावा, कर्नल पुरोहित ने दावा किया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मंजूरी नहीं ली गई है।
जस्टिस ए. एस. गडकरी और प्रकाश नाइक की पीठ ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मंजूरी की जरूरत नहीं है क्योंकि "वह आधिकारिक ड्यूटी पर नहीं थे।"
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को, महाराष्ट्र के नासिक जिले के संवेदनशील शहर मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए।
मामले की प्रारंभिक जांच करने वाली महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार, जिस मोटरसाइकिल में विस्फोटक बांधा गया था, वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बाद में मामले की जांच अपने हाथ में ली।
चार्जशीट में क्या कहा गया था
लाइव लॉ के मुताबिक, चार्जशीट में पुरोहित और अन्य पर आरोप लगाते हुए कहा गया है- वे भारत के संविधान से असंतुष्ट थे और अपना संविधान तैयार करना चाहते थे।" पुरोहित कश्मीर से आरडीएक्स खरीद कर लाए थे।
पुरोहित का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील नीला गोखले ने सुनवाई के दौरान कहा कि एनआईए ने कहा था कि पुरोहित ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम करने वाले संगठन अभिनव भारत की बैठकों में भाग लेने के बारे में सूचित किया था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुरोहित की वकील ने कोर्ट में कहा था कि पुरोहित "भारतीय सेना के लिए खुफिया जानकारी एकत्र करने" की ड्यूटी पर था।
लेकिन एनआईए की ओर से पेश वकील संदेश पाटिल ने कहा कि पुरोहित के वकील ने अपने मामले का समर्थन करने के लिए जिस दस्तावेज का हवाला दिया, वह सेना के अधिकारी का अपना था, न कि एनआईए का। पुरोहित द्वारा पेश किए गए कुछ अन्य दस्तावेज सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी से थे और अदालतों में अस्वीकार्य हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनआईए के वकील ने इस बात से इनकार किया कि पुरोहित ड्यूटी पर थे, खासकर जब वो साजिश की बैठकों में भाग ले रहे थे। पाटिल ने यह भी कहा किया कि पुरोहित को आरोप मुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि मुकदमा काफी आगे बढ़ चुका है। एनआईए ने अब तक लगभग 300 गवाहों को ट्रायल कोर्ट में पेश किया है और इस आधार पर दोषी करार देने या दोष मुक्त करने का फैसला किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सेना के एक अधिकारी ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट के सामने बयान दिया था कि अभिनव भारत में घुसपैठ करने और खुफिया जानकारी एकत्र करने की उनकी कथित योजनाओं के बारे में अपने वरिष्ठों को सूचित करने के लिए पुरोहित की ओर से कोई कम्युनिकेशन नहीं था।