महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच कई सालों से चल रहे सीमा विवाद को लेकर बेलगावी के एक कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में एक छात्र को पीट दिया गया। इसका एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि एक कार्यक्रम के दौरान एक छात्र ने कर्नाटक के पारंपरिक ध्वज को लहराया तो महाराष्ट्र के छात्र उस पर आग बबूला हो गए और उन्होंने उस छात्र की जमकर पिटाई कर दी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
छात्रों को झगड़ते देख टीचर और कॉलेज के स्टाफ के सदस्य बीच बचाव के लिए पहुंचे। इलाके की पुलिस भी मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की।
बेलगावी जिला कर्नाटक में पड़ता है लेकिन महाराष्ट्र उस पर अपना अधिकार जताता है।
जिस छात्र पर हमला किया गया है वह नाबालिग है और 12वीं का छात्र है। एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिसकर्मियों ने उससे कहा है कि ऐसे वक्त में जब यह विवाद चर्चा में है तो उसे कर्नाटक का झंडा नहीं फहराना चाहिए था।
तेज हुआ विवाद
बता दें कि बीते दिनों एक बार फिर यह विवाद तेज हुआ है। कुछ दिन पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले में पड़ने वाले कुछ गांवों में जल संकट को देखते हुए इनके कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव पास किया था। इस पर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान आया था कि महाराष्ट्र के किसी भी सीमावर्ती गांव के किसी दूसरे राज्य के साथ जाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
इसके बाद बसवराज बोम्मई ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और देवेंद्र फडणवीस के बयानों को भड़काऊ बताया था। उन्होंने कहा था कि फडणवीस का सपना कभी पूरा नहीं होगा और हमारी सरकार अपने राज्य की जमीन, पानी और बॉर्डर को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा था कि महाराष्ट्र के कन्नड़ भाषी इलाकों- सोल्लापुर और अक्कलकोट को कर्नाटक में शामिल किया जाए।
बीजेपी के लिए यह मुद्दा इसलिए मुश्किल भरा है क्योंकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और इसे लेकर उसके नेता आमने-सामने हैं।
पिछले साल दिसंबर में यह विवाद तब भड़क गया था जब किसी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर इंक फेंक दी थी। इसके बाद महाराष्ट्र के कुछ लोगों ने बेलगावी में प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था और उन्होंने एक दर्जन से ज़्यादा गाड़ियों को पत्थरबाज़ी कर चकनाचूर कर दिया था। तनाव को देखते हुए बेलगावी में ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई थी।
पुराना है विवाद
बता दें कि 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के कई इलाक़े उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी में थे। आज के बीजापुर, बेलगावी (पुराना नाम बेलगाम), धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में ही थे।
बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड़ भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे। आज़ादी के बाद भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा शुरू हुआ। बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या कन्नड़ बोलने वालों की संख्या से ज्यादा थी। लेकिन बेलगाम नगरीय निकाय ने 1948 में माँग की कि इसे मराठी बहुल होने के चलते प्रस्तावित महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनाया जाए।
1983 में बेलगाम में पहली बार नगर निकाय के चुनाव हुए। इन चुनावों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के प्रभाव वाले उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीतकर आए।
नगर निकाय और 250 से ज़्यादा मराठी बहुल गांवों ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा कि उन्हें महाराष्ट्र में मिला लिया जाए। इसके विरोध में 1986 में कर्नाटक में कई जगह हिंसा हुई, जिनमें 9 लोग मारे गए थे।
बेलगाम के लोगों ने मांग की थी कि उन्हें सरकारी आदेश मराठी भाषा में दिए जाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विवाद चलता रहा और मामला अदालतों तक पहुंच गया।