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शिंदे ने दी खुली धमकी- 'मुझे हल्के में न लें'

शिंदे ने दी खुली धमकी- 'मुझे हल्के में न लें'

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में बढ़ते तनाव के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सख्त लहजे में चेतावनी दी– ‘मुझे हल्के में न लें, मैंने सरकार गिरा दी थी।’

क्या एकनाथ शिंदे आरपार के मूड में आ गए हैं? महाराष्ट्र की महायुति सरकार में बढ़ते तनाव की ख़बरों के बीच शिंदे ने आख़िर क्यों कहा है कि ‘मुझे हल्के में न लें, मैंने सरकार गिरा दी थी’? क्या महाराष्ट्र में गठबंधन पर संकट मंडरा रहा है?

शिंदे ने ताज़ा बयान में क्या-क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर महाराष्ट्र की महायुति गठबंधन सरकार में क्या चल रहा है। महायुति में तनाव की ख़बरों के बीच मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के कार्यालय ने जालना में उस आवासीय परियोजना की जांच का आदेश दिया है जिसे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने मंजूरी दी थी। मौजूदा फडणवीस सरकार के इस फ़ैसले से शिंदे की शिवसेना नाराज़ बताई जाती है।

दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीआईडीसीओ से उन आरोपों की जांच शुरू करने को कहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक रुकी हुई परियोजना को फिर से शुरू कर दिया गया था। यह 900 करोड़ रुपये की एक आवासीय परियोजना है जिसे 2020 में रद्द कर दिया गया था। तत्कालीन सरकार ने सीआईडीसीओ से घर बनाने के लिए परियोजना को फिर से शुरू करवाया। आरोप है कि व्यापारियों ने जमीन को बहुत कम क़ीमत पर खरीदा।

जाँच की रिपोर्ट पर शिंदे ने सफ़ाई में कहा है, 'हमने इस परियोजना को इसलिए शुरू किया था क्योंकि इससे लोगों को लाभ होता, मैं तब मुख्यमंत्री था, हमारे दो उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार थे और हमने जो भी परियोजना शुरू की, वह लोगों के लाभ के लिए थी। इस संबंध में मैं मामले पर जानकारी लूंगा।' 

तो सवाल है कि शिंदे ने पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस और पवार के नाम क्यों लिए? क्या उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में निर्णय लिया था तो फडणवीस और अजित पवार दोनों ही पूर्ववर्ती सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा थे?

और इसी बीच अब एकनाथ शिंदे ने उन्हें हल्के में लेने वालों को आगाह किया है। एनआई की रिपोर्ट के अनुसार नागपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए शिंदे ने शुक्रवार को कहा, 'मुझे हल्के में मत लीजिए, जो लोग मुझे हल्के में ले रहे हैं, उनसे मैं पहले ही कह चुका हूं। मैं एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैं बाला साहेब और दिघे का कार्यकर्ता हूं और सभी को मुझे इसी समझ से लेना चाहिए।' उन्होंने आगे कहा कि जब लोगों ने 2022 में मुझे हल्के में लिया, तो तांगा पलट दिया... मैंने सरकार बदल दी।

 - Satya Hindi

उन्होंने कहा, 'हम आम लोगों की सरकार ले आए। विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि मैं और देवेंद्र फडणवीस जी को 200 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी, और हमें 232 सीटें मिलीं। इसलिए मुझे हल्के में मत लीजिए, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझ लें और मैं अपना काम करता रहूंगा।'

शिंदे का यह बयान शिवसेना और बीजेपी के बीच बढ़ते तनाव की ख़बरों के बीच आया है। कुछ दिन पहले ही शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम किए जाने के मुद्दे ने दोनों दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने के संकेत दे दिए हैं।

शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम

दरअसल, बीजेपी और शिवसेना के बीच नये सिरे से तनाव की ख़बरें तब आने लगीं जब सीएम देवेंद्र फडणवीस के गृह विभाग ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम कर दी। एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी सुरक्षा कवर को वाई+ श्रेणी से घटाकर सिर्फ एक कांस्टेबल तक का कर दिया गया। इसके साथ ही कुछ अन्य शिवसेना नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई। हालाँकि, कुछ बीजेपी विधायकों और अजित पवार की शिवसेना के विधायकों की सुरक्षी भी कम की गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह एक तरह से संतुलन बनाने के लिए किया गया है। जिनकी सुरक्षा या तो कम कर दी गई है या वापस ले ली गई है, ऐसे शिवसेना नेताओं की संख्या कहीं अधिक है।

बैठकों में शामिल नहीं हुए शिंदे

सुरक्षा हटाए जाने का मुद्दा तब सामने आया जब शिंदे खेमे के एक मंत्री ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि अधिकारी नीतियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दे रहे हैं। यह तब हुआ था जब फडणवीस ने जनवरी में एक समीक्षा बैठक की थी। इसी बीच शिंदे ने भी एक दिन पहले सोमवार को शिवसेना के उदय सामंत द्वारा आयोजित उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक की।

कुछ हफ़्ते पहले ही एक रिपोर्ट आई थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए। हाल में यह दूसरी बार ऐसा हुआ कि वह बैठक में शामिल नहीं हो पाए। तब शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सीएम पद को लेकर अपमानित होने के कारण ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने सामना में लिखा था कि फडणवीस और शिंदे में तनाव चल रहा है। राउत ने तो यह भी दावा किया था कि शिंदे का फ़ोन टैप किया जा रहा है। 

संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सेना के एक विधायक ने उन्हें बताया है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपमानित होने के दर्द से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं।

विधायक ने कथित तौर पर राउत को बताया कि पिछले ढाई साल के दौरान, तत्कालीन सीएम शिंदे और फडणवीस के बीच मतभेद थे और वे दो दिशाओं में चल रहे थे, इस वजह से अब फडणवीस अपना बदला ले रहे हैं। 

राउत ने शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में बड़ा दावा किया था कि सीएम देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री शिंदे के बीच अनबन है और बीजेपी शिंदे और उनके लोगों के फ़ोन टैप करवा रही है।

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे को विश्वास है कि उनके और उनकी पार्टी के लोगों के फ़ोन टैप किए जा रहे हैं। उन्हें संदेह है कि दिल्ली में एजेंसियां ​​उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और शिंदे को बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा था कि शिंदे की पार्टी के एक विधायक ने उन्हें विमान यात्रा के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी। 

माना जाता है कि रायगढ़ और नासिक के लिए संरक्षक मंत्री पदों को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच शुरू हुआ गतिरोध का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है। रिपोर्टें तो ऐसी भी आ रही हैं कि ऐसा मुद्दा अन्य क्षेत्रों तक भी फैल गया है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने एकनाथ शिंदे ने 2027 में कुंभ मेले की तैयारियों पर फडणवीस द्वारा बुलाई गई नासिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक को छोड़ दिया और बाद में इस विषय पर अपनी समीक्षा बैठक की थी। कहा जा रहा है कि भले ही शिंदे समीक्षा बैठकें कर रहे हैं, लेकिन सभी अंतिम नीतिगत निर्णय सीएम द्वारा लिए जाएंगे और सभी फाइलों को उनकी मंजूरी की ज़रूरत होगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिंदे की बैठकें दिखावे के लिए अधिक थीं। 

हाल ही में शिंदे ने मंत्रालय में एक डिप्टी सीएम का मेडिकल एड सेल स्थापित किया और अपने क़रीबी सहयोगी को इसका प्रमुख नियुक्त किया। पहली बार किसी डिप्टी सीएम ने सीएम रिलीफ फंड सेल के बावजूद ऐसा सेल स्थापित किया है।

इसी तरह जब फडणवीस को महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का प्रमुख नामित किया गया था तब शिंदे को प्राधिकरण से भी बाहर रखा गया था। दो दिन बाद शिंदे को शामिल करने के लिए नियमों में फेरबदल किया गया।

शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम किए जाने के दौरान तीन दिन पहले तनाव की ख़बरों के सवाल पर शिंदे ने कहा था कि उनके बीच कोई 'शीत युद्ध' नहीं चल रहा है। पार्टी के भीतर खींचतान के दावों को खारिज करते हुए शिंदे ने महा विकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन पर तंज कसे। पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा था, 'कोई शीत युद्ध नहीं है क्योंकि यह महा विकास अघाड़ी या इंडी गठबंधन नहीं है। हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो महाराष्ट्र के विकास का विरोध कर रहे हैं...'। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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