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महाराष्ट्रः क्या उद्धव के अपमान ने बदला माहौल, भाजपा पीछे क्यों

महाराष्ट्रः क्या उद्धव के अपमान ने बदला माहौल, भाजपा पीछे क्यों

महाराष्ट्र में इंडिया या महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इस रिपोर्ट को लिखे जाने के समय 28 सीटों पर एमवीए आगे है। महाराष्ट्र से लगातार खबरें आ रही थीं कि उद्धव ठाकरे से जिस तरह उनकी पार्टी छीनी गई, उनकी सरकार गिराई गई, उसे लोगों ने पसंद नहीं किया। जानिए पूरी राजनीतिः 

लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न एग्जिट पोल के बावजूद महाराष्ट्र में वोटों की शुरुआती गिनती से पता चला है कि महा विकास अगाढ़ी (एमवीए) ने 29 सीटों पर बढ़त बना ली है। राज्य में 48 लोकसभा क्षेत्र हैं।

एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में महायुति को 22 से 35 सीटें और एमवीए को 15 से 26 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई थी। हालाँकि 4 जून को स्थिति लगभग उलट नजर आ रही है।

4 जून को दोपहर तक, मतगणना के अनुमानों ने महाराष्ट्र में भाजपा, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टियों को बराबरी पर ला दिया। लेकिन उसके बाद एमवीए ने रफ्तार पकड़ ली। कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन ने 29 सीटों पर बढ़त हासिल कर ली है, जिसमें 11 पर कांग्रेस, 10 पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और 8 पर शरद पवार की एनसीपी शामिल है।

इस रिपोर्ट के लिखे जाने के समय एनडीए कुल 18 सीटों पर आगे चल रही है, जिसमें भाजपा 11, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 6 और अजित पवार की एनसीपी 1 सीट पर आगे चल रही है। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे है।

लोकसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में विभाजित शिव सेना और एनसीपी गुटों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा गया। शिवसेना यूबीटी को शिंदे वाली चुनौती दे रही थी तो शरद पवार की एनसीपी को अजीत पवार की एनसीपी चुनौती दे रही थी। भाजपा जो इन पार्टियों में विभाजन कराने के लिए मशहूर हुई, उसे इससे जिस नतीजे की उम्मीद थी, वो हासिल होते हुए मिल नहीं रहा है।

भाजपा ने 28 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ा, उसके सहयोगी दल शिव सेना (शिंदे) ने 14 सीटों पर और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा।

महाराष्ट्र का रुझान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि राज्य में चंद महीनों बाद विधानसभा चुनाव हैं और लोकसभा के संकेत काफी कुछ बता रहे हैं। अगर एमवीए एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा और शिंदे, अजीत पवार की उम्मीदें धराशायी हो जाएंगी।


महाराष्ट्र में लंबी राजनीतिक उठापटक को देखने के बाद मतदाता ने जो संकेत दिया, उसका अर्थ यही है कि जिस तरह शिवसेना को तोड़ा गया, जिस तरह उद्धव ठाकरे को हटाया गया, उसे जनता ने पसंद नहीं किया। ऐसा नहीं होता तो भाजपा को सबसे ज्यादा सीटों पर बढ़त हासिल होना चाहिए था। 

दूसरी तरफ, महा विकास अघाड़ी के सदस्यों ने 21 लोकसभा क्षेत्रों में शिवसेना (यूबीटी), 17 में कांग्रेस और 10 में एनसीपी (शरद पवार) ने सत्तारूढ़ सरकार को चुनौती दी। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव पांच चरणों में हुआ था।

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