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सीएम ने लाडकी बहन योजना की जाँच के संकेत क्यों दिए? जानें विपक्ष ने क्या कहा

सीएम ने लाडकी बहन योजना की जाँच के संकेत क्यों दिए? जानें विपक्ष ने क्या कहा

लाड़की बहन योजना के तहत अब तक 2.34 करोड़ महिलाओं को लाभ मिला है। यदि जाँच हुई तो क्या गड़बड़ी पाए जाने पर पैसे वापस लिए जाएंगे? जानिए, विपक्षी दलों ने क्या मांग की है।

क्या चुनाव से पहले ज़्यादा वोट पाने के लिए महायुति सरकार ने लाडकी बहन योजना के आवेदनों की जाँच नहीं की थी? आख़िर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसा संकेत क्यों दिया है कि महायुति सरकार की लाडकी बहन योजना की जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र उम्मीदवारों को ही इसका लाभ मिले?

लाडकी बहन योजना की जाँच के संकेतों को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने महायुति पर आरोप लगाया है कि वोट पाने के लिए ठीक से जाँच किए बिना ही योजना के तहत पैसे बाँटे गए। लेकिन इसके साथ ही इसने सरकार से उन लोगों से पैसे वापस लेने से बचने को कहा है जो मानदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं।

महाराष्ट्र में चुनाव से कुछ महीने पहले ही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने लाडकी बहन योजना की शुरुआत की थी जिसमें ग़रीब या कम आय वाली महिलाओं को 1500 रुपये महीने दिए जाने की घोषणा की गई थी। चुनाव से पहले कुछ किश्तें भी जारी की गई थीं। लाडकी बहन योजना के तहत अब तक 2.34 करोड़ महिलाओं को लाभ मिला है।

हालाँकि बाद में चुनाव के दौरान महायुति ने 1500 रुपये की इस राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये करने की घोषणा कर दी। इसको लेकर मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि यह योजना जारी रहेगी। लेकिन इसके साथ ही जाँच के संकेत भी दिए हैं। इस बीच अब शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी ने महायुति पर कई तरह के आरोप लगाए हैं और लोगों को परेशान नहीं करने की अपील की है। 

शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'अब जब आपने वोट पाने के लिए मानदंडों को सख्ती से लागू किए बिना लाभार्थियों को पैसे दे दिए हैं, तो आपको पैसे वापस लेने का अधिकार नहीं है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह नोटिस जारी न करे और महिलाओं को परेशान न करे। मुख्यमंत्री के बयान से संकेत मिलता है कि सरकार महिलाओं के खिलाफ़ अभियान चला सकती है।'

राउत ने कहा कि चुनाव से पहले महायुति सरकार ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने महिलाओं द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों की जांच नहीं की कि वे पात्रता मानदंडों को पूरा करती हैं या नहीं।

राउत ने कहा, 'जिन महिलाओं का वेतन अधिक था, जिनका वेतन 2.50 लाख रुपये सालाना से अधिक था और जिनके पास चार पहिया वाहन थे, उन्हें भी 1500 रुपये प्रति माह का लाभ दिया गया। यह सब उनके वोट पाने के लिए किया गया। अब जब महायुति सरकार पैसे बांटकर सत्ता में आई है, तो सरकार को स्वार्थी तरीके से व्यवहार नहीं करना चाहिए। उसे न केवल योजना जारी रखनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं पर किसी भी तरह की जांच न हो।'

आंदोलन शुरू करने की चेतावनी देते हुए एनसीपी (सपा) के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि अगर फडणवीस सरकार महिलाओं को पैसे वापस करने के लिए कहकर परेशान करती है या पहले से लाभान्वित लोगों को हटाती है तो उसे महा विकास अघाड़ी के ग़ुस्से का सामना करना पड़ेगा। तपासे ने कहा, 'अगर सरकार सख्ती से योजना लागू करने के नाम पर महिलाओं को किसी भी तरह से परेशान करती है, तो हम सड़क पर उतरेंगे, हम सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे...उन्हें यह पहले ही कर लेना चाहिए था, अब वे सुशासन का नाटक नहीं कर सकते।' 

तपासे ने कहा कि महायुति सरकार को अब महिला लाभार्थियों को हर महीने 2100 रुपये देने का अपना वादा निभाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'चुनाव प्रचार के दौरान महायुति के नेता वादा कर रहे थे कि वे मासिक सहायता राशि को 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये करेंगे। यहां तक ​​कि उनके घोषणापत्र में भी यही बात कही गई थी। उन्होंने मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की...अब उन्हें अपनी बात रखनी चाहिए।' 

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने कहा था कि लाडकी बहन योजना जारी रहेगी। उसी समय उन्होंने कहा था कि वादे के मुताबिक लाभ राशि 2100 रुपये प्रति माह हो जाएगी। हालांकि उन्होंने संकेत दिया था कि आवेदनों की आगे जांच भी की जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल योग्य उम्मीदवारों को ही योजना का लाभ मिले।

रिपोर्ट के अनुसार महिला एवं बाल कल्याण मंत्री एनसीपी विधायक अदिति तटकरे ने कहा, 'हमने प्रारंभिक जांच के बाद लाभार्थियों का चयन किया था। अगर कोई जांच होगी तो वह शिकायत के आधार पर होगी। लेकिन जांच बड़े पैमाने पर नहीं होगी।' 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

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