महाराष्ट्र में 20 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए 13 सीटों पर मतदान होगा। पांचवें चरण में धुले, डिंडोरी, नासिक, कल्याण, पालघर, भिवंडी, ठाणे, मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर-पश्चिम, मुंबई उत्तर-पूर्व, मुंबई उत्तर-मध्य, मुंबई दक्षिण-मध्य, मुंबई दक्षिण लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। तो सवाल है कि ये सीटें किसके लिए कितना अहम हैं और इन सीटों की जीत हार से क्या असर हो सकता है?
जाहिर तौर पर लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जीत-हार से बीजेपी पर तो असर होगा ही, लेकिन इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति के लिए इसका परिणाम उलट-पुलट करने वाला हो सकता है। ऐसा इसलिए कि इन सीटों से यह साफ़ हो जाएगा कि वास्तव में 'असली' शिवसेना कौन है और 'नकली' शिवसेना कौन।
यही वह बेल्ट है जहाँ शिवसेना का मज़बूत गढ़ रहा है। पिछले चुनाव में इन 13 सीटों में से बीजेपी 6 सीटें और शिवसेना 7 सीटें जीती थी। तब शिवसेना और बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब शिवसेना दो फाड़ हो गई है। एक खेमा बीजेपी के साथ गठबंधन में है तो दूसरा कांग्रेस के साथ गठबंधन में।
पांचवें चरण में महाराष्ट्र में जिन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर फोकस रहेगा उनमें मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर मध्य और कल्याण शामिल हैं। कल्याण में दोनों शिवसेना के बीच मुकाबला होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने शिवसेना (यूबीटी) की वैशाली दारेकर-राणे का मुक़ाबला करने के लिए अपने बेटे डॉ. श्रीकांत शिंदे को उतारा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ. श्रीकांत शिंदे ने 3.44 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
मुंबई उत्तर सीट से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला अभिनेता-राजनेता भूषण पाटिल से होगा। 2019 में भाजपा के गोपाल सी. शेट्टी ने पूर्व अभिनेता-राजनेता उर्मिला मातोंडकर को 4.65 लाख से अधिक वोटों से हराया था।
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से सरकारी वकील उज्ज्वल निकम पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ से होगा। इस सीट पर 2019 में बीजेपी की पूनम महाजन ने कांग्रेस की प्रिया दत्त को 1.30 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।
वरिष्ठ पत्रकार संदीप सोनवलकर कहते हैं, 'नासिक, डिंडोरी और पालघर जैसे क्षेत्रों में आदिवासी प्रमुखता से हैं। आदिवासियों ने सरकार के ख़िलाफ़ एक बड़ा आंदोलन किया था। इस क्षेत्र में मराठा उस तरह से मुद्दा नहीं है। बल्कि इस क्षेत्र में दलित और मुस्लिम का बड़ा कॉम्बिनेशन साबित होगा।' उनका कहना है कि इस चरण में उत्तर भारतीय भी काफी बड़े मायने रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस चरण के दो-तीन सीटों को छोड़कर अधिकतर जगहों पर 35-40 फ़ीसदी तक उत्तर भारतीय हैं। ऐसे में बीजेपी के साथ राज ठाकरे का आना, उत्तर भारतीयों का बीजेपी के प्रति रवैया बदल सकता है।
चुनाव में मुकाबला जोरदार है और इसीलिए चौथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी है। पिछले एक हफ्ते से 4-5 मुख्यमंत्री डेरा डाले हुए हैं। इसके अलावा बीएल संतोष जैसे नेता भी जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी रोड शो कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 20 से ज़्यादा सभाएँ कर ली हैं।
तो सवाल है कि क्या बीजेपी को भरोसा नहीं है कि शिंदे व अजित पवार गुट के आने के बाद वह बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी? इस सवाल पर संदीप सोनवलकर कहते हैं कि बीजेपी को तो अपनी सीटों पर भरोसा लगता है, लेकिन उसको सहयोगियों- अजित पवार और एकनाथ शिंदे खेमे वाली सीटों पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि इन सीटों पर नेगेटिव असर पड़ा तो इसका असर दूसरी सीटों पर भी पड़ सकता है।
कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे से तय हो जाएगा कि राज्य की राजनीति किधर जाएगी। संदीप सोनलकर कहते हैं कि इस बार महाराष्ट्र में चुनाव काँटे की टक्कर का है। यदि इसमें से एमवीए और बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच 50-50 का भी मुक़ाबला रहता है तो इसका संदेश जाएगा कि उद्धव ठाकरे के साथ संवेदनाएँ हैं और ऐसे में विधायकों की वापस भगदड़ मच सकती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर राज्य की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी।