महाराष्ट्र में शिवसेना और महा विकास आघाडी सरकार का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि शिवसेना के तीन और विधायक गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में पहुंच गए हैं। शिवसेना के बागी और निर्दलीय विधायक पहले से ही इस होटल में ठहरे हुए हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे का गुट दल बदल कानून से बचने के लिए जरूरी 37 विधायकों के आंकड़े तक पहुंच रहा है।
हालांकि एकनाथ शिंदे न्यूज़ चैनलों से बातचीत में उनके साथ 46 विधायकों के समर्थन का दावा कर चुके हैं। एकनाथ शिंदे के मुताबिक इसमें से 40 विधायक शिवसेना के हैं जबकि छह विधायक निर्दलीय हैं।
यह साफ है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लगभग अकेले पड़ गए हैं।
क्या करेंगे शिंदे?
अब सभी की नजर एकनाथ शिंदे की अगली रणनीति पर है कि शिंदे बागी और निर्दलीय विधायकों के साथ कब वापस मुंबई पहुंचेंगे और क्या बीजेपी बागी विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
यह दिखाई देता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के द्वारा की गई भावुक अपील और इस्तीफा देने के लिए तैयार होने की बात कहने का भी कोई असर शिवसेना के विधायकों पर नहीं हुआ है। हालांकि बुधवार रात को जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकारी आवास वर्षा से मातोश्री के लिए निकले तो वहां बड़ी संख्या में शिवसैनिक जमा थे और उन्होंने उद्धव ठाकरे जिंदाबाद के नारे लगाए।
लेकिन बागी नेता एकनाथ शिंदे ने यह दिखा दिया है कि पार्टी पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है।
लगातार बदल रहे सियासी हालात के बीच कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मुंबई पहुंची हैं और उन्होंने पार्टी नेताओं से इस सियासी संकट पर बात की है। एनसीपी ने भी अपने विधायकों की बैठक बुलाई है।
निश्चित रूप से महाराष्ट्र के अंदर सियासी संकट गहरा गया है और ऐसे में महा विकास आघाडी सरकार का सत्ता में बने रहना बेहद मुश्किल हो जाएगा क्योंकि बड़ी संख्या में शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद महा विकास आघाडी सरकार के पास बहुमत में रहने के लिए जरूरी विधायकों का आंकड़ा नहीं रह जाएगा।
शिवसेना के बागी बागी और निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र भेजा है। इस पत्र में 34 विधायकों के दस्तखत हैं। इसमें से 30 विधायक शिवसेना के हैं जबकि चार निर्दलीय विधायक हैं।
उधर, कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यह सुझाव दिया है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। ऐसे में हो सकता है कि महा विकास आघाडी सरकार इस सियासी संकट से बच जाए।