महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के बाग़ी मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए हैं। सीएम ने ऐसे कम से कम आठ बागी मंत्रियों को हटा दिया गया है।
एक आदेश में कहा गया है कि इन बागी मंत्रियों की ज़िम्मेदारियों को अन्य मंत्रियों के बीच पुनर्वितरित कर दिया गया है ताकि 'जन कल्याण कार्य रुके नहीं'। शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग के विभाग जो पहले बाग़ी समूह के नेता एकनाथ शिंदे के पास थे, अब सुभाष देसाई को सौंप दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्रियों के अलावा राज्य मंत्रियों के भी पर कतरे हैं।
बागी मंत्री गुलाबराव पाटिल से जलापूर्ति और स्वच्छता के विभाग छीन लिए गए हैं और ये विभाग अब अनिल परब को विभाग सौंपे गए हैं। कृषि और पूर्व सैनिकों के कल्याण विभाग दादाजी भूसे से छीनकर अब संदीपन भुमरे को सौंप दिए गए हैं।
उदय सावंत के पास उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग थे जो अब आदित्य ठाकरे को सौंपे गए हैं। संजय बंसोडे, सतेज पाटिल और विश्वजीत कदम के बीच शंभूराज देसाई के तीन विभागों का बँटवारा किया गया है। राजेंद्र पाटिल के मंत्रालय का बँटवारा विश्वजीत कदम, प्राजक्ता तानपुरे, सतेज पाटिल और अदिति तटकरे में किया गया है।
अब्दुल सत्तार के तीन विभागों को अब प्राजक्त तानपुरे, सतेज पाटिल और अदिति तटकरे को दिए गए हैं। ओमप्रकाश कुडू के चार प्रभारों को अब अदिति तटकरे, सतेज पाटिल, संजय बंसोडे और दत्तात्रेय भरने के बीच वितरित किए गए।
बागी मंत्रियों पर यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब महाराष्ट्र सरकार को गिराने की धमकी देने वाली शिवसेना के भीतर तकरार सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गई है।
कोर्ट में यह मामला इसलिए पहुँचा है क्योंकि विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना की अयोग्यता याचिका पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है। सभी विधायकों को उनका लिखित जवाब दाखिल करने के लिए 27 जून शाम 5.30 बजे तक का वक्त दिया गया है। इसी के ख़िलाफ़ बागी सुप्रीम कोर्ट गए हैं।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से चल रही तकरार के बीच अब उद्धव ठाकरे गुट ने सख्ती शुरू की है। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने राज्य में गहराते राजनीतिक संकट के बीच बागियों को पार्टी छोड़ने और चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने भी कुछ ऐसी ही खुली चुनौती दी है और कहा है कि मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी पार्टी से बाहर निकलकर उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे के नाम पर वोट न मांगें, वे अपने बाप के नाम पर वोट मांगें।बहरहाल, आदित्य ठाकरे ने कहा, 'अगर आप में हिम्मत है तो शिवसेना छोड़िए, दल बदल करिए और लड़िए। अगर आपको लगता है कि हमने जो किया है वह गलत है और उद्धव जी का नेतृत्व गलत है और हम सभी गलत हैं, तो इस्तीफा दें और चुनाव का सामना करें। हम तैयार हैं।'