महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और शिवसेना के नेता अनिल परब को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में समन किया है। अनिल परब को बुधवार को जांच एजेंसी के सामने पेश होना है। ईडी ने पिछले महीने अनिल परब के ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी जमीन के सौदे में कथित रूप से गड़बड़ियों को लेकर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के चलते हुई थी।
ईडी ने पुणे, मुंबई और दापोली में अनिल परब के आवास सहित सात ठिकानों की तलाशी ली थी। ईडी ने हाल ही में अनिल परब के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
अनिल परब शिव सेना के बड़े नेताओं में शुमार हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नजदीकी माने जाते हैं।
उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ईडी के द्वारा समन किए जाने को लेकर दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों और बड़े शहरों में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर हैं।
अनिल परब के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि परब ने रत्नागिरी जिले के दापोली में साल 2017 में 1 करोड़ रुपए में जमीन खरीदी थी लेकिन 2019 में इसे रजिस्टर कराया गया।
यह आरोप है कि इस जमीन को मुंबई के एक केबल ऑपरेटर सदानंद कदम को साल 2020 में एक करोड़ 10 लाख रुपए में बेच दिया गया और इस अवधि के दौरान यानी साल 2017 से 2020 में इस जमीन पर एक रिजॉर्ट का भी निर्माण करा लिया गया। आयकर विभाग ने अपनी जांच के बाद कहा था कि इस रिजॉर्ट को बनाने में 6 करोड़ रुपए का खर्च आया है।
किरीट सोमैया ने की थी शिकायत
इस मामले में अनिल परब के खिलाफ बीजेपी के नेता किरीट सोमैया ने शिकायत दी थी और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
किरीट सोमैया ने कहा था कि यह रिजॉर्ट कोस्टल रेग्युलेशन जोन के नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया है। जबकि अनिल परब ने कहा था कि उन्होंने यह जमीन सदानंद कदम को बेच दी थी। उन्होंने इस मामले में उनका नाम खींचे जाने को लेकर कुछ लोगों के खिलाफ हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराया था।
सदानंद कदम और संजय कदम दोनों ही शिवसेना के नेता हैं और उनसे ईडी इस मामले में पूछताछ कर चुकी है। संजय कदम शिवसेना के सांसद रामदास कदम के भाई हैं।
दूसरी ओर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को भी मनी लॉन्ड्रिंग के अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है।
महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के कई नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर अच्छा-खासा घमासान हो चुका है। इस घमासान के आगे भी थमने के कोई आसान नहीं दिखाई देते।