बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि वह एक महिला चिकित्सक द्वारा दायर की गयी शिकायतों की जाँच करे। 36 साल की महिला चिकित्सक ने आरोप लगाए हैं कि शिवसेना सांसद संजय राउत, उनके कुछ क़रीबी लोग और उसके पूर्व पति उसका पीछा करते थे तथा उस पर निगरानी रखते थे।
जस्टिस एस. एस. शिंदे और एन. ए. जमादार की खंडपीठ ने महिला की याचिका पर सुनवाई की। महिला की तरफ़ से कहा गया कि मामला सांसद संजय राउत से जुड़ा है इसलिए उनके ख़िलाफ़ सरकारी मशीनरी का भी ग़लत प्रयोग किया गया। महिला की तरफ़ से कहा गया कि उसे फर्जी डिग्री के एक झूठे मामले में फँसाया गया और गिरफ्तार किया गया। कुछ दिन पहले ही उसे इस मामले में जमानत मिली है।
शिकायत करने वाली यह मनोचिकित्सक महिला कलीना, सांताक्रूज़ (मुंबई) में रहती हैं और उन्होंने साल 2013 से 2018 के बीच में पुलिस में तीन एफ़आईआर दर्ज कराई थी। अदालत में महिला के वकील ने आरोप लगाया कि इन एफ़आईआर में पुलिस उपायुक्त की तरफ़ से जाँच आगे नहीं बढ़ाई गयी। वकील आभा सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी संजय राउत के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर जाँच किए जाने की बात कही थी। लेकिन महिला आयोग के निर्देशों को भी नहीं माना गया।
आभा सिंह ने कहा कि पीड़ित महिला इस मामले को लेकर अदालत में फ़रियाद कर रही हैं और जब उन्होंने संजय राउत के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने की याचिका दायर की तो 8 जून को उस पर फर्जी डिग्री का मामला दर्ज किया गया और गिरफ्तार कर ली गई।
यह महिला बांद्रा के एक बड़े चिकित्सालय में पिछले दो वर्षों से मनोचिकित्सक के रूप में कार्य कर रही थी। महिला का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर को इस मामले में ध्यान देने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा है कि पुलिस कमिश्नर इस शिकायत का अवलोकन कर अपनी रिपोर्ट एक दिन में कोर्ट के समक्ष पेश करें।
दरअसल, इस मामले में महिला की तरफ़ से कहा जा रहा है कि 2013 से 2018 के बीच संजय राउत के इशारे पर उसका पीछा किया जाता रहा है और उस पर निगरानी की गयी। महिला का कहना है कि उसकी हत्या की साज़िश भी रची जा रही थी। उनका आरोप है कि मामला चूँकि संजय राउत से जुड़ा था इसलिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में कुछ कर नहीं रहे थे।
महिला की याचिका पर मार्च 2021 में अदालत में सुनवाई के दौरान संजय राउत के वकील द्वारा सभी आरोपों को झूठा बताया गया था। इस मामले में न तो उनके वकील और न ही संजय राउत की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया आयी है।
उल्लेखनीय है कि मार्च महीने में मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और सचिन वाज़े का मामला जब सुर्ख़ियों में था, उस समय इस प्रकरण पर भी आरोप-प्रत्यारोप शुरू हुए थे। भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से इस मामले में संजय राउत को घेरने की कोशिश हुई लेकिन संजय राउत और शिवसेना की तरफ़ से भी जवाबी हमला किया गया। उस समय संजय राउत ने कहा था कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है।