महुआ मोइत्रा आख़िरकार लोकसभा से निष्कासित
महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को आख़िरकार लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। उनके ख़िलाफ़ लोकसभा में पेश एथिक्स पैनल की रिपोर्ट के बाद यह फ़ैसला लिया गया। इस पर चर्चा के दौरान इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा। पहले 12 बजे तक के लिए और फिर दो बजे तक के लिए। विपक्ष ने एथिक्स पैनल की रिपोर्ट की चिंताओं को दूर करने की मांग की थी। इसका कहना था कि एथिक्स पैनल की रिपोर्ट में खामियाँ हैं। संसद की कार्यवाही पर भी सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि 104 पेज की रिपोर्ट को 12 बजे पेश किया गया, दो बजे से चर्चा शुरू हुई और एक घंटे में ही निष्कासन हो गया। इतने कम समय में सांसद रिपोर्ट को कैसे पढ़ पाएँगे और क्या चर्चा हो पाएगी? यह भी सवाल उठ रहा है कि महुआ को सफाई का मौक़ा भी क्यों नहीं दिया गया।
इस कार्रवाई के बाद संसद के बाहर महुआ ने कहा कि एथिक्स कमिटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पास न तो किसी भी नकदी का और न ही किसी गिफ्ट का कोई सबूत है। उन्होंने कहा कि जब नाश मनुज पर छाता है तो पहले विवेक मर जाता है। आज की चर्चा में महुआ मोइत्रा को बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया। महुआ को बोलने की अनुमति देने की मांग की गई और कहा गया कि किसी भी आरोप के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए एक आरोपी का अधिकार है। सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, 'मैं प्रस्ताव रखता हूं- मेरी पार्टी की प्रवक्ता खुद महुआ मोइत्रा होंगी क्योंकि आरोप उनके खिलाफ हैं। बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं। चाहे सच हो या गलत, उन्हें बोलने दीजिए...।'
संसदीय आचार समिति ने लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों पर रिपोर्ट तैयार की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में संसद को महुआ को संसद से निष्कासित करने का सुझाव दिया। इसी पर संसद को फैसला लेना है। बीजेपी ने अपने सांसदों को सदन में रहने के लिए व्हिप जारी किया था। पिछले महीने ही लोकसभा की समिति ने महुआ के निष्कासन की सिफारिश की थी। आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने कहा था कि एक बैठक में आचार समिति के छह सदस्यों ने सिफारिश वाली रिपोर्ट का समर्थन किया, जबकि चार ने इसका विरोध किया।
निष्कासन की कार्यवाही से पहले और लोकसभा में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे अविश्वसनीय रूप से अपर्याप्त बताया। कथित तौर पर रिपोर्ट को जिस तेजी से अपनाया गया उस पर उन्होंने सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि समिति के सदस्यों में से एक की जानकारी के अनुसार इसमें केवल ढाई मिनट लगे।
थरूर ने एएनआई से कहा था, 'कोई उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, जिन लोगों ने आरोप लगाए हैं उनसे जिरह करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है और साथ ही बिना गंभीरता से विचार किए एक सदस्य के निष्कासन जैसी बड़ी सजा के निष्कर्ष पर पहुँचना वास्तव में अपमानजनक है। विपक्षी गठबंधन इंडिया की सभी पार्टियाँ पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यह न्याय का मखौल है, यह भविष्य के लिए एक बहुत ही ख़राब मिसाल कायम करेगा...। यह सब हमें राजनीतिक प्रतिशोध का संकेत देता है, न कि न्यायिक रूप से टिकाऊ प्रक्रिया का। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद को राजनीतिक प्रतिशोध के ऐसे प्रदर्शन में बदला जा रहा है।'
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने महुआ को निष्कासित करने की आचार समिति की सिफारिश को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और दावा किया कि इसका उद्देश्य उन्हें अडानी समूह के खिलाफ मुद्दे उठाने से रोकना था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार बंदोपाध्याय ने अध्यक्ष से कहा कि महुआ को सदन में अपना भाषण देने के लिए समय दिया जाना चाहिए, जिस पर बिड़ला ने जवाब दिया था कि मामले पर चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया जाएगा।
बंदोपाध्याय ने पूछा कि जिस सांसद ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा को प्रश्न पूछने के लिए नकद भुगतान किया गया था, उन्हें आचार समिति की बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया।
उन्होंने कहा, 'पहली बैठक (एथिक्स पैनल की) थोड़े समय में खत्म हो गई और कोई नतीजा नहीं निकल सका। दूसरी बैठक क्यों नहीं की गई? इतनी जल्दबाज़ी क्यों है?'
सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने शुक्रवार को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की आलोचना की और इसे राजनीति से प्रेरित और एक मुखर सरकारी आलोचक के खिलाफ स्पष्ट प्रतिशोध करार दिया। उन्होंने कहा, 'यह राजनीति से प्रेरित है और सरकार के आलोचक के खिलाफ पूर्ण प्रतिशोध जैसा लगता है। आचार समिति को इस तरह से कार्य नहीं करना चाहिए।'
इससे पहले महुआ ने आज सुबह पत्रकारों से कहा था, "मां दुर्गा आ गई है, अब देखेंगे… जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। उन्होंने 'वस्त्रहरण' शुरू कर दिया है और अब आप 'महाभारत का रण' देखेंगे।"
लोकसभा का एथिक्स पैनल महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा था।
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि महुआ ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली और अन्य लाभ लिया। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर दावा किया था कि महुआ ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली। निशिकांत दुबे ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया था कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह जांचा जा सके कि क्या उन तक किसी और की पहुंच थी।
इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने एक हलफनामा देकर दावा किया था कि महुआ ने उन्हें संसदीय लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया था ताकि वह उनकी ओर से सवाल पोस्ट कर सकें। हीरानंदानी ने लोकसभा की आचार समिति को वह हलफनामा दिया था।
महुआ ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों का खंडन किया है, लेकिन उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगइन आईडी पासवर्ड देने की बात स्वीकार की है। एथिक्स कमेटी ने दस्तावेजों और सबूतों के साथ तीन मंत्रालयों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर उन्हें तलब किया था।