महाराष्ट्र की मुंबई में नगर निकाय में अलग ही तरह से कामकाज चल रहा है। विकास के काम करने के लिए सत्तारुढ़ बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के विधायकों को तो फंड मिल रहा है, लेकिन विपक्षी दलों के विधायकों को एक रुपया भी नहीं मिला है। यह आरटीआई से खुलासा हुआ है। द इंडियन एक्सप्रेस ने इसको लेकर एक रिपोर्ट छापी है। इसमें कहा गया है कि मुंबई क्षेत्र में आने वाले 36 विधायकों में से सत्तारुढ़ बीजेपी के 21 विधायक हैं और उनको फंड मिले हैं, जबकि बाक़ी विपक्षी दलों के 15 विधायकों को कोई फंड नहीं मिला है। वैसे तो यह फंड बृहन्मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी के प्रतिनिधियों के लिए था, लेकिन चुनाव नहीं होने की वजह से इस फंड को विधायकों के माध्यम से ख़र्च किया जा रहा है।
यह फंड आमतौर पर 227 निर्वाचित बीएमसी नगरसेवक करते रहे थे। लेकिन देश के सबसे अमीर नगर निकाय बीएमसी में क़रीब दो साल से चुनाव ही नहीं हुए हैं। यानी बिना निर्वाचित निकाय के बीएमसी काम कर रही है। इसी वजह से सवाल आया उस फंड को ख़र्च करने का जो मुंबई में विकास कार्यों के लिए आवंटित किया जाता रहा है। पिछले साल 4 फरवरी को बजट पेश होने के कुछ दिनों बाद 16 फरवरी को बीएमसी ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि शहर को चलाने के लिए फंड का इस्तेमाल मुंबई के 36 विधायकों द्वारा किया जाएगा।
बीएमसी की विशेष नीति के तहत अभिभावक मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए धन मांगने वाले विधायकों के प्रस्तावों को मंजूरी देने और फिर फंड जारी करने के लिए प्रस्ताव को बीएमसी को आगे बढ़ाने के लिए अधिकृत किया गया। इस नीति को लागू होने से पहले तक विधायकों के लिए नगर निकाय के कोष से पैसा निकालने का कोई प्रावधान नहीं था।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2023 के संकल्प के बाद अनुमोदन नोट में कहा गया, 'विधायकों/सांसदों से उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के भीतर विभिन्न विकास कार्यों, बुनियादी ढांचे के कार्यों, सौंदर्यीकरण कार्यों आदि के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए बड़ी संख्या में पत्र प्राप्त हुए हैं। इसलिए, 16 फरवरी, 2023 को प्रशासक द्वारा इस नए प्रावधान के लिए मंजूरी दी गई थी।'
इस प्रावधान के अनुसार, निकाय ने 36 विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में किए जाने वाले नागरिक कार्यों के लिए 1,260 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। यह बीएमसी के कुल बजट 52,619 करोड़ रुपये का लगभग 2.5 प्रतिशत है। इसके तहत प्रत्येक विधायक अधिकतम 35 करोड़ रुपये मांगने के हकदार थे।
द इंडियन एक्सप्रेस ने आरटीआई के हवाले से ख़बर दी है कि फरवरी 2023 और 31 दिसंबर, 2023 के बीच 10 महीनों में नगर निगम आयुक्त और प्रशासक आईएस चहल ने भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 21 विधायकों को 500.58 करोड़ रुपये वितरित किए, जबकि विपक्षी विधायकों को कुछ भी वितरित नहीं किया गया।
बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस क्षेत्र में वर्तमान महाराष्ट्र विधानसभा में 36 विधायक हैं। इनमें से 15 भाजपा के, छह एकनाथ शिंदे-शिवसेना के, नौ यूबीटी शिवसेना के, चार कांग्रेस के और एक-एक विधायक एनसीपी और समाजवादी पार्टी के हैं।
अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि बीएमसी के प्रस्ताव के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुंबई के दो संरक्षक मंत्रियों - मंगल प्रभात लोढ़ा (मुंबई उपनगर - 26 विधानसभा सीटें) और दीपक केसरकर (मुंबई शहर - 10 विधानसभा सीटें) - ने फंड के लिए विधायकों द्वारा किए गए अनुरोधों को मंजूरी देना शुरू किया। सीएम और मंत्रियों की मंजूरी के बाद बीएमसी ने फंड बांटना शुरू कर दिया। महाराष्ट्र में प्रत्येक जिले के लिए संरक्षक मंत्री हैं जो जिले की योजना और विकास की देखरेख करते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 11 मामलों में विपक्षी विधायकों ने अभिभावक मंत्रियों को अनुरोध भेजा, लेकिन उनको फंड जारी नहीं किया गया। विपक्षी विधायकों द्वारा लिखे गए पत्रों से पता चलता है कि कुछ मामलों में फंड के लिए अनुरोध मार्च 2023 की शुरुआत में ही मंत्रियों को भेज दिए गए थे। दूसरी ओर, रिकॉर्ड बताते हैं भाजपा और शिवसेना से संबंधित विधायकों के अनुरोधों को मुख्यमंत्री और दो संरक्षक मंत्रियों द्वारा मंजूरी दे दी गई थी, जिनमें से कुछ को एक सप्ताह से कुछ अधिक समय में ही बीएमसी को भेज दिया गया था। चार विधायकों ने सीधे मुख्यमंत्री को लिखा, जबकि अन्य ने अभिभावक मंत्रियों को लिखा।
धनराशि स्वीकृत हो जाती है तो इसका उपयोग विभिन्न विकास कार्यों के लिए किया जाता है। इस मामले में अख़बार द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, बीएमसी आयुक्त आईएस चहल टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।