महाराष्ट्र: ठाकरे सरकार को गिराने के खेल में जुटी है बीजेपी?
महाराष्ट्र की राजनीति में विधानसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद भी देवेंद्र फडणवीस का एक नारा बहुत चर्चा में रहा वह है "मी पुन्हा येणार"। इसका अर्थ है मैं फिर मुख्यमंत्री बनूंगा। लेकिन महाराष्ट्र की जनता और चुनाव बाद हुए राजनीतिक फेरबदल ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
रात के अंधेरे में एक अप्रत्याशित जोड़-तोड़ के बाद वे दोबारा शपथ लेने में सफल तो हो गए थे लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर सके। प्रदेश में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन भी हो गया। लेकिन ठाकरे सरकार के गिरने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बयानों का सिलसिला थमा नहीं।
आठवले के बयान ने चौंकाया
हर छोटे से छोटे मुद्दे पर बीजेपी नेताओं के बयान आते रहते हैं कि ठाकरे सरकार गिरने वाली है। सरकार के गिरने की समय सीमा भी बताई गई लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार ने एक साल पूरा कर लिया। तीन दिन पहले विधानसभा के बजट सत्र में पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने जब एक बार फिर से यह बयान दिया कि ठाकरे सरकार आने वाले कुछ दिनों में गिरने वाली है।
जबकि विधानसभा में बहस चल रही थी मुकेश अंबानी के घर के पास से बरामद विस्फोटक और उस सिलसिले में हिरेन मनसुख की मौत और पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की भूमिका पर। ऐसे में मुनगंटीवार के बयान को कुछ नेताओं ने हवा में उड़ा दिया तो कुछ ने बीजेपी के सत्ता विलाप की संज्ञा दी। लेकिन रविवार को केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले के सांगली में एक कार्यक्रम में आये बयान ने सबको चौंका दिया। आठवले ने कहा, “देवेंद्र फडणवीस, चंद्रकांत पाटिल और मैं महाराष्ट्र में सरकार गिराने के लिए प्रयासरत हैं।”
मुनगंटीवार के विधानसभा में दिए बयान पर नागपुर में जब पत्रकारों ने फडणवीस से सवाल पूछा तो उन्होंने हंसकर टाल दिया था। लेकिन आठवले के बयान के बाद ये अटकलें बढ़ गयी हैं कि क्या पर्दे के पीछे वाकई कुछ खेल चल रहा है।
वैसे, सचिन वाजे प्रकरण तथा शिवसेना खाते से मंत्री रहे संजय राठौड़ के इस्तीफे के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने अपने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में हालांकि मुनगंटीवार या आठवले के बयान पर कोई आधिकारिक चर्चा तो नहीं होने वाली लेकिन इसे अपने मोहरे संभालने की कवायद के रूप में अवश्य देखा जा रहा है।
अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस के गठजोड़ वाली घटना के बाद से ही शरद पवार काफी सजग हो गए हैं और वे नियमित रूप से न सिर्फ महाविकास आघाडी की सरकार में सामंजस्य पर नजर बनाये रखते हैं अपितु पार्टी के मंत्रियों व विधायकों के बीच भी संपर्क स्थापित करने के लिए कार्यक्रम और बैठकें बुलाते रहते हैं ताकि किसी प्रकार की नाराजगी के सुर को शांत कर सकें।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सभी दलों के विधायकों के साथ कई दिनों तक चर्चा की थी। इन कवायद को देखकर यह तो कहा ही जा सकता है कि सरकार बचाने और गिराने का खेल तो चल ही रहा है लेकिन नेपथ्य के पीछे का ड्रामा स्टेज पर कब दिखाई देगा यह वक्त ही बता सकता है।
इन ख़बरों के बीच जलगांव महानगरपालिका के बीजेपी के 27 नगरसेवक रविवार से ही नॉट रीचेबल हो गए हैं। खबर है कि ये सभी मुंबई में हैं और मातोश्री पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह मिशन सफल रहा तो जलगांव महानगरपालिका से बीजेपी की सत्ता जा सकती है।
वैसे, विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले कई नेताओं की घर वापसी की ख़बरें भी अब जोर पकड़ने लगी हैं। इनमें से कुछ नेताओं की घर वापसी को लेकर अजीत पवार की सहमति नहीं मिल पाने से विलंब होने की सूचना है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रदेश में शह-मात का खेल जारी है।