सचिन वाज़े ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के इस आरोप का खंडन किया है कि अनिल देशमुख ने गृह मंत्री के रूप में पुलिस अधिकारियों को रिश्वत से 100 करोड़ रुपये जुटाने का आदेश दिया था। वाज़े ने कहा कि उन्हें देशमुख की ओर से ऐसी कोई मांग याद नहीं है।
न्यायमूर्ति कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल आयोग के समक्ष पेश हुए वाज़े ने कहा कि देशमुख या उनके सहयोगियों से पैसे इकट्ठा करने की कोई मांग नहीं की गई थी। वाज़े ने यह बयान तब दिया जब देशमुख के वकील गिरीश कुलकर्णी ने जिरह के दौरान उनसे सवाल पूछे।
मुंबई के पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने एक पत्र में आरोप लगाया था कि देशमुख ने 100 करोड़ रुपये जबरन वसूली का लक्ष्य दिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि देशमुख और उनके कार्यालय ने मुंबई पुलिस द्वारा जांच किए गए विभिन्न संवेदनशील मामलों को नियंत्रित किया। सिंह के आरोपों के बाद देशमुख को राज्य के गृह मंत्री का पद छोड़ना पड़ा। परमबीर सिंह के आरोपों के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ईडी ने उन्हें गिरफ़्तार किया है और वह फ़िलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इधर, परमबीर सिंह कई महीनों तक फरार रहे थे और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से सुरक्षा दिए जाने के बाद ही वह सामने आए हैं।
बहरहाल, न्यायमूर्ति कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल आयोग के समक्ष जिरह के दौरान जब कुलकर्णी ने पूछा कि क्या देशमुख या किसी अन्य अधिकारी ने पैसे मांगे हैं, तो वाज़े ने कहा कि किसी अधिकारी की ओर से कोई मांग नहीं की गई। 'इकॉनमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूछे जाने पर कि क्या देशमुख या उनके कार्यालय के किसी व्यक्ति ने उन्हें बार या बार मालिकों से पैसे लेने का आदेश दिया है तो वाज़े ने कहा, 'मुझे याद नहीं है।'
रिपोर्ट के अनुसार, सचिन वाज़े ने कहा कि उन्होंने देशमुख के एक सहयोगी कुंदन शिंदे को सौंपे जाने के लिए बार मालिकों या रेस्तरां से कभी पैसा नहीं लिया।
वाज़े ने यह भी कहा कि उन्होंने जिन मामलों की जाँच की, उनमें गृह विभाग का कोई हस्तक्षेप नहीं देखा। वाज़े की यह गवाही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को दिए उनके अपने ही बयान का खंडन करती है। रिपोर्ट के अनुसार, ईडी को उन्होंने बयान दिया था कि उन्होंने देशमुख के सहयोगियों को 4.7 करोड़ जबरन वसूली का पैसा दिया था।
वैसे, इस पूरे मामले को लेकर एनसीपी नेता आरोप लगाते रहे हैं कि अनिल देशमुख को फँसाया गया है। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा है कि देशमुख के ख़िलाफ़ परमबीर सिंह के आरोपों में कोई दम नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें महा विकास अघाड़ी सरकार को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने इसके लिए 'परमबीर सिंह और भाजपा के बीच एक सौदा' होने का आरोप लगाया है। मलिक ने आरोप लगाया कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास मिले विस्फोटकों की जांच कर रही एनआईए इस प्रकरण में परमबीर सिंह की भूमिका के बावजूद उनको बचाने की कोशिश कर रही है।