एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार किया

08:56 pm Jun 25, 2022 | सत्य ब्यूरो

एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने मुंबई में गिरफ़्तार किया है। उधर, अहमदाबाद की डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यानी डीसीबी ने सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को भी गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों से जुड़ी जाकिया जाफरी की याचिका को रद्द करने और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के बाद की गई है। गुजरात पुलिस ने आज सुबह तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है।

पुलिस निरीक्षक डीबी बराड़ की शिकायत के आधार पर डीसीबी ने शनिवार को यह एफ़आईआर दर्ज की है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि सीतलवाड़ ने जाकिया जाफरी के ज़रिए कई याचिकाएँ कोर्ट में डालीं और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी के प्रमुख और अन्य आयोगों को ग़लत जानकारी दी।

सीतलवाड़ मुख्य तौर पर गुजरात दंगों में जाँच की मांग को लेकर काफ़ी सक्रिय रही हैं। उनका एनजीओ दंगा पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ता रहा है। वह ज़ाकिया जाफरी के मामले में भी आवाज़ उठाती रही हैं और उनके द्वारा दायर की गई याचिका में सह-याचिकाकर्ता थीं।

यह वही जाकिया जाफरी हैं जिन्होंने गुजरात दंगे पर एसआईटी की रिपोर्ट के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी और जिसे 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और छानबीन की ज़रूरत है क्योंकि तीस्ता इस मामले में जाकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल गोपनीय ढंग से अपने स्वार्थ के लिए कर रही थी।

2002 में गुजरात दंगों के दौरान जाकिया जाफरी के पति तब कांग्रेस से विधायक रहे एहसान जाफरी को दंगाई भीड़ ने मार डाला था। गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में एहसान जाफरी भी मारे गए थे। 

गुजरात में हुए दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने की एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया था। कांग्रेस के नेता एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपनी टिप्पणी में कहा था कि याचिका में कोई दम नहीं है और स्पष्ट रूप से गुप्त डिजाइन के लिए इसे दायर किया गया था। न्यायाधीशों ने कहा था, 'प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।'

बता दें कि गुजरात में साल 2002 में दंगे हुए थे और दंगों की जांच के लिए बनी एसआईटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही 63 अन्य लोगों को भी दंगों में भूमिका के लिए एसआईटी की ओर से क्लीन चिट दी गई थी।