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महाराष्ट्र बीजेपी विधानसभा चुनाव समय से पहले लोकसभा के साथ क्यों चाहती है?

महाराष्ट्र बीजेपी विधानसभा चुनाव समय से पहले लोकसभा के साथ क्यों चाहती है?

महाराष्ट्र में क्या समय से पहले विधानसभा चुनाव होगा? आख़िर ऐसी रिपोर्टं क्यों आ रही हैं कि राज्य में बीजेपी इकाई समय से पहले चुनाव कराना चाहती है? आख़िर वजह क्या है?

महाराष्ट्र में शिवसेना में दो खेमे होने के बाद भी उद्धव ठाकरे गुट की पकड़ क्या मज़बूत हो रही है? या फिर तय समय से पहले चुनाव करने से बीजेपी को कुछ ज़्यादा ही फायदा होगा? ये सवाल इसलिए कि मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई राज्य में समय से पहले चुनाव कराना चाहती है और इसके लिए उसने केंद्रीय नेतृत्व को इस बात से अवगत कराया है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कराने पर विचार कर रहा है। वैसे तय समय के अनुसार विधानसभा का चुनाव अक्टूबर 2024 में होना है। 

यह संभावना इस बात से भी सामने आ रही है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2023-24 के लिए सभी को खुश करने वाला बजट पेश किया है। माना जा रहा है कि राज्य में पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर लोगों में फील-गुड-फैक्टर वाला संदेश जाने में कुछ समय लग सकता है और ऐसा अक्टूबर 2024 तक होने में संदेह है।

यही वजह है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व पार्टी की महाराष्ट्र ईकाई के समय से पहले चुनाव कराने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। 'द हिंदू' ने राज्य में चुनावी रणनीति पर नज़र रखने वाले मंत्रिपरिषद के एक सदस्य के हवाले से रिपोर्ट दी है कि आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनावों का समय होने से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और राष्ट्रीय मुद्दे भी मतदाताओं के दिमाग पर हावी रहेंगे, इसलिए ये चुनाव मतदाताओं को भी प्रभावित कर सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा है, 'राज्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने सुझाव दिया है और केंद्रीय नेतृत्व अब विकल्प पर विचार कर रहा है। इस पर उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'किसी भी मामले में लोकसभा चुनाव के ठीक पाँच-छह महीने बाद राज्य के चुनाव होने हैं, इसलिए यह बहुत ज़्यादा मुद्दा नहीं होना चाहिए।'

हालाँकि, दोनों चुनाव एक साथ करने में कुछ मुश्किलें भी आएंगी। द इंडियन एक्सप्रेस ने बीजेपी के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है, 'पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पहले संकेत दिया था कि वह आदर्श रूप से लोकसभा और विधानसभा चुनावों को मिलाना नहीं चाहेगी। एक साथ चुनाव कराने से राज्य इकाई के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व पर भी बोझ पड़ेगा क्योंकि उन्हें एक साथ दोहरे प्रचार का जिम्मा उठाना होगा।' लेकिन इसके बावजूद राज्य इकाई दोनों चुनाव साथ कराने पर जोर दे रही है।

रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी की राज्य इकाई यह मानती है कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना (यूबीटी) वाली विपक्षी महा विकास अघाडी आने वाले चुनावों में एक मजबूत गठबंधन होगा।

एमवीए का सामाजिक समीकरण किसी भी चुनावी लड़ाई में भाजपा और उसके सहयोगी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए एक कठिन चुनौती पेश करेगा। एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि राज्य भाजपा इकाई ने 2024 में राज्य में सूखे के पूर्वानुमान के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को भी सूचित किया है। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बजट सत्र के दौरान राज्य विधानसभा को बताया कि कैसे इस गर्मी में पानी की कमी एक चिंता का विषय हो सकती है। सूखे से निपटने के लिए जल संरक्षण जैसे उपायों पर जोर दिया जा रहा है। 

बीजेपी के सामने एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि शिवसेना में विभाजन और उद्धव सरकार के पतन के बावजूद शिवसेना (यूबीटी) अभी भी जमीनी स्तर पर अपने समर्थन के आधार को बनाए रखने में कामयाब रही है। रिपोर्ट के अनुसार नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एक वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी ने कहा, 'शिंदे ने शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों को और 18 में से 12 लोकसभा सांसदों को अपने पक्ष में कर लिया। लेकिन अभी भी उद्धव सेना का वोट बैंक पूरी तरह से नहीं गिरा है।'

रिपोर्ट के अनुसार शिंदे कैबिनेट में बीजेपी के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, 'लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने चाहिए या एक साथ, इस पर बहस हमारे राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के बीच विभिन्न मंचों पर चल रही है। यह अभी तक अनिर्णायक है।' उन्होंने कहा, 'हमारे राज्य बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने राज्य का व्यापक दौरा किया है और पार्टी को चुनाव मोड में डाल दिया है। हम जल्दी चुनाव के लिए तैयार हैं। हम एक साथ चुनाव कराने के लिए तैयार हैं।' हालाँकि, रिपोर्ट है कि अभी तक पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में फ़ैसला नहीं लिया है।

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