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महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला: अजित पवार की करोड़ों की संपत्ति जब्त

महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला: अजित पवार की करोड़ों की संपत्ति जब्त

महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के मामले में ईडी ने गुरूवार को बड़ी कार्रवाई की है।

महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के मामले में ईडी ने गुरूवार को बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार की 65 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। इन संपत्तियों में ज़मीन, इमारत, सतारा में लगी सहकारी शुगर मिल शामिल हैं। 

अभी ये संपत्तियां गुरू कोमोडिटी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर हैं और जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दी गई है। 

घोटाले की हुई थी गूंज 

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक में हज़ारों करोड़ रुपये के इस घोटाले के मामले की काफ़ी गूंज हुई थी। तब बॉम्बे हाई कोर्ट ने अजित पवार, पूर्व सांसद विजयसिंह मोहिते पाटिल, पूर्व सांसद आनंद राव अडसूल, शिवाजी राव नलावडे, दिलीप सोपल सहित 69 नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने तत्कालीन फडणवीस सरकार से पूछा था कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में तत्कालीन संचालकों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? महाराष्ट्र में जब बीजेपी विपक्ष में थी तब इस घोटाले के ख़िलाफ़ उसने आवाज़ उठायी थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद फडणवीस सरकार ने कोई भी कार्रवाई नहीं की। 

ईडी ने एक बयान में कहा है कि जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड में से अधिकांश शेयर स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड के हैं और जांच में पता चला है कि स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा अजित पवार की कंपनियों से जुड़ी है। 

दूसरी ओर, अजित पवार ने कहा है कि उन्हें ईडी की ओर से किसी तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है। ईडी ने इस मामले में प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिन्ग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की थी और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने 2019 में इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की थी। 

ईडी ने कहा है कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने 2010 में जरंदेश्वर सहकारी शुगर कारखाने की नीलामी की बोली लगाई थी लेकिन यह कम क़ीमत पर लगाई गई थी और इसमें नियमों का पालन नहीं किया गया था।

ईडी ने बयान में आगे कहा है कि उस दौरान महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में जितने लोग निदेशक थे, उनमें अजित पवार सबसे प्रमुख थे। जांच एजेंसी ने कहा है कि सहकारी शुगर कारखाने को गुरू कोमोडिटी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड ने ख़रीदा था और तुरंत जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दे दिया था और यही कंपनी अभी जरंदेश्वर सहकारी शुगर कारखाने को चलाती है। 

ईडी के अफ़सरों का कहना है कि सहकारी शुगर कारखाने को ख़रीदने में जो पैसा लगा, उसका ज़्यादातर हिस्सा जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड ने दिया और उसने यह पैसा स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड से लिया था और यही कंपनी अजित पवार और उनकी पत्नी की कंपनियों से संबंध रखती है। 

आरोप है कि 1961 में स्थापित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के निदेशक मंडल और अध्यक्ष ने कुछ कपास मिलों और चीनी कारख़ानों को करोड़ों रुपये के ऋण वितरित किए। इस ऋण की वसूली नहीं की गई जिससे बैंक की हालत खस्ताहाल हो गई। 

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