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नामांकन की तारीख़ ख़त्म फिर भी महायुति, एमवीए में सीटों पर भ्रम क्यों?

नामांकन की तारीख़ ख़त्म फिर भी महायुति, एमवीए में सीटों पर भ्रम क्यों?

महाराष्ट्र में नामांकन दाखिल करने की समय सीमा ख़त्म हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र में लगभग 15 सीटों पर कोई स्पष्टता नहीं है कि महायुति और एमवीए में से किस दल के प्रत्याशी को टिकट दिया गया है।

सीट बँटवारे की घोषणा कई दिन पहले ही कर दी गई, चुनाव के लिए नामांकन की तारीख़ ख़त्म भी हो गई और अभी तक साफ़ नहीं है कि कौन सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। है न अजीबोगरीब स्थिति!

दरअसल, यह स्थिति महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर है। महायुति और एमवीए दोनों ही गठबंधनों में स्थिति साफ़ नहीं है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, जबकि राज्य में चुनाव के लिए मंगलवार का दिन नामांकन का आख़िरी दिन था। भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठबंधन महायुति और कांग्रेस शिवसेना यूबीटी और शरद पवार की एनसीपी के गठबंधन एमवीए दोनों ही गठबंधनों में सीटों को लेकर उलझन की ख़बरें हैं।

ऐसा तब है जब नामांकन दाखिल करने की समय सीमा समाप्त हो गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में लगभग 15 सीटों पर कोई स्पष्टता नहीं है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक चार सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है। ऐसी ही स्थिति एमवीए में भी बनी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट, एनसीपी के शरद पवार गुट और कांग्रेस के गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने 11 सीटों के लिए आधिकारिक रूप से उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। अब तक भाजपा ने 152 उम्मीदवार, एनसीपी के अजित पवार के गुट ने 52 और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 80 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इसमें वे सीटें भी शामिल हैं जो उन्होंने छोटे सहयोगियों को दी हैं। 

एमवीए में कांग्रेस ने 103 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, शिवसेना के उद्धव ठाकरे के गुट और शरद पवार 87 पर हैं। मंगलवार दोपहर को शरद पवार ने घोषणा की थी कि जहां तक ​​उनकी पार्टी का सवाल है, 87 अंतिम संख्या है। इसके बावजूद 11 सीटों पर रहस्य बरकरार है।

हालाँकि इनमें से कुछ सीटें छोटे सहयोगियों और समाजवादी पार्टी के खाते में जाने की संभावना है, लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि किसे क्या मिलेगा या कितनी सीटें मिलेंगी।

माना जा रहा है कि सीटों का पेंच इसलिए फँसा है कि या तो कुछ सीटों पर गठबंधन सहयोगियों के बीच बातचीत फाइनल नहीं हो पाई है या फिर टिकट नहीं मिलने पर बागियों के उतरने का डर है। एक समय नवाब मलिक का मामला भी ऐसा ही जान पड़ा।

अजित पवार की एनसीपी के नवाब मलिक ने मनखुद सीट से दो नामांकन दाखिल किए थे। एक निर्दलीय के रूप में और दूसरा एनसीपी सदस्य के रूप में, लेकिन पार्टी ने समय सीमा से कुछ मिनट पहले ही उनका समर्थन कर दिया। भाजपा प्रवक्ता शाइना एनसी भी शिवसेना के टिकट पर मुंबादेवी से चुनाव लड़ती दिखीं। उनके नाम की घोषणा के बाद भी भाजपा के सदस्य उस सीट से चुनाव लड़ने की होड़ में लगे हुए थे।

अब माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में नाम वापसी की तारीख़ तक साफ़ हो पाएगा कि चुनाव मैदान में कौन किसके ख़िलाफ़ है।

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