टाटा के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का कार दुर्घटना में निधन

05:26 pm Sep 04, 2022 | सत्य ब्यूरो

टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का महाराष्ट्र में एक सड़क हादसे में निधन हो गया। घटना मुंबई के पास और पालघर जिले की बताई जा रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सड़क के डिवाइडर में टकराने से कार दुर्घटनाग्रस्त हुई। एएनआई ने पालघर पुलिस के हवाले से ख़बर दी है कि साइरस मिस्त्री की दोपहर क़रीब 3 बजे कार दुर्घटनाग्रस्त हुई। उसके अनुसार गाड़ी में कुल 4 लोग सवार थे। साइरस मिस्त्री समेत दो लोगों की मौत हुई है। बाक़ी दो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना को दुखद बताया है और कहा है कि उनका असामयिक निधन व्यापार और उद्योग जगत के लिए बड़ी क्षति है।

इससे पहले एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर शोक जताया है। 

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया है, 'साइरस मिस्त्री के आकस्मिक निधन से गहरा दुख और सदमा पहुंचा। भारतीय उद्योग ने अपना एक चमकता सितारा खो दिया है, जिसका भारत की आर्थिक प्रगति में योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।'

घटना को लेकर मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि ड्राइवर ने कार का नियंत्रण खो दिया था। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि चालक ने वाहन से नियंत्रण खो दिया और कार कथित तौर पर एक पुल पर चरोटी के पास एक डिवाइडर से जा टकराई। दो की मौके पर ही मौत हो गई।

बता दे कि साइरस मिस्त्री 2012 से 2016 के बीच टाटा सन्स के चेयरमैन रहे थे। लंबी तलाश के बाद रतन टाटा की जगह साइरस मिस्त्री को दिसंबर 2012 में टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन चार साल बाद ही अचानक एक दिन उन्हें हटाने का फ़ैसला हुआ और उनसे इस्तीफा माँग लिया गया। 2016 में उनको पद से हटा दिया गया था। 

इसके बाद से ही इस मसले पर कानूनी लड़ाई भी चल रही थी और दोनों पक्ष एक दूसरे पर तरह तरह के इल्जाम लगाते रहे थे। यह मामला आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट में भी पहुँचा था। 

सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्री को हटाए जाने के मामले में टाटा सन्स के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था। अदालत ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस फ़ैसले को उलट दिया था जिसमें मिस्त्री को वापस टाटा संस का चेयरमैन बनाने का निर्देश दिया गया था। टाटा सन्स की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में एनक्लैट यानी कंपनी मामलों के अपीलेट ट्रिब्यूनल के फ़ैसले पर रोक लगाई थी।