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यूपी बीजेपी में टिकटों पर महाभारत, सांसद सुब्रत पाठक ने रीता का किया विरोध

यूपी बीजेपी में टिकटों पर महाभारत, सांसद सुब्रत पाठक ने रीता का किया विरोध

बीजेपी में इस बार टिकट वितरण को लेकर तमाम नेताओं के बीच जंग हो रही है। पार्टी इस बात पर नाराज है कि सांसद-विधायक अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट मांग रहे हैं। जबकि बीजेपी परिवारवाद राजनीति की विरोधी रही है। जानिए पूरी कहानी। 

उत्तर प्रदेश बीजेपी में टिकटों को लेकर सिर फुटव्वल अब सार्वजनिक हो गई है। इसी के साथ उसका संकट बढ़ गया। पार्टी की कोर कमेटी दिल्ली में बैठक कर रही है और इसी दौरान बयानबाजी भी शुरू हो गई। बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपने बेटे मयंक के लिए टिकट मांगा तो दूसरे बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने विरोध कर दिया। कई और जिलों से विरोध की खबरें आ रही हैं। 

बीजेपी गांधी परिवार और मुलायम सिंह यादव पर राजनीतिक परिवारवाद का आरोप लगाती रही है लेकिन इस बार बीजेपी के कई सांसद पुत्र भी टिकट मांग रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को दोबारा टिकट मिलने के बाद पार्टी के तमाम नेता उसे उदाहरण के रूप में पार्टी आलाकमान के सामने पेश करने लगे हैं। 

बीजेपी कोर कमेटी की बैठक जब दिल्ली में जारी थी तो पार्टी की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपने बेटे मयंक के लिए टिकट की मांग बीजेपी नेतृत्व के सामने रख दी। रीता ने कहा कि वो अपनी सीट से इस्तीफा देने को तैयार हैं, लेकिन टिकट उनके बेटे को दिया जाए। जोशी का बयान टीवी चैनलों पर आया तो फौरन बीजेपी का नेतृत्व सक्रिय हो गया। 

सपा सुप्रीमो अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से हराने वाले बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने रीता बहुगुणा जोशी की मांग का सार्वजनिक विरोध कर दिया है। पाठक ने कहा कि पार्टी को दबाव में नहीं आना चाहिए। रीता बहुगुणा जोशी स्वार्थ की राजनीति कर रही हैं। पाठक ने कहा कि रीता का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है। उसे खत्म होने के बाद वो अपने बेटे के लिए टिकट मांगें।

बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने पार्टी की अंदरुनी स्थिति बयान करते हुए कहा - 

जिसे टिकट के लिए मना हो रहा है, वही नाराजगी दिखा रहा है। बीजेपी में स्वार्थी लोगों की जरूरत नहीं है। पार्टी अगर स्वार्थी लोगों को टिकट देगी तो आम कार्यकर्ता क्या करेगा।


 - Satya Hindi

सुब्रत पाठक, बीजेपी सांसद कन्नौज

सांसद सुब्रत पाठक के इस बयान से साफ हो गया कि पार्टी में टिकट वितरण को लेकर कलह बढ़ती जा रही है। केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान कोर कमेटी के सदस्य हैं और इस समय यूपी के मामले को भी डील कर रहे हैं। रीता बहुगुणा जोशी समेत तमाम लोगों ने प्रधान से मिलकर टिकटों की मांग रखी है। 

और कहां-कहां हुआ विरोध

मथुरा के मांट विधानसभा क्षेत्र से एस.के. शर्मा को पार्टी ने 2017 में टिकट दिया था, लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया है। इस पर उनके समर्थक इतना नाराज हुए कि उन्होंने मथुरा जिला दफ्तर पर जाकर ताला लगा दिया। जगह-जगह बीजेपी के झंडों और बैनरों को नोच कर फेंक दिया गया। शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि आज से वो बीजेपी से नाता तोड़ रहे हैं। अब यह पार्टी भ्रष्ट लोगों की पार्टी है। मैंने पूरा जीवन बीजेपी के लिए लगा दिया लेकिन अब मुझे यह सिला मिला। 

बिलारी सीट पर इस बार बीजेपी ने प्रत्याशी बदला तो अधिकृत प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी के विरोध में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर प्रदर्शन कर दिया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कहा कि बिलारी यादव बहुल सीट है लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने यहां से पूरा समीकरण बिगाड़ते हुए सैनी को टिकट देकर स्थिति कमजोर कर दी है। 

बीजेपी ने अब बदली रणनीतियूपी चुनावों में बस कुछ ही हफ्ते बचे हैं, अब बीजेपी अपनी सीट वितरण रणनीति में बदलाव करने में व्यस्त है। इस बार वो अपने सहयोगियों के साथ पहले की योजना की तुलना में अधिक उदार है। निषाद समाज पार्टी को बीजेपी ने 15 सीटें आफर कर दी हैं। पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने इसकी पुष्टि कर दी है। यूपी में सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू होगा और नतीजे 10 मार्च को आएंगे।

बीजेपी, जिसने पहले 100-150 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं देने की योजना बनाई थी, उसने पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद अपनी रणनीति बदली है।

अब बीजेपी ओबीसी वर्ग के लोगों को ज्यादा टिकट देकर सपा की राजनीति को चुनौती देना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि यह संभावना नहीं के बराबर है कि बीजेपी 50 से अधिक विधायकों का टिकट काटेगी। हालांकि कुछ सर्वेक्षणों में सत्ता विरोधी भावनाओं के चलते बीजेपी ने 150 विधायकों का टिकट काटने की योजना बना ली थी।

बीजेपी सीट आवंटन के फैसलों में जाति समीकरण एक बड़ी भूमिका निभा रहा है और पार्टी अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता के प्रति भी जागरूक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य को पहले ही उम्मीदवारों के रूप में नामित किया गया है।

इस पर बातचीत चल रही है कि क्या राज्य इकाई के प्रमुख - दिनेश शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह जैसे अन्य दिग्गज चुनाव लड़ेंगे।

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों को आवंटित नहीं किया है, जो यह संकेत देता है कि वह वहां किसी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है। लेकिन यह भविष्य के गर्भ में है कि वो किससे गठबंधन करेगी।

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