+
औरंगजेब की कब्र पर तनाव के बीच नागपुर में हिंसा, 'शांति की अपील'

औरंगजेब की कब्र पर तनाव के बीच नागपुर में हिंसा, 'शांति की अपील'

औरंगजेब की कब्र को लेकर बढ़ते तनाव के बीच नागपुर में हिंसा भड़क गई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। जानें पूरी खबर।

औरंगजेब की कब्र को लेकर तनाव के बीच नागपुर में सोमवार रात को हिंसक झड़प हो गई। इसमें चार लोग घायल हो गए। यह हिंसा विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों द्वारा छत्रपति संभाजी नगर में मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर आयोजित एक प्रदर्शन के कुछ घंटों बाद शुरू हुई। प्रदर्शन के दौरान कई मुस्लिम समूहों ने आरोप लगाया कि 'कलमा' लिखे एक कपड़े को जलाया गया, लेकिन नागपुर पुलिस ने इसे अफवाह करार दिया है।

मीडिया रिपोर्टों में प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया है कि तनाव तेजी से बढ़ा। झड़प के बीच हिंसा बढ़ गई। वाहनों में आग लगा दी गई और पथराव हुआ। घटनास्थल से आए वीडियो में जलते वाहन और बिखरा मलबा साफ़ दिखाई दे रहा है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तुरंत मौक़े पर पहुंची और अतिरिक्त बल तैनात किया गया ताकि आगे अशांति न फैले। इसके चलते सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर के महल क्षेत्र में पथराव और बढ़ते तनाव के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयासों का आश्वासन देते हुए शांति की अपील की। 

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'पुलिस स्थिति को संभाल रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागरिकों से प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करने की अपील की है। हम लगातार पुलिस के संपर्क में हैं और नागरिकों को उनके साथ काम करना चाहिए। नागपुर हमेशा से एक शांतिपूर्ण और सहयोगी शहर रहा है, और यह इसकी परंपरा रही है। मुख्यमंत्री ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और अधिकारियों को सहयोग करने का आग्रह किया है।'

नागपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी निवासियों से शांत रहने की अपील की। उन्होंने कहा, 'कुछ अफवाहों के कारण नागपुर में धार्मिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। इस शहर का इतिहास ऐसी परिस्थितियों में शांति बनाए रखने के लिए जाना जाता है। मैं सभी से अफवाहों पर विश्वास न करने और शांति बनाए रखने का आग्रह करता हूँ। कृपया सड़कों पर न निकलें और कानून-व्यवस्था को सहयोग करें।' 

गडकरी ने आगे कहा कि सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री को स्थिति की जानकारी दे दी गई है, इसलिए मैं सभी से अफवाहों को नजरअंदाज करने का अनुरोध करता हूँ।'

पुलिस का दावा

नागपुर पुलिस ने साफ़ किया है कि प्रदर्शन के दौरान 'कलमा' लिखे कपड़े को जलाने की बात अफवाह थी, जिसके कारण तनाव बढ़ा। पुलिस ने हिंसा को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की और स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया। महल क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि आगे कोई अप्रिय घटना न हो।

बता दें कि हिंदू संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद कुछ मुस्लिम समूहों ने जलाए गए कपड़े का दावा किया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया। पथराव और आगजनी की घटनाएँ हुईं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि स्थिति तब बिगड़ी जब भीड़ ने वाहनों को निशाना बनाया और आग लगा दी।

फिलहाल पुलिस और प्रशासन ने नागपुर में शांति बहाल करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री और सांसद दोनों ने नागरिकों से एकजुटता और सहयोग की अपील की है, ताकि शहर की शांतिपूर्ण परंपरा बरकरार रहे।

औरंगजेब की कब्र का विवाद क्या है?

मुगल साम्राज्य का छठा सम्राट औरंगजेब (1618-1707) इतिहास में एक विवादास्पद शासक रहा है। उसकी कब्र महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में खुल्दाबाद के पास एक सूफी संत की दरगाह के परिसर में है। हिंदू संगठनों और दक्षिणपंथी समूहों का दावा है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर अत्याचार किए, मंदिरों को तोड़ा और धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा दिया। वे उसे हिंदू विरोधी मानते हैं और उसकी कब्र को अन्याय का प्रतीक कहकर हटाने की मांग करते हैं। 

दूसरी ओर, इतिहासकारों का एक वर्ग तर्क देता है कि औरंगजेब की नीतियों को संदर्भ में देखना चाहिए। वे कहते हैं कि उसने केवल धार्मिक आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक कारणों से भी फैसले लिए। फिर भी, लोकप्रिय धारणा में उसकी छवि नकारात्मक बनी हुई है, जिसे दक्षिणपंथी समूह अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में खासकर सोशल मीडिया के दौर में औरंगजेब को लेकर ध्रुवीकरण बढ़ा है और उसकी कब्र को हटाने की मांग समय-समय पर उठती रही है।

औरंगजेब की कब्र का विवाद इतिहास से ज्यादा वर्तमान की राजनीति और पहचान से जुड़ा है। हिंदू संगठन इसे 'ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने' के तौर पर पेश करते हैं, जबकि विपक्षी दल इसे धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास मानते हैं। नागपुर में हिंसा इस बात का संकेत है कि यह मुद्दा अब केवल छत्रपति संभाजी नगर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे महाराष्ट्र और शायद देश में ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है। 

इस घटना से यह भी साफ होता है कि अफवाहें और सोशल मीडिया आज के दौर में हिंसा को भड़काने में कितने प्रभावी हैं। 

औरंगजेब की कब्र का विवाद एक ऐतिहासिक बहस से आगे बढ़कर धार्मिक और राजनीतिक टकराव का प्रतीक बन गया है। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें