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महायुति में अब मंत्रियों के पीए व ओएसडी की नियुक्ति पर घमासान?

महायुति में अब मंत्रियों के पीए व ओएसडी की नियुक्ति पर घमासान?

महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भीतर मंत्रियों के पीए और ओएसडी की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ गया। क्या यह गठबंधन में दरार बढ़ाने का संकेत है? पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

महायुति सरकार में क्या मंत्रियों के पीए और ओएसडी नियुक्ति पर भी विवाद गहराएगा? देवेंद्र फडणवीस ने पीए और ओएसडी के लिए भेजे गए 125 में से 109 की मंजूरी दी है। महायुति सरकार के सहयोगी दल एनसीपी के मंत्री ने कहा है कि 'मंत्री अपने पीए और ओएसडी भी नियुक्त नहीं कर सकते हैं, मंत्रियों को कुछ करने को ज़्यादा रह नहीं गया है।' संजय राउत ने कहा है कि उन नामों को ही नियुक्ति दी गई है जिन्हें बीजेपी मंत्रियों ने भेजा था और शिवसेना और एनसीपी के मंत्रियों के नामों को मंजूर नहीं किया गया।

मंत्रियों के पीए व ओएसडी की नियुक्ति का यह विवाद तब आया है जब महायुति में कथित तौर पर दरार की ख़बरें हैं। सीएम के तौर पर शिंदे के कार्यकाल के दौरान की कई योजनाओं की जाँच के आदेश दिए गए हैं। सीएम फडणवीस की बैठक में शिंदे के शामिल नहीं होने की ख़बरें हैं। एकनाथ शिंदे ने हाल ही में बयान दिया था कि ‘मुझे हल्के में न लें, मैंने सरकार गिरा दी थी’? तो क्या महाराष्ट्र में गठबंधन पर संकट मंडरा रहा है?

फडणवीस और शिंदे के बीच क्या विवाद है, यह जानने से पहले यह जान लें कि पीए व ओएसडी की नियुक्ति का यह ताज़ा विवाद क्या आया है। पहले तो पीए और ओएसडी की नियुक्ति में देरी पर सवाल उठ रहे थे। नयी सरकार के गठन के तीन महीने बाद ये नियुक्ति हुई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि उन्होंने सोमवार को मंत्रियों के लिए ओएसडी यानी विशेष कार्य अधिकारी और पीए यानी निजी सहायक के नामों को मंजूरी दे दी है।

फडणवीस ने कहा, 'पीए, ओएसडी के लिए मंत्रियों द्वारा प्रस्तावित 125 उम्मीदवारों में से सीएमओ ने 109 को मंजूरी दे दी है। सोलह नामों को विभिन्न कारणों से रोक दिया गया है, जिनमें उनके ख़िलाफ़ चल रही जांच, खराब ट्रैक रिकॉर्ड या उनके ख़िलाफ़ फिक्सर होने का टैग शामिल है।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं दागी उम्मीदवारों को मंजूरी नहीं दूंगा। मैं फिक्सरों की नियुक्ति की अनुमति नहीं दूंगा। भले ही इस तरह के फ़ैसले से किसी को ठेस पहुँचे, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूँगा।'

सीएम द्वारा 16 नामों को खारिज करने और इस पर सख्त संदेश देने के बाद फडणवीस और उनके उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तनाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच यह विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

सीएम द्वारा नामों को मंजूरी दिए जाने पर एनसीपी कोटे से मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कटाक्ष किया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, 'मंत्रियों के लिए बहुत कम भूमिका बची है। यहाँ तक ​​कि पीए, ओएसडी की नियुक्तियाँ भी सीएमओ द्वारा की जा रही हैं... हमें बस काम करना है या फिर अपना पद गँवाने का जोखिम उठाना है।'

कृषि मंत्री कोकाटे को हाल ही में नासिक जिला एवं सत्र न्यायालय ने एक मामले में दोषी ठहराया है। उन पर 1995 में कम आय वर्ग के लिए मुख्यमंत्री के 10% विवेकाधीन कोटे के तहत दो फ्लैट हासिल करने के लिए दस्तावेजों में छेड़छाड़ करने का आरोप है। मामला अदालत में लंबित है क्योंकि कोकाटे ने अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की है।

अंग्रेज़ी अख़बार के अनुसार नाम न बताने की शर्त पर एक शिवसेना मंत्री ने स्वीकार किया कि पीए और ओएसडी के बारे में फडणवीस के उस बयान ने कड़वाहट पैदा कर दी है, जिसमें कहा गया था कि वह संदिग्ध विकल्पों को खारिज कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हम भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन किसी भी गठबंधन सरकार में अगर गठबंधन सहयोगियों की शक्तियों को कम किया जाता है, तो यह सवालिया निशान खड़ा करता है। इसके अलावा, हर मंत्री को अपने पीए और ओएसडी को ढांचे के भीतर तय करने का अधिकार होना चाहिए। आप अपने उम्मीदवारों को उन पर नहीं थोप सकते।' 

फडणवीस के क़रीबी एक मंत्री ने कहा कि सीएम केवल अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं। मंत्री ने कहा, 'जब हम भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात करते हैं, तो हमें कठोर निर्णय लेने होते हैं और एक मिसाल कायम करनी होती है।' 

 - Satya Hindi

इस मामले में शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने बुधवार को सामना में लिखा, 'फडणवीस ने पीए, ओएसडी के ख़िलाफ़ डंडा चलाने का सही काम किया है। जिन 16 उम्मीदवारों के नाम खारिज किए गए हैं, उनमें से अधिकांश शिवसेना के हैं। शिवसेना सदस्यों द्वारा पेश किए गए 13 नामों को खारिज कर दिया गया, एनसीपी के तीन नाम खारिज कर दिए गए।'

शिंदे की चेतावनी- हल्के में न लें

क़रीब एक हफ़्ते पहले ही एकनाथ शिंदे ने उन्हें हल्के में लेने वालों को आगाह किया है। नागपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए शिंदे ने पिछले शुक्रवार को कहा था, 'मुझे हल्के में मत लीजिए, जो लोग मुझे हल्के में ले रहे हैं, उनसे मैं पहले ही कह चुका हूं। मैं एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैं बाला साहेब और दिघे का कार्यकर्ता हूं और सभी को मुझे इसी समझ से लेना चाहिए।' उन्होंने आगे कहा कि जब लोगों ने 2022 में मुझे हल्के में लिया, तो तांगा पलट दिया... मैंने सरकार बदल दी।

उन्होंने कहा था, 'हम आम लोगों की सरकार ले आए। विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि मैं और देवेंद्र फडणवीस जी को 200 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी, और हमें 232 सीटें मिलीं। इसलिए मुझे हल्के में मत लीजिए, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझ लें और मैं अपना काम करता रहूंगा।'

शिंदे का यह बयान शिवसेना और बीजेपी के बीच बढ़ते तनाव की ख़बरों के बीच आया है। कुछ दिन पहले ही शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम किए जाने के मुद्दे ने दोनों दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने के संकेत दे दिए हैं।

महायुति में तनाव की ख़बरों के बीच मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के कार्यालय ने जालना में उस आवासीय परियोजना की जांच का आदेश दिया है जिसे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने मंजूरी दी थी। मौजूदा फडणवीस सरकार के इस फ़ैसले से शिंदे की शिवसेना नाराज़ बताई जाती है।

जाँच की रिपोर्ट पर शिंदे ने सफ़ाई में कहा है, 'हमने इस परियोजना को इसलिए शुरू किया था क्योंकि इससे लोगों को लाभ होता, मैं तब मुख्यमंत्री था, हमारे दो उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार थे और हमने जो भी परियोजना शुरू की, वह लोगों के लाभ के लिए थी। इस संबंध में मैं मामले पर जानकारी लूंगा।' 

हाल ही में सीएम देवेंद्र फडणवीस के गृह विभाग ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों की सुरक्षा कम कर दी। एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी सुरक्षा कवर को वाई+ श्रेणी से घटाकर सिर्फ एक कांस्टेबल तक का कर दिया गया। इसके साथ ही कुछ अन्य शिवसेना नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई। हालाँकि, कुछ बीजेपी विधायकों और अजित पवार की शिवसेना के विधायकों की सुरक्षी भी कम की गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह एक तरह से संतुलन बनाने के लिए किया गया है। जिनकी सुरक्षा या तो कम कर दी गई है या वापस ले ली गई है, ऐसे शिवसेना नेताओं की संख्या कहीं अधिक है।

इससे पहले शिंदे खेमे के एक मंत्री ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि अधिकारी नीतियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दे रहे हैं। यह तब हुआ था जब फडणवीस ने जनवरी में एक समीक्षा बैठक की थी। इसी बीच शिंदे ने भी उससे एक दिन पहले शिवसेना के उदय सामंत द्वारा आयोजित उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक की थी।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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