बंगाल: स्वपन दासगुप्ता की उम्मीदवारी से बीजेपी को लगा झटका?
पश्चिम बंगाल में बीजेपी एक और मामले में फँसती दिख रही है। पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में नाम आने के बाद स्वपन दासगुप्ता को राज्यसभा सांसद से अयोग्य क़रार दिए जाने की मांग उठी है। इस मुद्दे को तृणमूल कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में उठाए जाने की संभावना है। समझा जाता है कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी को चोट लगने, एक पैर पर प्लास्टर चढ़ने और व्हील चेयर पर प्रचार करने से बैकफुट पर आई बीजेपी के लिए स्वपन दासगुप्ता का मामला भी मुश्किल में डालने वाला है।
इस मामले में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में नाम आने के बाद स्वपन दासगुप्ता राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य क़रार दिए जाएँगे? ऐसा इसलिए कि तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने उनको अयोग्य करार दिए जाने की माँग की है।
मोइत्रा ने इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का हवाला दिया है।
पश्चिम बंगाल में 6 अप्रैल को होने वाले तीसरे चरण के मतदान के लिए बीजेपी ने दो दिन पहले ही रविवार को 26 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी जिसमें स्वपन दासगुप्ता का नाम भी शामिल है। 2016 में राज्यसभा में मनोनीत सदस्य स्वपन दासगुप्ता को पश्चिम बंगाल के तारकेश्वर विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है।
इस घोषणा पर ख़ुद स्वपन दासगुप्ता ने ही ख़ुशी ज़ाहिर की थी और इसको लेकर उन्होंने ट्वीट भी किया था।
Honoured to be nominated by the West Bengal BJP to contest from Tarakeshwar—a centre of Bengal’s cultural heritage. I look forward to the campaign for a new, vibrant Sonar Bangla
— Swapan Dasgupta (@swapan55) March 14, 2021
लेकिन विवाद तब खड़ा हुआ जब तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मामले में संविधान का हवाला देते हुए सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट किया, 'स्वपन दासगुप्ता पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवार हैं। संविधान की 10वीं अनुसूची कहती है कि यदि कोई राज्यसभा का मनोनीत सांसद शपथ लेने के 6 माह की अवधि ख़त्म होने के बाद अगर किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है तो उसे राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य क़रार दिया जाएगा। उन्हें अप्रैल 2016 में शपथ दिलाई गई थी, जो अभी जारी है। बीजेपी में शामिल होने के लिए उन्हें अब अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।'
Swapan Dasgupta is BJP candidate for WB polls.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) March 15, 2021
10th Schedule of Constitution says nominated RS member to be disqualified if he joins any political party AFTER expiry of 6 months from oath.
He was sworn in April 2016, remains unallied.
Must be disqualified NOW for joining BJP. pic.twitter.com/d3CDc9dNCe
इस ट्वीट के बाद उन्होंने एक अन्य ट्वीट में यह साबित करने की कोशिश की कि स्वपन दासगुप्ता की वास्तविक स्थिति क्या है। उन्होंने राज्यसभा वेबसाइट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा कि स्वपन दासगुप्ता मनोनीत हैं न कि औपचारिक रूप से बीजेपी की तरफ़ से। उन्होंने लिखा, 'यदि वह बीजेपी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करते हैं तो संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।'
Following up on my previous tweet - Rajya Sabha website as of today says Swapan Dasgupta is nominated & not formally BJP. If he files nomination as @BJP candidate he should be disqualified according to the Constitution’s 10th Schedule (Para 2 (3)) pic.twitter.com/b0RdQ0Rpxv
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) March 15, 2021
तारकेश्वर विधानसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल करने की आख़िरी तारीख़ 19 मार्च है। तो एक तर्क यह दिया जा सकता है कि उन्होंने तो अभी नामांकन दाखिल किया ही नहीं है तो फिर अयोग्य घोषित कैसे किया जा सकता है।
तो आपको बता दें कि 10वीं अनुसूची में दलबदल के मुद्दे पर अयोग्यता के नियम 3 में कहा गया है कि किसी सदन का नामित सदस्य तब अयोग्य घोषित किया जाएगा यदि वह शपथ लेने के 6 महीने की अवधि ख़त्म होने के बाद अगर किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है। तो सवाल है कि क्या दासगुप्ता बीजेपी में शामिल हो गए हैं?
अब जानकारों का कहना है कि यह ज़रूरी नहीं है कि स्वपन दासगुप्ता चुनाव में नामांकन करेंगे तभी बीजेपी के सदस्य के तौर पर जाने जाएँगे। यदि पार्टी आधिकारिक तौर पर ऐसी घोषणा कर दे कि मनोनीत सदस्य पार्टी में शामिल हो गया है तो भी उसकी सदस्यता जा सकती है। बता दें कि स्वपन दासगुप्ता का नाम बीजेपी द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में शामिल है।
ऐसे में राज्यसभा के उपसभापति क्या फ़ैसला लेते हैं यह सब उनपर निर्भर करेगा। ऐसे में दासगुप्ता अयोग्य क़रार दिए जाते हैं या नहीं इस पर फ़ैसला कुछ भी आए, लेकिन बीजेपी तो इस मामले में फँस ही गई है। तृणमूल कांग्रेस इसको चुनाव में मुद्दा तो बनाएगी ही।