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चीन से लौटते ही मुइज्जू बोले- 15 मार्च तक मालदीव से सैनिक हटाए भारत

चीन से लौटते ही मुइज्जू बोले- 15 मार्च तक मालदीव से सैनिक हटाए भारत

भारत और मालदीव ख़राब रिश्तों और मालदीव के नव नियुक्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की चीन यात्रा के बीच अब भारतीय सैनिकों को हटाने को लेकर अब नया बयान आया है।

मालदीव ने अब अपने यहाँ से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए समय सीमा तय कर दी है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा है कि भारत सरकार 15 मार्च से पहले द्वीपसमूह राष्ट्र से अपनी सैन्य उपस्थिति हटा ले। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले मालदीव के मंत्रियों की हालिया अपमानजनक टिप्पणियों पर दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों के बीच आया है।

नवंबर 2023 में मालदीव के नए राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को कम करने और चीन के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत से देश में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने का अनुरोध किया था।

मालदीव के राष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा की गई घोषणा में कहा गया कि उनका देश उम्मीद करता है कि भारत लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा। यह अनुरोध तब किया गया जब मुइज़्जू ने माले में भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की थी। इसके कुछ दिन बाद ख़बर आई थी कि भारत सरकार ने सैनिकों को वापस बुलाने का फ़ैसला ले लिया है।

बता दें कि भारत मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल के लिये सबसे बड़ी संख्या में प्रशिक्षण देता है और उनकी लगभग 70% रक्षा प्रशिक्षण ज़रूरतों को पूरा करता है। अब्दु और लम्मू द्वीप में 2013 से ही भारतीय नौसैनिकों और एयरफ़ोर्स कर्मियों की मौजूदगी रही है। नवंबर 2021 में मालदीव नेशनल डिफेंस फ़ोर्स ने संसदीय कमिटी से कहा था कि मालदीव में कुल 75 भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद हैं।

भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को लेकर मुइज्जू राष्ट्रपति बनने से पहले से ही मुद्दा बना रहे थे। दरअसल, मालदीव में हाल में चुनाव हुए हैं। मुइज्जू नये राष्ट्रपति बने हैं। मुइज्जू लंबे समय से भारत के विरोधी रुख अपनाए हुए हैं। वह अपने चुनाव अभियान के दौरान से ही भारत के ख़िलाफ़ जहर उगलते रहे हैं। दो महीने पहले ही उन्होंने साफ़ तौर पर कह दिया था कि वह भारतीय सैनिकों को मालदीव से वापस भेजेंगे।

अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो और विदेशी सैनिकों को मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।

दरअसल, मुइज्जू को चीन की ओर झुकाव वाला नेता माना जाता है। वह इससे पहले राजधानी माले शहर के मेयर रहे थे। वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति सोलिह 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे। मुइज्जू ने उनपर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की छूट दी है। 

सैनिकों को हटाने के लिए कहने के बाद मालदीव की मुइज्जू सरकार ने देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। कहा जा रहा है कि मालदीव भारत के साथ 100 ऐसे समझौते की समीक्षा कर रहा है।

भारत-मालदीव संबंध हाल ही में तब और खराब हो गए जब मालदीव के नेताओं, मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाया। इंटरनेट पर कई लोगों द्वारा लक्षद्वीप के प्राचीन समुद्र तटों की तुलना मालदीव से किए जाने के बाद मालदीव के मंत्रियों ने अपमानजनक टिप्पणियों के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की।

इस पर भारत की ओर से तीखी आलोचना हुई और कई लोगों ने मालदीव के बहिष्कार का आह्वान किया। भारत ने आधिकारिक तौर पर मालदीव के साथ इस मुद्दे को उठाया और तीन मंत्रियों, मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद को मुइज्जू सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया।

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