पीएम की लक्षद्वीप यात्रा पर मालदीव के मंत्री की पोस्ट से विवाद क्यों?
क्या मालदीव पर्दे के पीछे से ही नहीं, अब खुलकर भारत के ख़िलाफ़ हो गया है? मालदीव ने पिछले महीने ही भारत को वहाँ से अपने सैनिक हटाने को कहा था। फिर देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला कर लिया। क़रीब 100 ऐसे द्विपक्षीय समझौते की मालदीव फिर से समीक्षा कर रहा है। और अब मालदीव के एक मंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप की यात्रा पर एक पोस्ट से विवाद पैदा कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप द्वीपसमूह की यात्रा के कुछ दिनों बाद मालदीव के एक मंत्री ने अपने ट्वीट में भारत पर मालदीव को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत को समुद्री बीच पर्यटन में मालदीव से प्रतिस्पर्धा करने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मालदीव के मंत्री अब्दुला मजूम माजिद ने आरोप लगाया कि मालदीव को खुले तौर पर निशाना बनाना कुटनीति नहीं है।
मालदीव के मंत्री का यह ट्वीट लक्षद्वीप में स्नॉर्कलिंग के बारे में पीएम मोदी की पोस्ट के वायरल होने के बाद आया। 32 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले 36 द्वीपों वाले देश के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में पीएम मोदी की यात्रा को द्वीप पर पर्यटन को बढ़ावा देने के एक कदम के रूप में देखा गया। भारत में सोशल मीडिया यूज़रों ने मालदीव के वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में लक्षद्वीप को आगे बढ़ाने की बात कही।
मालदीव के मंत्री अब्दुला मजूम माजिद के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर मालदीव पर निशाना साधा जा रहा है। अलग-अलग ट्वीट में कई भारतीयों ने स्क्रीनशॉट साझा कर दावा किया है कि उस मंत्री के ट्वीट के बाद उन्होंने मालदीव में पहले से बुक रिजॉर्ट को रद्द कर दिया है। कुछ लोगों ने ऐसे स्क्रीनशॉट साझा कर लिखा है कि , 'माफ करना, मालदीव। अब हमारा अपना लक्षद्वीप है। मैं आत्मनिर्भर हूँ।' इसके अलावा कई ट्वीट में मालदीव के पर्यटन का बहिष्कार करने की घोषणा की गई है। कई लोगों ने ऐसे ट्वीट साझा किए हैं जिसमें मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन का पिछलग्गू बताया गया है।
दरअसल, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद पिछले कुछ महीनों में भारत-मालदीव संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। मुइज्जू ने नवंबर 2023 में राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। लेकिन चुनाव जीतने से पहले से ही वह भारत के खिलाफ़ जहर उगल रहे थे।
मुइज्जू के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मालदीव ने नवंबर महीने में ही भारत को वहाँ से अपने सैनिक हटाने को कहा था। उस अनुरोध को राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा एक आधिकारिक बयान के माध्यम से सार्वजनिक किया गया।
मालदीव के राष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा की गई घोषणा में कहा गया था कि उनका देश उम्मीद करता है कि भारत लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा। यह अनुरोध तब किया गया था जब मुइज़्जू ने माले में भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की थी। इसके कुछ दिन बाद ख़बर आई थी कि भारत सरकार ने सैनिकों को वापस बुलाने का फ़ैसला ले लिया है।
मालदीव के नए राष्ट्रपति ने दिसंबर 2023 में COP28 जलवायु वार्ता के मौके पर दुबई में पीएम मोदी से मुलाकात की थी। दोनों नेता बहुआयामी संबंधों पर चर्चा करने और संबंधों को और गहरा करने के लिए एक कोर ग्रुप गठित करने पर सहमत हुए थे। यह बैठक तब हुई थी जब मुइज्जू ने नई दिल्ली से मालदीव से 77 भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा और दोनों देशों के बीच 100 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा करने का निर्णय लिया।
मालदीव के नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। यह पहला द्विपक्षीय समझौता है जिसे नवनिर्वाचित मालदीव सरकार आधिकारिक तौर पर समाप्त कर रही है। पिछले महीने एक संवाददाता सम्मेलन में मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फ़िरुज़ुल अब्दुल खलील ने कहा था कि मुइज्ज़ू सरकार ने 7 जून, 2024 को समाप्त होने वाले हाइड्रोग्राफी समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। यह समझौता 8 जून, 2019 को हस्ताक्षरित हुआ था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के निमंत्रण पर मालदीव का दौरा किया था। भारत को मालदीव के क्षेत्रीय जल, अध्ययन और चार्ट रीफ, लैगून, समुद्र तट, महासागर की धाराओं, ज्वार आदि का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी।
तो सवाल है कि आख़िर मालदीव के साथ ऐसा क्या हो गया कि भारत से इसके रिश्ते अब पहले की तरह नहीं चलते दिख रहे हैं। दरअसल, मुइज्जू को चीन की ओर झुकाव वाला नेता माना जाता है। वह इससे पहले राजधानी माले शहर के मेयर रहे थे। वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति सोलिह 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे। मुइज्जू ने उनपर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की छूट दी है।
मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के साथ ही उनका भारत विरोधी रुख साफ दिखने भी लगा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मुइज्जू का सोमवार को चीन का दौरा करने का कार्यक्रम है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आमंत्रित किया है।
व्यापक द्विपक्षीय संबंधों और मालदीव की भारत से निकटता को देखते हुए हाल के दिनों में मुइज्ज़ू के पूर्ववर्तियों ने पहले भारत का दौरा किया था। लेकिन अब उनके नेता चीन को पहली यात्रा के लिए चुन रहे हैं। मालदीव के नए उपराष्ट्रपति हुसैन मोहम्मद लतीफ़ ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था, जो उनकी पहली विदेश यात्रा थी। मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस भेजना दोनों देशों के रिश्तों का बहुत बड़ा संकेत है।
बता दें कि भारत मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल के लिये सबसे बड़ी संख्या में प्रशिक्षण देता है और उनकी लगभग 70% रक्षा प्रशिक्षण ज़रूरतों को पूरा करता है। 'द हिन्दू' की रिपोर्ट के अनुसार, 'अब्दु और लम्मू द्वीप में 2013 से ही भारतीय नौसैनिकों और एयरफ़ोर्स कर्मियों की मौजूदगी रही है। नवंबर 2021 में मालदीव नेशनल डिफेंस फ़ोर्स ने संसदीय कमिटी से कहा था कि मालदीव में कुल 75 भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद हैं।'
वैसे, मालदीव की सुरक्षा में भारत की बेहद अहम भूमिका रही है। 1988 में राजीव गांधी ने सेना भेजकर मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था। 2018 में जब मालदीव के लोग पेय जल की समस्या से जूझ रहे थे तो मोदी सरकार ने पानी भेजा था। इसके बाद भी इसने मालदीव को कई बार आर्थिक संकट से निकालने के लिए क़र्ज़ भी दिया। लेकिन अब मालदीव का रुख काफी बदल गया है। सवाल है कि ऐसा क्यों?