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पाकिस्तान: फिर हुई महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़

पाकिस्तान: फिर हुई महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़

इस घटना पर पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि इस तरह के जाहिल लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि के लिए बहुत बड़ा ख़तरा हैं। 

सिख साम्राज्य के पहले शासक महाराजा रणजीत सिंह की पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित लाहौर के किले में लगी प्रतिमा को एक शख़्स ने तोड़ दिया। यह शख़्स पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) से जुड़ा है। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। भारत ने इसकी कड़ी मजम्मत की है और कहा है कि पाकिस्तान इस तरह के हमलों को रोकने में पूरी तरह फ़ेल रहा है। 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि प्रतिमा को तोड़ने वाला शख़्स लब्बैक-लब्बैक के नारे लगा रहा है। वहां मौजूद कुछ लोग उसे जब तक रोकते तब तक वह घोड़े पर बैठे महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा को खंडित कर चुका था। 

पंजाब पुलिस ने कहा है कि उसने टीएलपी के इस कार्यकर्ता को गिरफ़्तार कर लिया है। लाहौर के किले के प्रशासन का कहना है कि अभियुक्त के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

इस घटना पर पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि इस तरह के जाहिल लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि के लिए बहुत बड़ा ख़तरा हैं। 

पहले भी हुई थी तोड़फोड़

महाराजा रणजीत सिंह की इस प्रतिमा का उद्घाटन जून, 2019 में हुआ था। यह पहला मौक़ा नहीं है जब इस प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की गई है। पिछले साल प्रतिमा पर बैठे महाराजा रणजीत सिंह का हाथ तोड़ दिया गया था और अगस्त, 2019 में भी दो लोगों ने प्रतिमा को नुक़सान पहुंचाया था। 

इस घटना पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की सांस्कृतिक धरोहरों पर इस तरह के हमलों से पता चलता है कि पाकिस्तान में किस तरह असहिष्णुता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले रहीम यार ख़ान में एक हिंदू मंदिर को तोड़ दिया गया था। 

हालांकि इस मामले में वहां की सुप्रीम कोर्ट और सरकार ने बेहद सख़्त रूख़ दिखाया था। अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के साथ ही मंदिर को भी फिर से बनवाया गया था। 

कौन थे महाराजा रणजीत सिंह?

महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के संस्थापक थे। वे कभी भी अंग्रेजों के आगे नहीं झुके। उन्हें शेर-ए-पंजाब कहा जाता था। उन्होंने पंजाब से अफ़ग़ानों को बाहर निकालने के लिए कई युद्ध लड़े थे। उन्होंने अपने शासन का विस्तार पंजाब से बाहर भी किया था। भारत और पाकिस्तान या फिर दुनिया में रहने वाले पंजाबियों और सिखों के बीच उन्हें बेहद सम्मान के साथ ‘महाराजा ऑफ़ पंजाब’ कहा जाता है और इस प्रतिमा को तोड़े जाने को लेकर सोशल मीडिया पर ग़ुस्सा जाहिर किया है। 

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