महाराष्ट्र, हरियाणा में सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाँव पर
महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है और अब 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजों का इंतजार है। इसके अलावा 18 राज्यों में विधानसभा की 51 सीटों और लोकसभा की 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों का भी इंतजार है। महाराष्ट्र में कुल 8,98,39,600 मतदाता हैं जिसमें 4,28,43,635 महिलाएं हैं जबकि हरियाणा में कुल 1.83 करोड़ मतदाता हैं जिसमें 85 लाख महिलाएं हैं। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाली तो कांग्रेस की ओर से राहुल गाँधी ही बड़े चेहरे के रूप में सामने आये। इस चुनावी रण में कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाँव पर है।
महाराष्ट्र: भगवा गठबंधन के सामने कांग्रेस-एनसीपी
महाराष्ट्र के सियासी दंगल में बीजेपी-शिवसेना के सामने कांग्रेस-एनसीपी है। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन ज़रूरी है। एबीपी न्यूज़-सी वोटर के ताज़ा ओपिनियन पोल में बीजेपी को 134 तथा शिवसेना को 60 सीटें दी गयी हैं। इसका मतलब भगवा गठबंधन 194 सीटों के आसपास रह सकता है। पिछली बार बीजेपी-शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़े थे और तब बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं। दोनों को कुल 185 सीटें मिली थीं। इसलिए, गठबंधन करने से इन दलों को ज़्यादा फायदा होता नहीं दिख रहा है।
बीजेपी-शिवसेना को लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर जीत मिली थी और विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो भगवा गठबंधन 226 सीटों पर आगे रहा था और इस बार उसने ज़्यादा ताक़त के साथ चुनाव लड़ा है।
ओपिनियन पोल में कांग्रेस को 44 व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 42 सीटें दी हैं जो साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन से क्रमशः 2 और 1 सीट अधिक हैं। कांग्रेस-एनसीपी के कई बड़े नेता महाराष्ट्र में इन दलों को छोड़कर चले गए। विधानसभा में नेता विपक्ष रहे राधा कृष्ण विखे पाटिल से लेकर मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुईं फ़िल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया।
लोकसभा चुनाव के दौरान ही मुंबई कांग्रेस में चल रहा संजय निरूपम और मिलिंद देवड़ा का झगड़ा बढ़ गया और निरूपम ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर पार्टी आलाकमान पर जमकर हमले किए। दूसरी ओर एनसीपी से भी कई प्रमुख नेता चले गए। एनसीपी का सारा जोर अपने प्रमुख नेता शरद पवार पर ही है। पवार ने इस बार चुनावी सभाओं में ख़ूब दमखम दिखाया है।
लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान मोदी और शाह का ध्यान जहां पुलवामा-बालाकोट पर रहा था, उसी तरह इस बार भी लगभग हर जनसभा में दोनों नेताओं ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने पर ही ध्यान केंद्रित रखा। इस सबके बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस ने चुनाव प्रचार को सूखा, बाढ़, बेरोज़गारी, किसानों की आत्महत्या पर केंद्रित करने की कोशिश की। लेकिन अब देखना है जनता किन मुद्दों पर वोट करती है।
महाराष्ट्र के चुनाव में बड़े चेहरों की बात करें तो पांच साल बीजेपी-शिवसेना की सरकार चलाने वाले देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से, महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल कोथरूड सीट से, बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे परली सीट से, राज्य मंत्री रहीं विद्या ठाकुर गोरेगांव सीट से, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से चुनाव मैदान में हैं।
हरियाणा: बीजेपी की बड़ी जीत का अनुमान
एबीपी न्यूज़-सी-वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक़, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी को 83 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 3 और अन्य के खाते में 4 सीटें जा सकती हैं। ओपिनियन पोल के आंकड़े अगर चुनाव परिणाम में बदलते हैं या इसके आसपास भी रहते हैं तो बहुत ज़्यादा चौंकाने वाली बात नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। दूसरी ओर विपक्ष पूरी तरह ख़त्म दिखाई देता है।
कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की लड़ाई के कारण पार्टी को चुनाव के मौक़े पर ख़ासी फ़जीहत झेलनी पड़ी। लंबे समय तक हरियाणा में सरकार चला चुकी कांग्रेस के लिए निश्चित रूप से यह बेहद शर्मिंदगी वाली स्थिति है कि ओपिनियन पोल में उसे सिर्फ़ 3 सीटें मिलती दिख रही हैं।
इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के अपने बेटे अजय चौटाला और उनके दो बेटों दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिये जाने के बाद पार्टी टूट गई। दुष्यंत और दिग्विजय ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बना ली और जींद के उपचुनाव में वह दूसरे नंबर पर रही। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो दूसरे नंबर पर रही थी और उसे 19 सीटें मिली थीं लेकिन इस विधानसभा चुनाव से पहले तक उसके पास गिने-चुने विधायक रह गए थे।
ओपिनियन पोल में जो अन्य को 4 सीटें मिलती बताई गई हैं, उनमें जेजेपी, इनेलो के अलावा बहुजन समाज पार्टी, हरियाणा में ग़ैर जाट वोटों के दम पर मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले बैठे बीजेपी के पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, आम आदमी पार्टी के बीच जंग होगी।
हरियाणा में बड़े चुनावी चेहरों की बात करें तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से, भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिर गढ़ी सांपला किलोई सीट से, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा महेंद्रगढ़ सीट से, कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी तोशाम सीट से, विधायक कुलदीप बिश्नोई आदमपुर से, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ऐलनाबाद सीट से चुनाव मैदान में हैं।
महाराष्ट्र की ही तरह हरियाणा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने को देश की एकता, अखंडता के लिए बेहद ज़रूरी क़दम के रूप में जनता के सामने पेश किया और राष्ट्रवाद से जोड़ दिया। मोदी और शाह ने लगभग हर रैली में इस मुद्दे का जिक्र कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया और उसे पाकिस्तान का दोस्त बताने की कोशिश की।