महाराष्ट्र में अब सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। एकनाथ शिंदे ने अपने चीफ व्हिप की घोषणा कर दी है। इसका अर्थ यह है कि शिवसेना विभाजित हो गई है। इसका तकनीकी मतलब यह है कि एकनाथ शिंदे अब खुद को शिवसेना विधायक दल का नेता बताते हुए बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। शिंदे ने कहा है कि उद्धव ठाकरे द्वारा बुधवार शाम 5 बजे बुलाई गई बैठक अवैध है।
एकनाथ शिंदे ने भरत गोगावले को शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। इसलिए, बुधवार शाम विधायक दल की बैठक के संबंध में सुनील प्रभु द्वारा जारी आदेश अवैध है। यह बात शिंदे ने ट्वीट में कही।
इससे पहले शिवसेना ने सुनील प्रभु को सुबह ही चीफ व्हिप नियुक्त किया था। शिंदे उस नियुक्ति को अवैध बता रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि एकनाथ शिंदे ने अभी तक शिवसेना छोड़ने की बात नहीं कही है, इसके बावजूद वो चीफ व्हिप की नियुक्ति कर रहे हैं। यह पहला तकनीकी दांव है जो एकनाथ शिंदे ने खेला है। इस नियुक्ति को विधानसभा अध्यक्ष या राज्यपाल कितनी मान्यता देंगे, यह वक्त बताएगा।
शिंदे का यह फैसला रणनीतिक है। शिवसेना की शाम 5 बजे होने वाली बैठक में अगर शिंदे और उनके गुट के विधायकों को शिवसेना से निकाला जाता है तो एकनाथ शिंदे खुद को असली शिवसेना बताते हुए उद्धव ठाकरे समेत कई विरोधियों को निकाल सकते हैं। शिंदे का यह रणीतिक दांव शायद कानून के जानकारों की राय के बाद लगाया गया है। शिंदे की इस पहल से यह भी साफ हो गया कि उनके पास विधायकों की संख्या पूरी नहीं है। अगर संख्या पूरी होती तो वो बहुत आसानी से मुंबई आकर बीजेपी को साथ लेकर दावा पेश कर सकते थे। लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे हैं। मामले को तकनीकी अंजाम तक पहुंचने का शिंदे गुट इंतजार कर रहा था।