शिवसेना नेता संजय राउत को आख़िरकार जेल से रिहा कर दिया गया। उनको आज ही अदालत से जमानत मिली थी। लेकिन उनकी रिहाई को रोकने के लिए ईडी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। आख़िरकार हाई कोर्ट ने भी राउत की जमानत को रद्द करने की ईडी की याचिका को खारिज कर दिया।
ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के कुछ घंटों बाद ही राउत बुधवार को जेल से बाहर आ गए। वह मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल से निकले और उनका भगवा दुपट्टा से शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े के सदस्यों ने भव्य स्वागत किया।
अदालत ने राउत को यह कहते हुए ज़मानत दी है कि उनको 'बिना कारण' गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने इसके लिए एजेंसी को फटकार लगाई गई थी और कहा कि आप चुनिंदा तरीक़े से कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। ईडी ने जब उनकी जमानत के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो इसने केंद्रीय एजेंसी के अनुरोध के अनुसार जमानत पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी जमानत की मंजूरी दे दी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि वह दोनों पक्षों को सुने बिना रोक लगाने जैसा आदेश पारित नहीं कर सकता। उसने मामले को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने कहा, 'मैंने आदेश को देखा तक नहीं है। मुझे नहीं पता कि किस आधार पर जमानत दी गई है। मुझे नहीं पता कि आपने (ईडी) किस आधार पर आदेश को चुनौती दी है। पार्टियों की सुनवाई के बिना ही उस पर स्टे कैसे दे सकती हूँ।'
बता दें कि राउत को बुधवार को एक पीएमएलए अदालत ने जमानत दी है। राउत को ईडी ने पात्रा चॉल री-डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट के मामले में कथित रूप से हुई वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर इस साल जुलाई में गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह जेल में थे।
पीएमएलए कोर्ट ने अपने आदेश में जाँच एजेंसी ईडी को फटकार लगाई है। विशेष जज एमजी देशपांडे ने कहा कि संजय राउत को इस मामले में बिना किसी वजह के गिरफ्तार किया गया है।
विशेष जज ने कहा कि प्रवीन राउत और संजय राउत की गिरफ्तारी अवैध है। अदालत ने कहा कि किसी भी निर्दोष शख्स को मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर किसी विवाद में नहीं घसीटा जा सकता।
अदालत ने कहा कि ईडी ने इस मामले में मुख्य अभियुक्त राकेश और सारंग वधावन, एचडीआईएल, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) के और सरकारी अफसरों को गड़बड़ियों के लिए सही वक्त पर गिरफ्तार नहीं किया। इसने अपने आदेश में कहा है कि ईडी ने इस मामले में शुरुआती जांच के दौरान राकेश और सारंग वधावन और प्रवीण राउत को मुख्य अभियुक्त बनाया था लेकिन बाद में उसने संजय राउत को मुख्य अभियुक्त बना दिया।
कोर्ट ने कहा कि वधावन बंधुओं ने अपने हलफनामे में इस मामले में अपनी भूमिका और गलत कामों को स्वीकार कर लिया था लेकिन ईडी द्वारा उन्हें छोड़ दिया गया और इससे यह साफ होता है कि एक समान भाव से काम नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी का रवैया चुनिंदा तरीक़े से कार्रवाई वाला है।
ईडी पात्रा चॉल के री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट मामले में संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके सहयोगियों के बीच वित्तीय लेनदेन में कथित रूप से हुई अनियमितताओं की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में वर्षा राउत और संजय राउत और उनके दो सहयोगियों की 11 करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर लिया था।
संजय राउत ईडी की कार्रवाई को केंद्र के इशारे पर और राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाते रहे हैं। इसी साल फरवरी महीने में प्रवीण राउत को गिरफ्तार किए जाने पर संजय राउत ने ट्वीट कर कहा था, 'पहले लालच दिया गया, ऑफर्स दिए। फिर डराया, धमकाया गया, तब भी झुका नहीं तो परिवार को धमकाया गया। हमने कहा छोड़ दो, नजरअंदाज करो इन्हें, जाने दो, तो अब सेंट्रल एजेंसी को हमारे पीछे लगा दिया। चलता है 2024 तक चलेगा भी, पर हम झुकेंगे नहीं'।