महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पुरानी पेंशन को बहाल किए जाने की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारी पहले ही हड़ताल पर हैं और अब उधर महाराष्ट्र के हजारों किसानों ने महाराष्ट्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। महाराष्ट्र के अलग-अलग ज़िलों से किसान अपनी समस्याओं को लेकर मुंबई की तरफ़ पैदल चल पड़े हैं। किसानों का यह लॉन्ग मार्च महाराष्ट्र के नासिक जिले से शुरू हुआ है। किसान अपनी फ़सलों का उचित दाम और नुक़सान भरपाई के लिए इस लॉन्ग मार्च में शामिल हो रहे हैं।
महाराष्ट्र के नासिक से हजारों किसान पैदल मुंबई के लिए निकल पड़े हैं। जानकारी के अनुसार इन किसानों की संख्या क़रीब 10 से 15 हजार बताई जा रही है। इस मार्च में ज़्यादातर वे किसान शामिल हैं जिनकी फ़सल के दाम अच्छे नहीं मिल रहे हैं या फिर बेमौसम बारिश ने जिनकी फ़सलों को तबाह कर दिया था। इन किसानों ने अपना लॉन्ग मार्च बीते सोमवार को शुरू किया था। किसानों की इतनी ज़्यादा संख्या में मौजूदगी होने से महाराष्ट्र सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं।
हालाँकि महाराष्ट्र सरकार ने इन किसानों से बातचीत करनी शुरू कर दी है। अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले ये सभी किसान मुंबई की तरफ बढ़ रहे हैं। इन किसानों से प्रशासन ने भी बातचीत करने की कोशिश की है लेकिन इन्होंने अधिकारियों से बातचीत करने से इंकार कर दिया है। इस मार्च के आयोजकों से महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादा भूसे ने भी बात की लेकिन इस बातचीत में कोई सकारात्मक हल नहीं निकल सका।
लॉन्ग मार्च के आयोजकों का कहना है कि प्रशासन और मंत्री लेवल पर उन्होंने अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचा दिया है। अब किसान चाहते हैं कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उनसे आकर मिले और किसानों की समस्याओं को समझें। अखिल भारतीय किसान सभा के महाराष्ट्र महासचिव अजीत नवाले ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा किसानों को राहत देने का नहीं है। महाराष्ट्र में इस समय प्याज की फ़सल उगाने वाले किसान कर्ज के तले इतने दब गए हैं कि वे आत्महत्या तक कर रहे हैं।
अजीत नवाले का कहना है कि किसानों की फ़सलों के दाम सही नहीं मिलते हैं तो सरकार उस पर कोई ठोस क़दम नहीं उठाती है सिर्फ आश्वासन देकर काम चलाती है। इस बार हम चाहते हैं कि सरकार किसानों के हित के बारे में कोई ठोस क़ानून बनाए।
इस बीच नासिक के कलेक्टर गंगाथरण डी ने लॉन्ग मार्च के आयोजकों से मोर्चा वापस लेने का अनुरोध किया था लेकिन आयोजकों ने अपना लॉन्ग मार्च वापस लेने से इंकार कर दिया। मार्च के आयोजकों ने सरकार से बातचीत करने के लिए एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भी बनाया है जो सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मुलाक़ात करेगा। आयोजकों का कहना है कि किसानों का यह मार्च जारी रहेगा। इस दौरान किसान सरकार से भी बातचीत करते रहेंगे।
महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार पर किसानों के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का कहना है कि महाराष्ट्र का किसान फ़सलों का उचित दाम नहीं मिलने के चलते कर्ज के तले दबा हुआ है लेकिन सरकार किसानों के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
उद्धव ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे का कहना है कि महाराष्ट्र का अन्नदाता आज सड़कों पर पैदल चलने के लिए इसलिए मजबूर है क्योंकि महाराष्ट्र की कुंभकरण सरकार किसानों के हित में कोई भी क़दम नहीं उठा रही है।
बता दें कि महाराष्ट्र में इस समय विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। यही कारण है कि महाराष्ट्र के कोने-कोने से किसान पैदल मार्च के ज़रिए 20 मार्च से पहले मुंबई पहुंचना चाहते हैं। इससे पहले भी साल 2018 में किसानों ने लॉन्ग मार्च का आयोजन किया था जिसके बाद सरकार ने कुछ नियमों में बदलाव किया था लेकिन बावजूद इसके किसानों की फ़सलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों ने एक बार फिर से सरकार को चेतावनी देन के लिए इस लॉन्ग मार्च का आयोजन किया है।