महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की महाविकास आघाड़ी सरकार के 2 साल पूरे हो गए हैं। अब इन्हीं तीनों दलों ने गोवा में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए हाथ मिलाने की दिशा में क़दम रखने शुरू कर दिए हैं। इसी सिलसिले में शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने गोवा में कांग्रेस प्रभारी और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत से मुलाक़ात की है। राउत ने बैठक के बाद इशारा किया है कि बहुत जल्द महाराष्ट्र की तरह गोवा में भी ऐसी ही तसवीर देखने को मिल सकती है।
जिन राज्यों में चुनाव हैं वहां पर विपक्ष बीजेपी के ख़िलाफ़ लामबंद होता हुआ दिख रहा है। इसी सिलसिले में गोवा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडू राव और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता दिगंबर कामत से मुलाक़ात की। इस बैठक की जानकारी खुद संजय राउत ने ट्वीट करके दी है। इस बैठक के बाद अब गोवा में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की ख़बरों को बल मिला है।
यह पहला मौक़ा है जब महाराष्ट्र के बाहर किसी चुनाव में तीनों पार्टियां एक साथ बीजेपी को टक्कर देती हुई दिखाई दे सकती हैं। संजय राउत ने ट्वीट कर लिखा है कि गोवा में आज आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रमुख नेताओं से चर्चा हुई। दिनेश गुंडू राव, दिगंबर कामत और गिरीश चोडनकर के साथ-साथ मेरे सहयोगी जीवन कामत और जितेश कामत भी बैठक में मौजूद थे। गोवा में महाराष्ट्र की तरह महा विकास आघाड़ी जैसे गठबंधन की संभावना पर विस्तार से चर्चा हुई है। बहुत जल्द दोबारा मुलाक़ात करेंगे।
संजय राउत ने कहा कि अगर बीजेपी को गोवा और दूसरे राज्यों की सत्ता से बेदखल करना है तो विपक्ष को एक साथ आकर उसे एक कड़ी चुनौती देनी होगी। गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर का कहना है कि शिवसेना सांसद संजय राउत के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा सकारात्मक रही है और बहुत जल्द दूसरे दौर की भी चर्चा होगी। चोडनकर ने साथ ही यह भी कहा कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा।
सूत्रों का कहना है कि संजय राउत के साथ बैठक में कांग्रेस नेताओं ने बार-बार ममता बनर्जी से दूरी बनाए रखने की बात कही है। इसका मतलब साफ़ है कि कांग्रेस अगर शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर गोवा विधानसभा का चुनाव लड़ती है तो फिर टीएमसी और आम आदमी पार्टी इस गठबंधन से दूर ही रहेंगे। टीएमसी से कांग्रेस की दूरी का मतलब साफ़ तौर पर निकाला जा सकता है क्योंकि कुछ दिन पहले ही टीएमसी ने गोवा कांग्रेस के कुछ कद्दावर नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।
कांग्रेस आलाकमान ने टीएमसी के कांग्रेस नेताओं को तोड़ने के फ़ैसले पर नाराज़गी भी जताई थी। कांग्रेस आम आदमी पार्टी को गोवा में सिर्फ़ वोट कटवा पार्टी के तौर पर ही देख रही है।
गोवा में अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन बनता है तो फिर शरद पवार इसमें एक बार फिर से मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। महाराष्ट्र में जब इन तीनों दलों ने सरकार बनाई थी तो शरद पवार और संजय राउत ने सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संजय राउत यह कई बार कह चुके हैं कि शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है लेकिन महाराष्ट्र में मिनी यूपीए की तरह ही सरकार चल रही है। हालाँकि कुछ दिन पहले ही जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महाराष्ट्र के दौरे पर आई थीं तो उन्होंने शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाक़ात की थी। महाराष्ट्र के इस दौरे पर ममता बनर्जी ने कांग्रेस के नेताओं के साथ मुलाक़ात नहीं की थी। इसके कुछ दिन बाद ही ममता बनर्जी ने गोवा में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटों की गोवा विधानसभा में 17 सीटें जीती थीं लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस से कम सीटें जीतने के बाद भी निर्दलीयों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।