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महुआ मोइत्रा ने संसद में पूछा, क्या नेताजी बोस हरिद्वार धर्म संसद को मंजूरी देते?

महुआ मोइत्रा ने संसद में पूछा, क्या नेताजी बोस हरिद्वार धर्म संसद को मंजूरी देते?

संसद में बहुत गंभीरता से अपनी बात रखने वाली टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के हवाले से आज शाम को संसद में बीजेपी को जमकर धोया। पढ़िए पूरा भाषण कि और क्या कहा।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने गुरुवार को लोकसभा में अपने भाषण में पूछा कि क्या नेताजी सुभाषचंद्र बोस धर्म संसद में दिए गए बयानों को मंजूरी देते।संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए, तृणमूल कांग्रेस की नेता ने राष्ट्रपति के अभिभाषण में स्वतंत्रता सेनानियों के उल्लेख को "लिप सर्विस" करार दिया।बीजेपी इन दिनों बार-बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम ले रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में इंडिया गेट पर वॉर मेमोरियल में नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किया था। इसी वजह से महुआ ने इस मुद्दे पर ध्यान खींचा।

टीएमसी सांसद ने कहा, "राष्ट्रपति के अभिभाषण में कई मौकों पर नेताजी को संदर्भित किया गया है। मैं इस गणतंत्र को याद दिलाऊं कि यह वही नेताजी हैं, जिन्होंने कहा था कि भारत सरकार को सभी धर्मों के प्रति बिल्कुल तटस्थ और निष्पक्ष रवैया रखना चाहिए। उन्होंने पूछा - 

क्या नेताजी हरिद्वार धर्म संसद को मंजूरी देते जो मुस्लिम नरसंहार के लिए खून-खराबा करने का आह्वान करती है।


महुआ मोइत्रा, सांसद, गुरुवार शाम को संसद में

1938 में कोमिला (अब बांग्लादेश) में सुभाष चंद्र बोस के एक भाषण का हवाला देते हुए, मोइत्रा ने कहा, "सांप्रदायिकता ने अपना बदसूरत सिर पूरी तरह से नग्नता में उठाया है।" उन्होंने आगे कहा कि नेताजी की इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) का प्रतीक चिन्ह टीपू सुल्तान का एक शेर (springing tiger) था। वही टीपू सुल्तान जिसे इस सरकार ने पाठ्यपुस्तकों से मिटा दिया है।

महुआ मोइत्रा ने कहा,"यह वही उर्दू भाषा है जिसे जम्मू-कश्मीर में अब पहली और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ बदल दिया गया है और यह सरकार बहुत खुश है।" उन्होंने कहा - 

नेताजी की फौज आईएनए का आदर्श वाक्य तीन उर्दू शब्द थे - इत्तेहाद, एत्माद और कुर्बानी (एकता, विश्वास और बलिदान)।


- महुआ मोइत्रा, सांसद, गुरुवार शाम को संसद में

महुआ मोइत्रा ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भारत की स्थिति का जो आकलन है, वो इससे पूरी तरह असहमत हैं। टीएमसी सांसद ने संसद में कहा, “हमारा एक जीवित संविधान है, यह तब तक सांस लेता है जब तक हम इसमें प्राण फूंकने को तैयार हैं। अन्यथा, यह सिर्फ कागज का एक टुकड़ा है, काला और सफेद, जिसे किसी भी बहुसंख्यक सरकार द्वारा भूरे रंग में धुंधला किया जा सकता है।” मैं आप सब से पूछती हूं - 

मैं आज यहां सबसे महत्वपूर्ण सवाल पूछने के लिए खड़ी हूं जो हम सभी के सामने है - हम कैसा गणतंत्र चाहते हैं, आज हम कैसा भारत चाहते हैं?


- महुआ मोइत्रा, सांसद, गुरुवार शाम को संसद में

उन्होंने कहा, 'यह सरकार इतिहास को बदलना चाहती है। वे भविष्य से डरते हैं और वे वर्तमान पर अविश्वास करते हैं।"बता दें कि सांसद महुआ मोइत्रा अपने धाकड़ विचारों के लिए जानी जाती हैं। इससे पहले भी वो संसद में तमाम विषयों पर अपने विचार रख चुकी हैं। वो अपने लोकसभा क्षेत्र में काफी लोकप्रिय भी हैं।

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